नाबालिग यौन उत्पीड़न केस- पूर्व अफसर की सजा बरकरार: बॉम्बे हाईकोर्ट बोला- बच्ची बैड टच समझती थी; सैन्य अदालत ने 5 साल की सजा सुनाई थी

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नाबालिग यौन उत्पीड़न केस- पूर्व अफसर की सजा बरकरार:  बॉम्बे हाईकोर्ट बोला- बच्ची बैड टच समझती थी; सैन्य अदालत ने 5 साल की सजा सुनाई थी
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नाबालिग यौन उत्पीड़न केस- पूर्व अफसर की सजा बरकरार: बॉम्बे हाईकोर्ट बोला- बच्ची बैड टच समझती थी; सैन्य अदालत ने 5 साल की सजा सुनाई थी

मुंबई29 मिनट पहले

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बॉम्बे हाईकोर्ट ने सेना के पूर्व अफसर की सजा को बरकरार रखा है।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार (18 फरवरी) को पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल की पांच साल की सजा को बरकरार रखा। कोर्ट के अनुसार पीड़ित को बैड टच की पूरी समझ थी। मामला 11 साल की बच्ची के यौन शोषण से जुड़ा है। इसमें सैन्य अदालत ने दोषी को 5 साल की सजा सुनाई थी।

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PTI की रिपोर्ट के अनुसार घटना फरवरी 2020 में हुई थी। अफसर ने एक हवलदार और बच्चों को मिलने बुलाया था। हवलदार अपनी बेटी और बेटे के साथ अधिकारी से मिलने उनके कमरे में गए थे। जैसे ही बच्ची के पिता कमरे से बाहर गए तो अफसर ने बदसलूकी की। इसके बाद बच्ची ने तुरंत अपने पिता को फोन करके घटना के बारे में बताया। बच्ची के बयान पर शिकायत दर्ज कराई गई।

नाबालिग ने अपने पिता को अफसर के बदसलूकी के बारे में जानकारी दी।

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सैन्य अदालत ने 5 साल की सजा सुनाई थी

मार्च 2021 में सेना के जनरल कोर्ट मार्शल (GCM) ने पूर्व अधिकारी को नाबालिग लड़की पर यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत दोषी ठहराया था। आर्म्ड फोर्सेस ट्रिब्यूनल (AFT) में पांच साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी। दोषी ने जनवरी 2024 में AFT के फैसले को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

पूर्व अधिकारी ने कहा- मेरा गलत इरादा नहीं था

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पूर्व अधिकारी ने अपनी दलील में कहा कि मेरा कोई गलत इरादा नहीं था। मैंने बच्ची को पिता जैसे प्रेम की भावना से छुआ था। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस नीला गोखले की बेंच ने कहा कि पीड़ित ने स्पष्ट रूप से बताया कि पिता के कमरे से चले जाने के बाद अफसर ने कैसा व्यवहार किया। बेंच ने कहा कि अफसर पहली बार बच्ची से मिले थे, ऐसे में उसे किसी प्रकार से छूना गलत है।

हाईकोर्ट बेंच ने ये भी कहा कि हमें आर्म्ड फोर्सेस ट्रिब्यूनल के फैसले में कोई गलती नहीं लग रही है। हम सजा बरकरार रखते हैं। बच्ची ने पूरे मुकदमे के दौरान घटना के बारे में खुद बताया है।

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प्रतीकात्मक फोटो।

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