नेता प्रतिपक्ष की रेस तेज, जानिए राजस्थान BJP किस दिग्गज पर खेलेगी दांव
जयपुर: रविवार 2 अप्रेल को भाजपा विधायक दल की बैठक होगी। इस बैठक में नेता प्रतिपक्ष के नाम पर मोहर लगना तय माना जा रहा है। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी और प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह शुक्रवार शाम को जयपुर पहुंचे। विधायक दल की बैठक में पार्टी के आगामी कार्यक्रमों पर चर्चा होने के साथ विधायक दल के नेता के नाम पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाए जाने के बाद से नेता प्रतिपक्ष का पद खाली है। इस प्रमुख पद के लिए बीजेपी के कई नेता दावेदार हैं।
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51 दिन से खाली है नेता प्रतिपक्ष का पद
12 फरवरी 2023 को गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया था। 22 फरवरी को कटारिया ने राज्यपाल पद की शपथ ले ली थी। ऐसे में बीते पौने दो महीने से नेता प्रतिपक्ष का पद रिक्त है। अब पार्टी की ओर से विधानसभा सदस्यों में से नया नेता प्रतिपक्ष चुनना है जो सरकार को सरकार को घेर सके। बीजेपी के विधायकों ने नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए जोर आजमाइश कई दिनों से चल रही है। नेता प्रतिपक्ष बनने की होड़ के पीछे दो बड़े कारण है। पहला तो नेता प्रतिपक्ष को कैबिनेट का दर्जा प्राप्त होता है और दूसरा वह वरिष्ठों की सूची में आने के कारण मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शामिल हो जाते हैं। राजस्थान बीजेपी में चार विधायक नेता प्रतिपक्ष पद के प्रबल दावेदार बताए जा रहे हैं।
राजस्थान के चूरू से विधायक हैं राजेन्द्र राठौड़
विधानसभा क्षेत्र चुरू से बीजेपी विधायक राजेन्द्र राठौड़ पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। वे पिछले 30 साल से राजनीति में सक्रिय हैं। राठौड़ सातवीं बार विधायक बने हैं। 6 बार चूरू और एक बार तारानगर से चुनाव जीता। पहली बार वे चूरू से जनता दल के विधायक बने। बाद में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर लगातार 6 बार चुनाव जीता। यानी पिछले 30 सालों में उन्हें एक बार भी हार का सामना नहीं करना पड़ा। हालांकि पिछले विधानसभा चुनावों में जीत का अंतर काफी कम रहा। वर्तमान में वे उपनेता प्रतिपक्ष हैं। नेता प्रतिपक्ष पद के लिए वे प्रबल दावेदार हैं क्योंकि विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरने में राजेन्द्र राठौड़ सबसे आगे रहते हैं।
सतीश पूनिया प्रदेशाध्यक्ष के बाद बन सकते हैं नेता प्रतिपक्ष
आमेर विधानसभा क्षेत्र से विधायक सतीश पूनिया हालांकि पहली बार चुनाव जीते हैं लेकिन संघ पृष्ठभूमी के चलते पिछले कई सालों से पार्टी में सक्रिय हैं। ने छात्र जीवन से ही आरएसएस से जुड़े और बाद में बीजेपी में सक्रिय रहे। सतीश पूनिया वर्ष 2011 में लालकृष्ण आडवाणी की जन चेतना यात्रा के संयोजक थे। वसुंधरा राजे की सुराज संकल्प यात्रा के संचालन में भी सतीश पूनिया मुख्य भूमिका में थे। सतीश पूनिया पिछले सवा तीन साल से बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष हैं। पूनिया पहले ऐसे प्रदेशाध्यक्ष हैं जो प्रदेश के सभी जिलों और विधानसभा क्षेत्रों में लगातार दौरे कर रहे हैं।
जयपुर से विधायक सराफ को मिल सकता है चांस
जयपुर शहर के मालवीय नगर से बीजेपी विधायक कालीचरण सराफ पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। पहली बार वे जौहरी बाजार से वर्ष 1990 में विधायक बने थे। पिछले 30 सालों में कालीचरण सराफ सिर्फ एक बार 1998 में वे चुनाव हारे थे जबकि 1993, 2003, 2008, 2013 और 2018 में उन्होंने बीजेपी के टिकट पर हर बार जीत दर्ज की। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में कालीचरण सराफ मंत्री भी रहे। सराफ अच्छे वक्ता हैं और राजनीति को समझ रखते हैं। नेता प्रतिपक्ष पद की दौड़ में सराफ भी प्रबल दावेदार हैं।
पूर्व शिक्षा मंत्री को मिल सकता है चांस
अजमेर जिले की अजमेर उत्तर विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक वासुदेव देवनानी भी पार्टी के सीनियर नेताओं में से एक हैं। पिछले 15 साल से लगातर विधायक हैं। वर्ष 2003 से 2008 और वर्ष 2013 से 2018 तक वसुंधरा राजे के कार्यकाल में वे मंत्री भी रह चुके हैं। संघ पृष्ठभूमी के नेताओं में देवनानी एक बड़ा नाम है। वे 9 साल तक एबीवीपी के अध्यक्ष रहे हैं। (रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड़, जयपुर)