पदचिह्न, बीट, खरोंच, आवाज से कर रहे वन्यजीवों की गिनती: पेंच टाइगर रिजर्व में 23 स्वयंसेवक 109 बीट में कर रहे पैदल गश्त, एप से कलेक्ट कर रहे डेटा – Seoni News h3>
सिवनी के पेंच टाइगर रिजर्व में वार्षिक वन्यजीव आकलन का चौथा चरण चल रहा है। इस महत्वपूर्ण गणना में वन विभाग के कर्मचारियों के साथ देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए 23 स्वयंसेवक सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। टीमें प्रतिदिन 8-9 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए 1
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गणना के दौरान टीमें ईकोलॉजिकल मोबाइल एप का उपयोग कर वन्यजीवों के पदचिह्न, बीट, खरोंच के निशान और उनकी आवाजों का विस्तृत रिकॉर्ड तैयार कर रही है। इस अभियान में शामिल इंदौर के यूएस बेस्ड आईटी कंपनी के उपाध्यक्ष अमरेश मिश्रा ने इस अनुभव को रोमांचक बताया। उन्होंने जंगल की समृद्ध जैव विविधता की सराहना की, साथ ही जलवायु परिवर्तन के कारण पानी की उपलब्धता और वातावरण पर पड़ रहे प्रभाव की ओर भी ध्यान आकर्षित किया।
पेंच टाइगर रिजर्व के उपसंचालक रजनीश सिंह के अनुसार, ट्रांजिट लाइन पर शाकाहारी प्राणियों और वनस्पति का डेटा संग्रह भी शुरू हो गया है। चार दिन की गश्त में अवैध कटाई के कोई प्रमाण नहीं मिलने से वन विभाग की कार्यक्षमता का पता चलता है। गिनती के बाद सभी आंकड़े नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी को भेजे जाएंगे, जिन्हें गोपनीय रखा जाएगा। यह व्यापक गणना वन्यजीवों के संरक्षण और उनकी आबादी के कुशल प्रबंधन में मददगार साबित होगी।
एक मिनट में मोबाइल में दर्ज हो जाते हैं साक्ष्य
पेंच नेशनल पार्क के डायरेक्टर ने बताया कि स्वयंसेवक वन कर्मचारियों के साथ मांसाहारी वन्यप्राणियों की गणना करने पैदल चलकर साक्ष्य एकत्रित कर रहे हैं। कुछ साक्ष्य एकत्रित करने एक-दो मिनट लगा। इसके बाद वन कर्मचारियों ने एक मिनट से कम समय में साक्ष्य मोबाइल दर्ज कर आगे बढ़ते जा रहे हैं। सुबह 5.30 बजे से शुरू हुई वन्यजीवों की गणना लगभग 8 से 9 किमी का पैदल सफर करने के बाद 11 बजे वापस कैम्प में लौटने पर समाप्त होती है। आठ बजे के बाद ठंड कम हो जाती है। जंगल के दुर्गम रास्तों पर चलना एक नया अनुभव करता है। ट्रांजिट लाइन पर चलकर शाकाहारी वन्यप्राणियों की गणना का कार्य प्रारंभ है, जो कल 7 फरवरी तक चलेगा। गणना का एक दिन प्रबंधन ने रिजर्व रखा है। मांसाहारी जीवों की गणना के दौरान औसत रूप से हमें 20 से 25 साक्ष्य प्रतिदिन देखें और मोबाइल में दर्ज किए जा रहे हैं। इसमें बाध तेंदुआ, जंगली कुत्ता, जंगली बिल्ली, भालू, सेही इत्यादि वन्यजीवों के साक्ष्य पाए गए, लेकिन सबसे ज्यादा साक्ष्य बाघ और तेंदुआ के देखने को मिल रहे हैं।