नालंदा लोकसभा: नीतीश का समाजवादी गढ़ ढहाने पर लेफ्ट की नजर, जेडीयू का किला बचा पाएंगे कौशलेंद्र?

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नालंदा लोकसभा: नीतीश का समाजवादी गढ़ ढहाने पर लेफ्ट की नजर, जेडीयू का किला बचा पाएंगे कौशलेंद्र?
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नालंदा लोकसभा: नीतीश का समाजवादी गढ़ ढहाने पर लेफ्ट की नजर, जेडीयू का किला बचा पाएंगे कौशलेंद्र?

ज्ञान, तप और मेधा की धरती नालंदा की पहचान पूरी दुनिया में है। बुद्ध ने राजगीर की पहाड़ियों से दुनिया को उपदेश दिया तो भगवान महावीर ने यहीं मोक्ष प्राप्त किए। नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर आज भी ज्ञान की विरासत के रूप में मौजूद है। अफगानिस्तान तक फैले मगध साम्राज्य की राजधानी राजगीर थी। राजनीति के पर्याय माने जाने वाले चाणक्य की प्रयोगशाला यही धरती रही, जिसने चंद्रगुप्त मौर्य को राजगद्दी दिलाई। आज भी देश की राजनीति में यहां के महारथियों की धाक बरकरार है। लोकसभा चुनाव 2024 में यहां की लड़ाई किला बचाने और गढ़ ढहाने की है। समता पार्टी और फिर जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) का गढ़ माने जाने वाली नालंदा लोकसभा में समाजवादी और वामपंथी विचारधारा आमने-सामने है। एनडीए के बैनर तले जेडीयू के कौशलेंद्र कुमार चौथी बार चुनाव मैदान में हैं तो इंडिया गठबंधन की ओर से सीपीआई माले के डॉ. संदीप सौरभ। कौशलेंद्र मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू का किला बचाने को पूरी ताकत लगाए हुए हैं तो संदीप इस गढ़ को ढहाने मजबूती से मैदान में उतरे हैं।

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गृह जिला होने के चलते यह सीट मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा वाली मानी जाती है। राजनीतिक दृष्टि से भी नालंदा की धरती पहले से उर्वरा रही है। यहां से देश के कई प्रमुख नेता सांसद रहे। दिग्गज समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नाडीस के अलावा बिहार के मौजूदा सीएम नीतीश कुमार यहां के सांसद रहे। शुरुआत के वर्षों में कांग्रेस और फिर वामपंथियों का यह किला रहा। पहले इस लोकसभा क्षेत्र का नाम पटना सेंट्रल हुआ करता था। 1952 में हुए पहले चुनाव में पटना सेंट्रल से कांग्रेस के कैलाशपति सिन्हा पहले सांसद बने। 1957 के चुनाव में पटना सेंट्रल का नाम बदलकर नालंदा लोकसभा क्षेत्र हो गया। कैलाशपति दुबारा इस सीट से सांसद बने। इसके बाद 1962 से 1971 के बीच हुए चुनाव में कांग्रेस के सिदेश्वर प्रसाद सांसद चुने गए।

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इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव में पहली बार जनता पार्टी के बीरेन्द्र प्रसाद चुने गए। फिर सीपीआई के विजय कुमार यादव 1980 और 1984 में सांसद चुने गए। 1989 में कांग्रेस ने फिर से इस सीट पर कब्जा कर लिया और रामस्वरूप प्रसाद सांसद बने। 1991 में सीपीआई के विजय कुमार यादव फिर चुनाव जीते। 1996 से 1999 तक लगातार जॉर्ज फर्नाडीस सांसद रहे। 2004 में बिहार के मौजूदा सीएम नीतीश कुमार भी यहां से सांसद बने। उनके सीएम बनने के बाद 2005 में हुए उपचुनाव में रामस्वरूप प्रसाद सांसद चुने गए। तब से इस सीट पर जेडीयू का कब्जा है। 

नालंदा लोकसभा सीट पर बीते 28 सालों से समता पार्टी और जेडीयू का कब्जा है। सीपीआई माले प्रत्याशी संदीप पटना जिले के पालीगंज विधानसभा क्षेत्र से विधायक भी हैं। सीट पर कब्जा बनाने के लिए दोनों ही पार्टियां जी-जान से जुटी हुई हैं। जेडीयू के प्रचार की कमान खुद सीएम नीतीश कुमार ने संभाल रखी है। चुनावी सभाओं के अलावा सीएम ने रोड शो भी किया है। एनडीए के अन्य नेताओं ने भी नालंदा में चुनाव प्रचार किया है। विपक्षी खेमे से माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सहित अन्य नेता प्रचार की कमान संभाले हुए हैं।

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यह सीट क्यों है खास : 

नालंदा सीट से बिहार के मौजूदा सीएम नीतीश कुमार के अलावा देश के दिग्गज समाजवादी जॉर्ज फर्नाडीस भी सांसद रहे। यह लोकसभा क्षेत्र मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला भी है। नालंदा के हरनौत प्रखंड में अवस्थित कल्याण बिगहा गांव सीएम का पैतृक घर है। 2014 में जब जेडीयू को मात्र दो सीट मिली थी तब भी पार्टी को नालंदा में जीत हासिल हुई थी।

जेएनयू के छात्र नेता रहे हैं संदीप

भाकपा माले के टिकट पर नालंदा से चुनाव लड़ रहे संदीप सौरभ का जन्म 1988 में हुआ। वे अभी पटना जिले के पालीगंज विस क्षेत्र से विधायक भी हैं। पटना जिले के मनेर निवासी संदीप के पिता किसान थे। पीयू से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे दिल्ली के जेएनयू में भाषा विद्यालय के अंतर्गत भारतीय भाषा केंद्र में शामिल हो गए जहां उन्होंने 2009 में एम.ए., एम फिल और 2014 में हिंदी में पीएचडी भी पूरी की। सौरव ने असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी छोड़ दी और राजनीति में शामिल हो गए। सौरव वामपंथी छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव थे। वे 2013 में जेएनयू छात्र संघ के पार्षद और महासचिव थे।

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चौका लगाने उतरे सांसद कौशलेंद्र

नालंदा के मौजूदा सांसद कौशलेन्द्र कुमार वर्ष 2009 में पहली बार जदयू के टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीते। 2014 और 2019 का चुनाव भी जीते। इस बार वे चौथी बार जीत हासिल करने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। कौशलेन्द्र कुमार के पिता किसान थे। कौशलेंद्र कुमार की शादी 1979 में रवीना कुमारी से हुई। उनको दो बेटा व एक बेटी है। पत्नी नालंदा से जिला परिषद सदस्य रही हैं। उन्होंने अपनी शिक्षा एसपीएम कॉलेज नालंदा, मगध विश्वविद्यालय से प्राप्त की। उन्होंने कला में स्नातक की डिग्री प्राप्त की है। साथ ही किसान कॉलेज, सोहसराय नालंदा से कृषि की शिक्षा भी प्राप्त की है।

नालंदा लोकसभा सीट पर अब तक जीतने वाले उम्मीदवारों के नाम

साल    नाम       पार्टी


1957 कैलाशपति सिन्हा कांग्रेस

1962 सिद्देश्वर प्रसाद कांग्रेस

1967 सिद्देश्वर प्रसाद कांग्रेस

1971 सिद्देश्वर प्रसाद कांग्रेस

1977 बीरेन्द्र प्रसाद जनता पार्टी

1980 विजय कुमार यादव भाकपा

1984 विजय कुमार यादव भाकपा

1989 रामस्वरूप प्रसाद कांग्रेस

1991 विजय कुमार यादव भाकपा

1996 जॉर्ज फर्नाडीस समता पार्टी

1998 जॉर्ज फर्नाडीस समता पार्टी

1999 जॉर्ज फर्नाडीस समता पार्टी

2004 नीतीश कुमार जदयू

2005 रामस्वरूप प्रसाद जदयू

2009 कौशलेन्द्र कुमार जदयू

2014 कौशलेन्द्र कुमार जदयू

2019 कौशलेन्द्र कुमार जदयू

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