नालंदा लोकसभा चुनाव : 1952 से अबतक महज 12 महिलाएं बनीं प्रत्याशी, जीत एक की भी नहीं

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नालंदा लोकसभा चुनाव : 1952 से अबतक महज 12 महिलाएं बनीं प्रत्याशी, जीत एक की भी नहीं

नालंदा लोकसभा चुनाव : 1952 से अबतक महज 12 महिलाएं बनीं प्रत्याशी, जीत एक की भी नहीं

नालंदा लोकसभा चुनाव : 1952 से अबतक महज 12 महिलाएं बनीं प्रत्याशी, जीत एक की भी नहीं
सभी महिला प्रत्याशियों की हुई जमानत जब्त

1952 से अब तक पड़े वोटों के महज 1.11 फीसद मत पड़े महिला प्रत्याशियों को

फोटो :

इलेक्शन : 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान बिहारशरीफ के बूथ पर वोट के लिए अपनी बारी का इंतजार करतीं महिलाएं। (फाइल फोटो)

बिहारशरीफ, कार्यालय संवाददाता/आशुतोष कुमार आर्य।

पहले से अब तक हुए लोकसभा चुनावों में जिले की आधी आबादी की सहभागिता नगण्य रही है। वर्ष 1951-52 से 2019 तक महज 12 महिलाओं ने चुनावी अखाड़ा में उतरने की हिम्मत की। वर्ष 2004 के चुनाव में एक महिला ने नामांकन पत्र भरा, लेकिन चुनाव में उतरने से पहले ही नाम वापस ले लिया। इस तरह, 11 महिलाएं चुनावी समर में उतरीं। लेकिन, विडंबना यह कि अब तक एक भी महिला को यहां के मतदाताओं ने जीत का परचम लहराने का मौका नहीं दिया। हद तो यह कि इन 11 में से एक भी महिला प्रत्याशी ने इतना भी वोट नहीं लाया कि उनकी जमानत बच सके। वर्ष 1952 से 2019 तक जितने वोट पड़े, उनके महज 1.11 फीसद मत ही महिलाओं के नाम गये। अब तक हुए 17 लोकसभा चुनावों में कुल 249 प्रत्याशियों ने चुनावी लड़ाई लड़ी। इनमें महिलाओं की संख्या महज 11 है।

वर्ष 1952 से लेकर अब तक नालंदा संसदीय क्षेत्र (पटना सेंट्रल) में कांग्रेस के बाद वामदल और अब जदयू का दबदबा है। ऐसी बात नहीं कि बड़े दलों ने प्रत्याशी नहीं बनाया। लेकिन, जिस वक्त जिले में जो दबदबा वाली पार्टियां थीं, उसने महिलाओं को टिकट देने का रिस्क नहीं लिया। वर्ष 1991 में भाजपा ने चंद्रकांता सिन्हा को अपना प्रत्याशी बनाया। उन्होंने 66 हजार 789 (8.5 फीसद) वोट लाकर नालंदा संसदीय क्षेत्र के इतिहास में सबसे अधिक वोट लाने वाली महिला प्रत्याशी बनीं। वहीं, सीपीआईएमएल ने शशि यादव को दो बार उम्मीदवार बनाया। सभी 11 महिलाओं में कुमारी बच्ची सिन्हा को सबसे कम 115 वोट लाने का रिकॉर्ड है।

क्या होती है जमानत राशि:

पंचायत चुनाव से लेकर राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को जमानत राशि देनी होती है। लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को 25 हजार, तो एससी-एसटी को 12 हजार 500 रुपये जमा कराने होते हैं। जबकि, विधानसभा चुनाव में सामान्य वर्ग को 10 हजार, तो एससी-एसटी को पांच हजार रुपये जमा कराने होते हैं। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाले सभी वर्गों के प्रत्याशी को समान रूप से 15 हजार रुपये जमा कराने होते हैं।

क्यों हो जाती है जमानत जब्त :

चुनाव आयोग के मुताबिक जब कोई उम्मीदवार सीट पर पड़े कुल वोटों का 1/6 यानी 16.66 फीसद वोट हासिल नहीं कर पाता, तो उसकी जमानत राशि जब्त कर ली जाती है। अगर किसी सीट पर एक लाख वोट पड़े, तो 16 हजार 666 से कम वोट लाने वाले की जमानत राशि जब्त कर ली जाती है। लेकिन, जीतने वाले उम्मीदवार को उसकी रकम वापस कर दी जाती है, भले ही उसे 1/6 से कम वोट मिले हों। वहीं दूसरी ओर, वोटिंग शुरू होने से पहले अगर किसी उम्मीदवार की मौत हो जाती है, तो उसके परिजनों को रकम लौटा दी जाती है। उम्मीदवार का नामांकन रद्द होने या नामांकन वापस लेने की स्थिति में भी जमानत राशि वापस कर दी जाती है।

आंकड़े की नजर में नालंदा लोकसभा चुनाव :

कुल हुए चुनाव : 17

1952 से 2019 तक पड़े कुल वोट : 1,05,22,189

1952 से 2019 तक कितने प्रत्याशी चुनाव लड़े : 249

अब तक कितनी महिलाओं ने नामांकन किया : 12

कितनी महिलाओं ने चुनाव लड़ा : 11

जमानत राशि बचाने में सफल रही महिला प्रत्याशी : 0

कौन महिला कब बनीं प्रत्याशी :

नाम : चुनावी वर्ष : पार्टी : पाये वोट : वोट फीसद

1. चंद्रकांता सिन्हा : 1991 : भाजपा : 66,789 : 8.5

2. उषा प्रसाद : 1991 : बीएसपी : 2,355 : 0.30

3. सुकांता शर्मा : 1991 : निर्दलीय : 247 : 0.03

4. कुमारी बच्ची सिन्हा : 1996 : निर्दलीय : 115 : 0.01

5. शशि यादव : 2009 : सीपीआईएमएल : 9,514 : 1.70

6. रेखा कुमारी : 2009 : अपना दल : 1,553 : 0.3

7. शशि यादव : 2014 : सीपीआईएमएल : 19,477 : 2.11

8. लता सिन्हा : 20014 : निर्दलीय : 2,237 : 0.2

9. रेखा कुमारी : 2019 : पीएम : 9,150 : 0.9

10. उषा देवी : निर्दलीय : 3,381 : 0.3

11. नीता देवी : निर्दलीय : 2,399 : 0.2

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