पंजाब 2027 में अकाली दल-BJP गठबंधन की चर्चा: भूंदड़ बोले- राज्य के मसले हल होंगे तो होगा विचार; बड़े भाई की भूमिका में रहेंगे – Punjab News h3>
शिरोमणि अकाली दल के कार्यकारी प्रधान बलविंदर सिंह भूंदड़ मीडिया से बातचीत करते हुए।
पंजाब में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी इकट्ठे होकर चुनाव लड़ सकती है। शिरोमणि अकाली दल के कार्यकारी प्रधान बलविंदर सिंह भूंदड़ के एक बयान से दोनों दलों के साथ आने की संभावना को बल जरूर मिला है।
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उनका कहना है कि अगर बीजेपी पंजाब के मसलों को हल कर देती है, तो उनके साथ इकट्ठे होने पर विचार किया जा सकता है। हालांकि अकाली दल इसमें बड़े भाई की भूमिका में शामिल होगा। हालांकि बीजेपी का कहना है कि अब बीजेपी पहले वाली नहीं है। बीजेपी की स्थिति बदल गई है। गठबंधन हो या न हो, पंजाब के मसले तो हल किए जाएंगे।
ऐसे शुरू हुआ यह सारा इश्यू
दरअसल, चंडीगढ़ में एक कार्यक्रम में पहुंचे शिरोमणि अकाली दल के कार्यकारी प्रधान बलविंदर सिंह भूंदड़ से जब मीडिया ने सवाल किया कि क्या 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में अकाली दल और भाजपा के गठबंधन की जरूरत है, तो पहले उन्होंने कहा, “मैं इस बारे में टिप्पणी नहीं करना चाहता। हमारा मुख्य लक्ष्य अकाली दल को मजबूत करना और पंजाब को बचाना है। अकाली दल ही पंजाब को मजबूत कर सकता है।”
इसके बाद, जब मीडिया ने कहा कि वोट प्रतिशत के हिसाब से बीजेपी और अकाली दल की अच्छी बनती है, तो भूंदड़ ने जवाब दिया, “वोट प्रतिशत से चुनाव नहीं लड़ा जाता है। चुनाव सिद्धांतों के आधार पर लड़ा जाता है।”
बोले- हमारे मसले एक हों तो सोचा जा सकता है
फिर मीडिया ने पूछा कि क्या उन्हें लगता है कि दोनों दलों का गठबंधन होना चाहिए। इस पर उन्होंने कहा, “अगर हमारे मसले हल हो जाएं, तो इस पर आगे विचार किया जा सकता है। इनमें पंजाब के पानी का मुद्दा, बंदी सिखों का मुद्दा, फेडरल सिस्टम, बॉर्डर खोलने का मामला और फौजों की भर्ती जैसे मुद्दे शामिल हैं।”
जब मीडिया ने पूछा कि क्या अकाली दल छोटे भाई की भूमिका में जाएगा, तो उन्होंने स्पष्ट किया, “अगर जाएंगे, तो बड़े भाई की भूमिका में जाएंगे।”
हालांकि, बीजेपी नेता एसएस चन्नी का कहना है कि अब बीजेपी पहले की तरह नहीं है। बीजेपी सभी सीटों पर चुनाव लड़ चुकी है। गठबंधन हो या न हो, लेकिन पंजाब के मुद्दे पहल के आधार पर हल किए जा रहे हैं। कई मुद्दे हल हुए भी हैं।
किसान आंदोलन के बाद दोनों हुए अलग
जानकारी के मुताबिक 1996 से पंजाब में भाजपा और शिरोमणि अकाली एक साथ गठबंधन में थे। ले किन 2019 में जैसे ही किसान आंदोलन हुआ तो अकाली दल ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ लिया। इसके बाद दोनों दलों की राहें अलग हो गई।
इसके बाद जब 2022 के विधानसभा चुनाव हुए तो दोनों दलों ने अलग-अलग उम्मीदवार मैदान में उतारे ।इस दौरान अकाली दल को तीन व भाजपा को दो सीटों पर सफलता मिली। ऐसी ही स्थिति 2024 के लोकसभा चुनाव में रही। दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा। अकाली दल एक सीट बठिंडा जीत पाया।
यहां पर बादलों की बहू हरसिमरत कौर बादल चुनाव जीती। लेकिन बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा। हालांकि बीजेपी का वोट प्रतिश 18 फीसदी हो गया। हालांकि अकाली और भाजपा मिलकर चुनाव लड़ते तो दोनों दल पांच सीटें जीत सकते थे।