नीतीश 12 फरवरी को बहुमत साबित करेंगे, अवध बिहारी नहीं हटे तो स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग

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नीतीश 12 फरवरी को बहुमत साबित करेंगे, अवध बिहारी नहीं हटे तो स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग
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नीतीश 12 फरवरी को बहुमत साबित करेंगे, अवध बिहारी नहीं हटे तो स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग

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नई सरकार के गठन के बाद विधानसभा अध्यक्ष अवध विहारी चौधरी यदि इस्तीफा नहीं देते हैं तो विधानसभा में मतदान से उनके भविष्य का फैसला होगा। इसमें उनका जाना लगभग तय है। ऐसे में 12 फरवरी को ही विधानसभा के अंदर उनके भाग्य का निर्णय हो जाएगा। वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 12 फरवरी को ही विश्वास मत प्राप्त करेंगे। 17वें विधानसभा में यह दूसरा अवसर है, जब विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया है। यह भी पहली बार है जब किसी एक विधानसभा की अवधि में दो बार ऐसा हुआ हो। इसके पहले वर्ष 2022 में निवर्तमान विधानसभा अध्यक्ष व मौजूदा उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया था। ऐसे यह चौथा अवसर है जब किसी विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया है। इसके पहले कांग्रेस के शिवचन्द्र झा और विन्ध्येश्वरी प्रसाद वर्मा के खिलाफ भी अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। 

विधानसभा अध्यक्ष अड़े तो ….

यदि विधानसभा अध्यक्ष अड़े तो भी नयी सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। एनडीए गठबंधन को उनके खिलाफ रविवार की देर रात दिये गये अविश्वास प्रस्ताव की नोटिस के बाद ही उनका भविष्य तय हो गया है।

इस नोटिस के आधार पर 12 फरवरी को विधानसभा का सत्र आहूत होना था। इस दिन उन्हें अपनी कुर्सी से नोटिस की जानकारी देनी होगी और फिर आगे की कार्यवाही शुरू होगी। नोटिस के समर्थन में सदन के अंदर 38 विधायकों को अपनी सहमति दिखानी होगी। इसके बाद अविश्वास प्रस्ताव पर कार्रवाई होगी। कुर्सी पर विधानसभा अध्यक्ष की जगह कोई दूसरे को बैठना होगा। ऐसे में विधानसभा उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी की भूमिका अहम होगी।

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एनडीए की ओर से दिया गया है अविश्वास प्रस्ताव:

एनडीए की ओर से बीती रात विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया गया है। भाजपा के नंदकिशोर यादव, तारकिशोर प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, जदयू के विनय कुमार चौधरी, रत्नेश सदा समेत कई अन्य विधायकों की ओर से विधानसभा सचिव को यह नोटिस भेजी गयी है। इसमें विधायकों ने कहा है कि वर्तमान अध्यक्ष पर इस सभा का विश्वास नहीं रह गया है। दरअसल, विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली के नियम-110 के तहत नोटिस देने के 14 दिन बाद ही सदन में स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जा सकता है। ऐसे में नई सरकार जिस दिन विधानसभा सत्र आहूत करने की घोषणा करेगी, उसके 14 दिन पहले गठबंधन के विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ नोटिस देना होता है। 

पुरानी सरकार के जाते ही विधानमंडल को लेकर सारे फैसले निरस्त:

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस्तीफा देते ही विधानमंडल के बजट सत्र समेत अन्य फैसले स्वत: निरस्त हो गए। यही नहीं सत्र में पूछे जाने वाले सारे सवाल भी खत्म हो गए। अब नए सिरे से सदन में पूछे जाने के लिए विधायकों-विधानपार्षदों को सवाल देने होंगे।

दिनभर काम निपटाते रहे चौधरी:

विधानसभा अध्यक्ष अवध विहारी चौधरी सामान्य दिन की तरह विधानसभा आए और रूटिन काम निपटाते रहे। कुछ समय के लिए उनके कक्ष के बाहर लाल बत्ती भी जली, जब उन्होंने आवश्यक कार्य निपटाया। हालांकि, उन्होंने कुछ कानूनविदों से भी बातचीत की और उनसे राय-मशविरा किया। उधर, विधानसभा उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी भी पहले तल्ले पर अपने कमरे में मौजूद थे। वे भी अपना सामान्य कार्य करते रहे। 

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