नई आबकारी नीतिः राजस्थान में पहली बार अंग्रेजी शराब की दुकान छोड़ रहे ठेकेदार
राजस्थान की नई आबकारी नीति इस चालू वित्तीय वर्ष में फ्लॉप ही साबित हो रही है। पहली बार एसा हो रहा है कि शराब ठेकेदार दुकान आवंटित होने के बाद छोड़ रहे हैं। बड़ी संख्या में ठेकेदारों ने दुकानें छोड़ने को लेकर जिला आबकारी कार्यालयों में आवेदन किया हुआ है। जबकि चालू वित्तीय वर्ष के पांच माह निकल चुके हैं। दस बार दुकानें की नीलामी किए जाने के बावजूद अभी तक दुकानें नहीं उठ सकी हैं।
जयपुर।
राज्य की नई आबकारी नीति पहली बार फ्लॉप साबित हो रही है। खुद के नाम से अंग्रेजी शराब की दुकान आवंटित होने के बाद दूसरे ठेकेदार से भारी ब्लैक वसूल कर उसे संचालन अधिकार देने की परम्परा भी अब टूट रही है। ऐसा पहली बार देखने में आया है कि ठेकेदार पहली बार अंग्रेजी शराब की दुकानें छोड़ रहे हैं। आबकारी विभाग सौ से अधिक दुकानों कि 10 बार नीलामी कर चुका है, लेकिन बोलीदाता नहीं मिल रहे। सौ से अधिक आवंटित शराब दुकानों को ठेकेदार छोड़ चुके हैं। राजधानी जयपुर में ही 20 से ज्यादा दुकानें छोड़ी जा चुकी हैं। इसके अलावा काफी ठेकेदारों ने जिला आबकारी अधिकारी को दुकान छोडऩे के लिए आवेदन कर दिया है। यह स्थिति लगभग सभी जिलों की है।
नई नीति यों पड़ रही भारी
नई आबकारी नीति में देशी व अंग्रेजी दुकानों को शामिल कर कंपोजिट श्रेणी (देसी और अंग्रेजी शराब साथ बेचना) में कर दिया गया है। फिर नीलामी में ऊंची बोली लगाने वालों को दुकान दी जा रही है। ऐसे में कुछ ठेकेदारों ने तो दुकान की पूरी राशि जमा कराने से पहले ही छोड़ दी, तो कहीं दो से तीन माह दुकानें चलाने के बाद ही छोड़ दी। ऐसे में राज्य सरकार को भारी राजस्व हानि हो रही है और बार-बार नीलामी करनी पड़ रही है। 10 चरण की नीलामी के बाद 11वें चरण में 143 दुकानों की नीलामी बुधवार को रखी गई है। बड़ी बात यह है कि इन दुकानों की रिजर्व प्राइज में से चालू वित्तीय वर्ष के निकल चुके माह का राजस्व कम मिलेगा।
76 करोड़ का नुकसान
सूत्रों के मुताबिक आबकारी विभाग जिन 143 दुकानों की नीलामी कर रहा है। इनकी रिजर्व प्राइज करीब 260 करोड़ रुपए है। लेकिन अब इनकी नीलामी पांच माह वित्त वर्ष के निकलने से करीब 183 करोड़ में की जाएगी। ऐसे में सरकार को सीधे तौर पर करीब 76 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है।
ठेकेदार ही नहीं, आरएसबीसीएल ने भी छोड़ी दुकानें
इस बार नई नीति में प्रावधान किया गया था कि दुकान चलाने के लिए सरकारी संस्था आरएसबीसीएल भी नीलामी में दुकानें ले सकती है। लेकिन आरएसबीसीएल ने भी करीब 14 दुकानें आवंटित होने के बाद छोड़ दी हैं। उधर ठेकेदार पहले ही दुकान छोडऩे के लिए कतार में लगे हैं। जयपुर शहर में ही 20 दुकानें खाली पड़ी हैं और 30 से 40 ठेकेदारों ने आवेदन छोडऩे को दे रखा है।
27 जिलों में दुकानें उठने से शेष
जयपुर सिटी 20, उदयपुर 15, झालावाड़ 13, बांसवाड़ा 9, जोधपुर 9, बांरा 9, हनुमानगढ़ 8, अलवर 7, धौलपुर 7 दुकानें खाली हैं, इसके अलावा 18 जिलों में भी 1 से 4 तक दुकानें खाली हैं।
राजस्थान की नई आबकारी नीति इस चालू वित्तीय वर्ष में फ्लॉप ही साबित हो रही है। पहली बार एसा हो रहा है कि शराब ठेकेदार दुकान आवंटित होने के बाद छोड़ रहे हैं। बड़ी संख्या में ठेकेदारों ने दुकानें छोड़ने को लेकर जिला आबकारी कार्यालयों में आवेदन किया हुआ है। जबकि चालू वित्तीय वर्ष के पांच माह निकल चुके हैं। दस बार दुकानें की नीलामी किए जाने के बावजूद अभी तक दुकानें नहीं उठ सकी हैं।
जयपुर।
राज्य की नई आबकारी नीति पहली बार फ्लॉप साबित हो रही है। खुद के नाम से अंग्रेजी शराब की दुकान आवंटित होने के बाद दूसरे ठेकेदार से भारी ब्लैक वसूल कर उसे संचालन अधिकार देने की परम्परा भी अब टूट रही है। ऐसा पहली बार देखने में आया है कि ठेकेदार पहली बार अंग्रेजी शराब की दुकानें छोड़ रहे हैं। आबकारी विभाग सौ से अधिक दुकानों कि 10 बार नीलामी कर चुका है, लेकिन बोलीदाता नहीं मिल रहे। सौ से अधिक आवंटित शराब दुकानों को ठेकेदार छोड़ चुके हैं। राजधानी जयपुर में ही 20 से ज्यादा दुकानें छोड़ी जा चुकी हैं। इसके अलावा काफी ठेकेदारों ने जिला आबकारी अधिकारी को दुकान छोडऩे के लिए आवेदन कर दिया है। यह स्थिति लगभग सभी जिलों की है।
नई नीति यों पड़ रही भारी
नई आबकारी नीति में देशी व अंग्रेजी दुकानों को शामिल कर कंपोजिट श्रेणी (देसी और अंग्रेजी शराब साथ बेचना) में कर दिया गया है। फिर नीलामी में ऊंची बोली लगाने वालों को दुकान दी जा रही है। ऐसे में कुछ ठेकेदारों ने तो दुकान की पूरी राशि जमा कराने से पहले ही छोड़ दी, तो कहीं दो से तीन माह दुकानें चलाने के बाद ही छोड़ दी। ऐसे में राज्य सरकार को भारी राजस्व हानि हो रही है और बार-बार नीलामी करनी पड़ रही है। 10 चरण की नीलामी के बाद 11वें चरण में 143 दुकानों की नीलामी बुधवार को रखी गई है। बड़ी बात यह है कि इन दुकानों की रिजर्व प्राइज में से चालू वित्तीय वर्ष के निकल चुके माह का राजस्व कम मिलेगा।
76 करोड़ का नुकसान
सूत्रों के मुताबिक आबकारी विभाग जिन 143 दुकानों की नीलामी कर रहा है। इनकी रिजर्व प्राइज करीब 260 करोड़ रुपए है। लेकिन अब इनकी नीलामी पांच माह वित्त वर्ष के निकलने से करीब 183 करोड़ में की जाएगी। ऐसे में सरकार को सीधे तौर पर करीब 76 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है।
ठेकेदार ही नहीं, आरएसबीसीएल ने भी छोड़ी दुकानें
इस बार नई नीति में प्रावधान किया गया था कि दुकान चलाने के लिए सरकारी संस्था आरएसबीसीएल भी नीलामी में दुकानें ले सकती है। लेकिन आरएसबीसीएल ने भी करीब 14 दुकानें आवंटित होने के बाद छोड़ दी हैं। उधर ठेकेदार पहले ही दुकान छोडऩे के लिए कतार में लगे हैं। जयपुर शहर में ही 20 दुकानें खाली पड़ी हैं और 30 से 40 ठेकेदारों ने आवेदन छोडऩे को दे रखा है।
27 जिलों में दुकानें उठने से शेष
जयपुर सिटी 20, उदयपुर 15, झालावाड़ 13, बांसवाड़ा 9, जोधपुर 9, बांरा 9, हनुमानगढ़ 8, अलवर 7, धौलपुर 7 दुकानें खाली हैं, इसके अलावा 18 जिलों में भी 1 से 4 तक दुकानें खाली हैं।