नालंदा के जलाशयों में गूंजी पंछियों की मधुर तान: तीन वर्षों में संख्या हुई ढाई गुनी; कई दुर्लभ और रंग बिरंगी पक्षियों की गणना – Nalanda News

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नालंदा के जलाशयों में गूंजी पंछियों की मधुर तान:  तीन वर्षों में संख्या हुई ढाई गुनी; कई दुर्लभ और रंग बिरंगी पक्षियों की गणना – Nalanda News
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नालंदा के जलाशयों में गूंजी पंछियों की मधुर तान: तीन वर्षों में संख्या हुई ढाई गुनी; कई दुर्लभ और रंग बिरंगी पक्षियों की गणना – Nalanda News

नालंदा जिले के जलाशय और आर्द्र भूमि क्षेत्र एक बार फिर से पक्षियों की मधुर चहचहाहट से गुंजायमान हो उठे हैं। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर से संपन्न कराई गई ‘एशियाई जल पक्षी गणना-2024’ की रिपोर्ट ने एक अत्यंत उत्साहजनक तस्वीर प्रस्तुत क

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आंकड़ों में छुपी सफलता की कहानी

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केवल तीन वर्षों की अवधि में पक्षियों की संख्या में ढाई गुना वृद्धि हुई है, जबकि प्रजातियों की संख्या 28 से बढ़कर 67 तक पहुंच गई है। वर्तमान में जिले के विभिन्न जलाशयों में कुल 2,751 पक्षी दर्ज किए गए हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

वन प्रमंडल पदाधिकारी राजकुमार एम. के अनुसार, ‘ये आंकड़े न केवल नालंदा की जैव विविधता की समृद्धि को प्रदर्शित करते हैं, बल्कि हमारे पारिस्थितिकी तंत्र की बेहतरी का भी प्रमाण हैं। 2022 में जहां केवल 1,062 पक्षी और 28 प्रजातियां दर्ज की गई थीं, वहीं 2023 में यह संख्या बढ़कर 2,571 पक्षी और 42 प्रजातियां हो गई थी।’

दुर्लभ पक्षियों की भी हुई गणना।

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जागरूकता अभियान का महत्वपूर्ण योगदान

वृद्धि के पीछे कई महत्वपूर्ण कारक हैं। प्रमुख रूप से पिछले वर्ष की अच्छी वर्षा ने जलाशयों के जल स्तर को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। साथ ही, अवैध शिकार पर लगाई गई प्रभावी रोक, वन कर्मचारियों द्वारा निरंतर गश्त और स्थानीय जनता में बढ़ती पर्यावरण चेतना ने इस सकारात्मक परिवर्तन में योगदान दिया है।

वन विभाग की ओर से चलाए जा रहे निरंतर जागरूकता अभियान का भी इस सफलता में महत्वपूर्ण योगदान है। स्थानीय समुदाय की बढ़ती सहभागिता और पक्षी संरक्षण के प्रति उनकी जागरूकता ने इस पहल को और भी मजबूती प्रदान की है।

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सबसे ज्यादा 2,337 जल पक्षी

यह गणना जिले के छह प्रमुख जलाशयों और नदी क्षेत्रों में संपन्न की गई। इनमें गंगाजी राजगृह जलाशय, पुष्कर्णी झील, गिद्धि झील (बेगमपुर), आयुध निर्माणी का जलाशय, पावापुरी और पंचानन नदी के क्षेत्र शामिल थे।

गणना के अनुसार कुल 2,751 पक्षियों में से 2,337 जल पक्षी, 372 भूमि पक्षी और 42 आर्द्र भूमि पर निर्भर पक्षी शामिल हैं। यह विविधता इस बात का प्रमाण है कि यह क्षेत्र विभिन्न प्रकार के पक्षियों के लिए उपयुक्त आवास प्रदान कर रहा है।

दुर्लभ प्रजातियों की वापसी

कई दुर्लभ और रंग-बिरंगे पक्षियों की उपस्थिति दर्ज की गई है। नीलसर जलमुर्गी, कांस्य-पंख जकाना, ओपनबिल सारस, तालाब बगुला, छोटी सीटी बतख, साधारण जलमुर्गी, मध्य बगुला, छोटा बगुला, साधारण सैंडपाइपर, तीतर-पूंछ जकाना, धूसर बगुला, यूरेशियन कॉलर्ड फाख्ता, गैडवेल, सामान्य तील, सफेद-आंखों वाली पोचार्ड, उत्तरी पिनटेल, छोटा रिंग प्लोवर और नीला गला जैसी प्रजातियों की उपस्थिति ने पक्षी प्रेमियों में उत्साह का संचार किया है।

पक्षियों की बढ़ती संख्या केवल एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि यह पर्यावरणीय स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण संकेतक है। पक्षी पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी बढ़ती संख्या से पता चलता है कि जल की गुणवत्ता में सुधार हुआ है और भोजन की उपलब्धता बेहतर हुई है।

तीन वर्षों में पक्षियों का बढ़ता कुनबा

2022: 1,062 पक्षी, 28 प्रजातियां

2023: 2,571 पक्षी, 42 प्रजातियां

2024: 2,751 पक्षी, 67 प्रजातियां

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