नालंदा विश्ववि‌द्यालय में आयोजित होगा बोधगया ग्लोबल डायलॉग्स 2024

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नालंदा विश्ववि‌द्यालय में आयोजित होगा बोधगया ग्लोबल डायलॉग्स 2024
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नालंदा विश्ववि‌द्यालय में आयोजित होगा बोधगया ग्लोबल डायलॉग्स 2024

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बोधगया ग्लोबल डायलॉग्स 2024 के संस्करण का आयोजन 16 और 17 मार्च 2024 को नालंदा विश्ववि‌द्यालय राजगीर में होने वाला है। देशकाल सोसाइटी के सहयोग से आयोजित होने वाला यह शैक्षणिक कार्यक्रम इस वर्ष बोधगया, राजगीर तथा नालंदा के ऐतिहासिक विरासत व ज्ञान परंपरा में इन क्षेत्रों के योगदान के परिदृश्य पर केंद्रित होगा। दो दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम का उ‌द्घाटन बिहार के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर द्वारा किया जाएगा।
बोधगया ग्लोबल डायलॉग्स में आयोजित संवादों का उ‌द्देश्य वरिष्ठ शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं के बीच विचार-विमर्श के माध्यम से भारतीय जान परम्परा को व्यापक और समृ‌द्ध करना है। उक्त कार्यक्रम की जानकारी बोधगया के एक निजी होटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी गई। नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अभय कुमार सिंह ने उपस्थित पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा। कार्यक्रम में बौद्ध दर्शन की शिक्षाओं के व्यापक अंतरसंबंधों पर हुए अ‌द्यतन अनुसंधान पर शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं द्वारा विचार-विमर्श के माध्यम से बिहार की स्थानीयता, विरासत और इसके पुनर्निर्माण व संरक्षण के पहलुओं पर प्रकाश डाला जाएगा।

बोधगया ग्लोबल डायलॉग्स के पिछले संस्करणों ने भारत के विभिन्न राज्यों के प्रतिभागियों के साथ-साथ दुनिया भर के प्रतिनिधियों को आकर्षित किया है। सांस्कृतिक आदान-प्रदान की परंपरा को जारी रखते हुए इस वर्ष भी बोधगया ग्लोबल डायलॉग्स में राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय शिक्षाविदों, छात्रों, नीति निर्माताओं, और कलाकारों की प्रतिभागिता आपेक्षित है।नालंदा विश्ववि‌द्यालयः 2010 में पुनर्जीवित इस विश्वविद्यालय का उद्देश्य अकादमिक उत्कृष्टता और उच्च शिक्षा में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है।

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लगभग एक सहस्राब्दी के बाद नालंदा के विशाल परिसर में तीस से अधिक देशों के छात्रों अध्ययनरत हैं। सदियों से नालंदा एशियाई जान का प्रतीक रहा है। यह विश्वविद्यालय अपने नए अवतार में एक बार फिर इसी तरह की यात्रा पर निकलने के लिए तैयार हो रहा है।इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में संजय कुमार, डा प्रांशु समदर्शी,सुरभि मौर्य देशकाल सोसाइटी में प्रोग्राम मैनेजर, मगध विवि इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो मनीष सिन्हा, सहायक प्राध्यापक डॉ दीपारानी मौजूद थीं ।

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