नालंदा ने भारत के पड़ोसी देशों से संबंध स्थापित करने में सेतु की भूमिका निभाई : कुलपति h3>
नालंदा ने भारत के पड़ोसी देशों से संबंध स्थापित करने में सेतु की भूमिका निभाई : कुलपति
नालंदा विश्वविद्यालय में बिम्सटेक पर संगोष्ठी का आयोजन
विदेश मंत्रालय के सचिव जयदीप मजूमदार रहे मुख्य अतिथि
फोटो:
सेक्रेट्री :नालंदा विश्वविद्यालय में मंगलवार को विदेश मंत्रालय के सचिव जयदीप मजूमदार को अंगवस्त्र देकर स्वागत करते कुलपति डॉ. अभय कुमार सिंह।
राजगीर, कार्यालय संवाददाता।
नालंदा विश्वविद्यालय में मंगलवार को सेंटर फॉर बे ऑफ बंगाल स्टडीज ने ‘बिम्सटेक और खाड़ी : भविष्य की दिशा पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कुलपति प्रो. अभय कुमार सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया और क्षेत्रीय सहयोग और विकास के लिए बिम्सटेक और खाड़ी के महत्व को उजागर किया। कहा कि नालंदा ने भारत के पड़ोसी देशों के साथ संबंध स्थापित करने में एक सेतु की भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि नालंदा यूनिवर्सिटी बिम्सटेक से जुड़े सदस्य देशों के बीच सहयोग की भावना का प्रतीक है।
विदेश मंत्रालय के सचिव जयदीप मजूमदार संगोष्ठी के मुख्य अतिथि थे। संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए कहा कि नालंदा वैश्विक स्तर पर एक ऐसा शिक्षा केंद्र है, जहां अनेक राष्ट्रों के विद्यार्थी व शिक्षक मौजूद हैं। यह ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना का प्रत्यक्ष उदाहरण है। इसलिए यह उचित ही है कि यह बंगाल की खाड़ी अध्ययन केंद्र नए नालंदा विश्वविद्यालय के परिसर में स्थित है।
राजदूत मजूमदार ने कहा कि विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंध और शांति अध्ययन से संबंधित स्कूल का शुभारंभ नालंदा को अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान का प्रमुख केंद्र बनाने का सफल प्रयास साबित होगा। बिम्सटेक का महत्व अतुलनीय है। हमारे सात सदस्य देशों की कुल आबादी 1.8 बिलियन हैं, जो वैश्विक आबादी का लगभग 22 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि इस जनसंख्या की ताकत हमारी सामरिक भौगोलिक स्थिति के साथ संयुक्त है, जिससे बिम्सटेक दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों को जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत के दृष्टिकोण को उजागर करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की दृष्टि समावेशी, सतत विकास और क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और स्थिरता की है। उन्होंने जोर दिया कि भारत, कृषि, ऊर्जा, स्वास्थ्य या डिजिटल क्षेत्र सहित अन्य क्षेत्रों में अपनी क्षमताओं को सभी सदस्य देशों के साथ साझा करने के लिए संकल्पित है। बिम्सटेक परिवर्तनकारी यात्रा के कगार पर खड़ा है।
एशियन डेवलपमेंट बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक सह जनरल डॉ. रजत एम. नाग, एशियन कॉन्फ्लुएंस, शिलॉन्ग के कार्यकारी निदेशक और संस्थापक सब्यसाची दत्ता, मणिपुर सेंट्रल विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. लोइटोंगबाम बिश्वजीत सिंह और ओपी जिंदल ग्लोबल विश्वविद्यालय की प्रोफेसर श्रीराधा दत्ता ने भी अपनी राय रखी।
बंगाल की खाड़ी अध्ययन केंद्र के समन्वयक डॉ. राजीव रंजन चतुर्वेदी ने कहा किबंगाल की खाड़ी द्वारा एकीकृत बिम्सटेक राष्ट्र क्षेत्रीय सहयोग और सतत विकास को बढ़ावा देने के साझा दृष्टिकोण से जुड़े हुए हैं। इसके जरिए भारत अपने बढ़ते राजनीतिक समर्थन और प्रतिबद्धता का साक्षी बन रहा है।
यह हिन्दुस्तान अखबार की ऑटेमेटेड न्यूज फीड है, इसे लाइव हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है।
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नालंदा ने भारत के पड़ोसी देशों से संबंध स्थापित करने में सेतु की भूमिका निभाई : कुलपति
नालंदा विश्वविद्यालय में बिम्सटेक पर संगोष्ठी का आयोजन
विदेश मंत्रालय के सचिव जयदीप मजूमदार रहे मुख्य अतिथि
फोटो:
सेक्रेट्री :नालंदा विश्वविद्यालय में मंगलवार को विदेश मंत्रालय के सचिव जयदीप मजूमदार को अंगवस्त्र देकर स्वागत करते कुलपति डॉ. अभय कुमार सिंह।
राजगीर, कार्यालय संवाददाता।
नालंदा विश्वविद्यालय में मंगलवार को सेंटर फॉर बे ऑफ बंगाल स्टडीज ने ‘बिम्सटेक और खाड़ी : भविष्य की दिशा पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कुलपति प्रो. अभय कुमार सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया और क्षेत्रीय सहयोग और विकास के लिए बिम्सटेक और खाड़ी के महत्व को उजागर किया। कहा कि नालंदा ने भारत के पड़ोसी देशों के साथ संबंध स्थापित करने में एक सेतु की भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि नालंदा यूनिवर्सिटी बिम्सटेक से जुड़े सदस्य देशों के बीच सहयोग की भावना का प्रतीक है।
विदेश मंत्रालय के सचिव जयदीप मजूमदार संगोष्ठी के मुख्य अतिथि थे। संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए कहा कि नालंदा वैश्विक स्तर पर एक ऐसा शिक्षा केंद्र है, जहां अनेक राष्ट्रों के विद्यार्थी व शिक्षक मौजूद हैं। यह ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना का प्रत्यक्ष उदाहरण है। इसलिए यह उचित ही है कि यह बंगाल की खाड़ी अध्ययन केंद्र नए नालंदा विश्वविद्यालय के परिसर में स्थित है।
राजदूत मजूमदार ने कहा कि विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंध और शांति अध्ययन से संबंधित स्कूल का शुभारंभ नालंदा को अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान का प्रमुख केंद्र बनाने का सफल प्रयास साबित होगा। बिम्सटेक का महत्व अतुलनीय है। हमारे सात सदस्य देशों की कुल आबादी 1.8 बिलियन हैं, जो वैश्विक आबादी का लगभग 22 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि इस जनसंख्या की ताकत हमारी सामरिक भौगोलिक स्थिति के साथ संयुक्त है, जिससे बिम्सटेक दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों को जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत के दृष्टिकोण को उजागर करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की दृष्टि समावेशी, सतत विकास और क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और स्थिरता की है। उन्होंने जोर दिया कि भारत, कृषि, ऊर्जा, स्वास्थ्य या डिजिटल क्षेत्र सहित अन्य क्षेत्रों में अपनी क्षमताओं को सभी सदस्य देशों के साथ साझा करने के लिए संकल्पित है। बिम्सटेक परिवर्तनकारी यात्रा के कगार पर खड़ा है।
एशियन डेवलपमेंट बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक सह जनरल डॉ. रजत एम. नाग, एशियन कॉन्फ्लुएंस, शिलॉन्ग के कार्यकारी निदेशक और संस्थापक सब्यसाची दत्ता, मणिपुर सेंट्रल विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. लोइटोंगबाम बिश्वजीत सिंह और ओपी जिंदल ग्लोबल विश्वविद्यालय की प्रोफेसर श्रीराधा दत्ता ने भी अपनी राय रखी।
बंगाल की खाड़ी अध्ययन केंद्र के समन्वयक डॉ. राजीव रंजन चतुर्वेदी ने कहा किबंगाल की खाड़ी द्वारा एकीकृत बिम्सटेक राष्ट्र क्षेत्रीय सहयोग और सतत विकास को बढ़ावा देने के साझा दृष्टिकोण से जुड़े हुए हैं। इसके जरिए भारत अपने बढ़ते राजनीतिक समर्थन और प्रतिबद्धता का साक्षी बन रहा है।
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