नशे के खिलाफ पंजाब सरकार का एक और कदम: मुक्ति केंद्रों पर बायोमेट्रिक सिस्टम लागू होगा; दवाओं की चोरी पर रोकने का प्रयास – Amritsar News h3>
अमृतसर री-रिहैबिलिटेशन सेंटर।
पंजाब सरकार ने राज्य में नशामुक्ति केंद्रों से नशीली दवाओं की चोरी और ग़लत इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए बायोमेट्रिक प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया है। इस नई व्यवस्था के तहत मरीजों की पहचान फिंगरप्रिंट स्कैनिंग के माध्यम से की जाएगी, जिससे नशीली दवा
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राज्य सरकार यह द्वि-स्तरीय बायोमेट्रिक प्रणाली पंजाब के 706 आउट पेशेंट ओपिऑइड असिस्टेड ट्रीटमेंट (OOAT) क्लीनिकों में लागू कर रही है। यह क्लीनिक उन मरीजों को नशामुक्त करने के लिए सरकार द्वारा संचालित किए जाते हैं, जो बुप्रेनोर्फिन जैसी दवाओं की मदद से धीरे-धीरे नशे की लत से बाहर आ रहे हैं।
चोरी रोकने के लिए बायोमेट्रिक सिस्टम जरूरी
सरकार के आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में करीब 10 लाख मरीज बुप्रेनोर्फिन टैबलेट्स का सेवन कर रहे हैं। ये दवाएं केवल सरकारी और पंजीकृत निजी क्लीनिकों के माध्यम से दी जाती हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इन दवाओं की चोरी और अवैध बिक्री की घटनाएं सामने आई हैं।
2019-20 में करीब 5 करोड़ बुप्रेनोर्फिन टैबलेट्स चोरी कर ली गईं और कुछ निजी क्लीनिकों द्वारा इनका दुरुपयोग किया गया। इस घोटाले के कारण सरकार को 23 बड़े दोषियों के लाइसेंस रद्द करने पड़े।
इसके अलावा, मरीजों द्वारा भी फर्जी पहचान पत्रों का उपयोग कर एक ही दवा कई जगहों से लेने के मामले सामने आए थे। कई निजी क्लीनिकों पर बिना वास्तविक मरीजों को देखे ही दवाएं जारी करने के आरोप भी लगे थे।
जानें कैसे काम करेगा यह नया सिस्टम
पंजाब सरकार द्वारा लागू किया गया यह द्वि-स्तरीय बायोमेट्रिक सिस्टम पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाएगा और केवल वास्तविक मरीजों को ही दवा प्राप्त करने की अनुमति देगा।
बायोमेट्रिक प्रक्रिया इस प्रकार होगी:
- पहला स्कैन – जब मरीज क्लीनिक पर पहुंचेगा, तो उसकी फिंगरप्रिंट स्कैनिंग होगी, जिससे उसकी पहचान सत्यापित की जाएगी और उसकी एंट्री दर्ज होगी।
- दूसरा स्कैन – जब डॉक्टर या फार्मासिस्ट मरीज को दवा देगा, तो दोबारा बायोमेट्रिक सत्यापन किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दवा सही व्यक्ति को ही दी जा रही है।
- आधार कार्ड की अनिवार्यता– मरीज का पंजीकरण आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा, जिससे कोई व्यक्ति फर्जी पहचान के आधार पर दवा न ले सके।
फर्जी एंट्री और दवा की चोरी पर लगेगी रोक
सरकार के अनुसार, यह प्रणाली मरीजों के डिजिटल रिकॉर्ड को बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने का सबसे अच्छा तरीका है कि केवल वास्तविक मरीजों को ही दवा मिले।
सरकारी अधिकारियों ने बताया कि पहले कई मामलों में क्लीनिकों में फर्जी मरीजों की एंट्री दर्ज कर दवाएं अवैध रूप से बाहर बेची जाती थीं। अब यह डिजिटलीकरण प्रणाली इस तरह की धोखाधड़ी को रोकने में सहायक होगी।
नशे के खिलाफ सरकार की बड़ी पहल
इस बायोमेट्रिक सिस्टम का ट्रायल रन जारी है, और इसे जल्द ही पूरे राज्य में लागू कर दिया जाएगा। पंजाब में भगवंत मान सरकार ने नशे के खिलाफ जो अभियान छेड़ा है, यह उसका एक अहम हिस्सा है।
राज्य सरकार का मानना है कि इस कदम से नशीली दवाओं की चोरी, अवैध बिक्री और मरीजों के फर्जी रिकॉर्ड की समस्या पर रोक लगेगी। पंजाब में नशामुक्ति को लेकर यह सरकार की सबसे बड़ी डिजिटल पहल मानी जा रही है।