देश की पहली महिला डायरेक्टर, 96 साल पहले बनाई थी सबसे महंगी फिल्म, खुद ही डिजाइन किए थे VFX h3>
हॉलीवुड में तो एक्शन-एडवेंचर और वीएफएक्स से लदी फिल्में दशकों से बनती रही हैं। हॉलीवुड में सबसे पहली साइंस-फिक्शन फिल्म 1902 में बनी थी। लेकिन भारतीय सिनेमा में वीएफएक्स से भरी पहली फिल्म कब बनी थी और किसने बनाई थी, पता है? क्या आप जानते हैं कि भारतीय सिनेमा में फिल्मों में वीएफएक्स इस्तेमाल करने की शुरुआत किसने की थी? यह थीं फातमा बेगम, जो साउथ एशिया की पहली महिला डायरेक्टर थीं। फातमा बेगम ने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को 96 साल पहले वीएफएक्स और साइंस-फिक्शन जैसी चीजों से रूबरू करवाया था। फातमा बेगम ने उस दौर में तब बेहद तगड़े बजट की फिल्म बनाई थी, जब सामान्य फिल्म को बनाने में ही मेकर्स के पसीने छूट जाते थे।
नवभारत टाइम्स ऑनलाइन की WoW Wednesday सीरीज में जानिए फातमा बेगम की कहानी। वो फातमा बेगम जिन्होंने समाज की रूढ़िवादी सोच को तोड़कर न सिर्फ फिल्मी दुनिया में कदम रखे, बल्कि भारतीय सिनेमा को वीएफएक्स की विदेशी तकनीक और फोटोग्राफी से रूबरू करवाया।
डायरेक्टर ही नहीं एक्ट्रेस भी रहीं फातमा, यूं बनीं बड़ी स्टार
फातमा बेगम एक डायरेक्टर ही नहीं बल्कि एक एक्ट्रेस और स्क्रीनराइटर भी रहीं। साल 1892 में एक मुस्लिम परिवार में जन्मीं फातमा बेगम ने थिएटर और उर्दू की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने फिल्मों की दुनिया में कदम रखे। फातमा बेगम ने 1922 में अर्दशीर ईरानी की साइलेंट फिल्म ‘वीर अभिमन्यु’ से डेब्यू किया था। साइलेंट फिल्मों के उस दौर में महिलाओं के एक्टिंग करने पर पाबंदी थी। इसी वजह से तब ज्यादातर फिल्मों में हीरो ही महिलाओं के कपड़े पहनकर हीरोइन का रोल प्ले करते थे। लेकिन फातमा बेगम ने इस परंपरा को तोड़ा। पहली ही फिल्म से फातमा बेगम बड़ी फीमेल स्टार बन गई थीं।
यूं बनीं साउथ एशिया की पहली महिला डायरेक्टर
लेकिन फातमा बेगम सिर्फ एक्ट्रेस बनकर ही नहीं रहना चाहती थीं। वह सिनेमा की दुनिया में कुछ हटकर करना चाहती थीं। कुछ ऐसा जिसके लिए उन्हें हमेशा याद किया जाए। फातमा बेगम ने हीरोइन बनकर अन्य महिलाओं के लिए एक्टिंग की दुनिया के दरवाजे खोल दिए थे। उसके बाद उनकी नजर डायरेक्शन भी। फातमा बेगम ने जिस समय फिल्मों में कदम रखे, उस समय भारतीय सिनेमा में एक भी महिला डायरेक्टर नहीं थी। फातमा ने इसी को बदलने की ठान ली। यही वजह रही कि डेब्यू के चार साल के बाद यानी 1926 में फातमा बेगम ने अपनी पहली फिल्म डायरेक्ट की, जिसका नाम ‘बुलबुल-ए-पेरिस्तान’ था। इस तरह वह भारतीय सिनेमा के साथ-साथ साउथ एशिया की पहली महिला डायरेक्टर बन गईं।
‘बुलबुल-ए-पेरिस्तान’-1926 की सबसे महंगी फिल्म, खुद डिजाइन किए VFX
इस फिल्म के साथ ही फातमा बेगम ने अपने प्रोडक्शन हाउस ‘फातमा फिल्म्स’ की नींव रखी। साल 1928 में फातमा बेगम ने अपने इस प्रोडक्शन हाउस का नाम बदलकर ‘विक्टोरिया फातमा फिल्म्स’ कर दिया। फातमा बेगम की पहली फिल्म ‘बुलबुल-ए-पेरिस्तान’ ने रिलीज होते ही तहलका मचा दिया था। एक तरफ यह चर्चा हो रही थी कि फिल्म पहली बार किसी महिला ने डायरेक्ट की है, दूसरी ओर इसमें दिखाए गए वीएफएक्स की वाहवाही हो रही थी। ‘बुलबुल-ए-पेरिस्तान’ भारतीय सिनेमा की पहली साइंस फिक्शन फिल्म भी थी। बताया जाता है कि 96 साल पहले बनी इस फिल्म पर फातमा बेगम ने खूब मोटा खर्चा किया था। तब इस फिल्म को बनाने में लाखों रुपये लगे थे। आज के हिसाब से देखें तो यह आंकड़ा करोड़ों में है।
पढ़ें: भारतीय सिनेमा की पहली ऐक्ट्रेस Durgabai Kamat, समाज ने कर दिया था बेदखल, नीच नजरों से देखते थे लोग
फातमा बेगम ने मचा दिया था तहलका, तीनों बेटियों को भी किया लॉन्च
फातमा बेगम ने इस फिल्म में वीएफएक्स की विदेशी तकनीक इस्तेमाल की थी। बताया जाता है कि फातमा बेगम ने ट्रिक फोटोग्राफी की मदद से खुद ही फिल्म के स्पेशल इफेक्ट्स डिजाइन किए थे। यही नहीं, इसका स्क्रीनप्ले भी उन्होंने खुद ही लिखा था। फातमा बेगम ने जो किया था, उसने हर किसी के होश उड़ा दिए थे। फातमा बेगम अपने प्रोडक्शन में बनने वाली फिल्मों की न सिर्फ कहानी लिखती थीं, बल्कि उन्हें प्रोड्यूस और डायरेक्ट भी करतीं। वह अपने प्रोडक्शन की फिल्मों में एक्टिंग भी करती थीं। फातमा बेगम ने फिल्मों में तीनों बेटियों-जुबैदा, सुल्ताना और शहजादी को भी लॉन्च किया। ये तीनों ही साइलेंट इरा की सुपरस्टार रहीं।
1983 में फातमा बेगम का हुआ निधन
फातमा बेगम ने साल 1929 तक फिल्मों में काम किया। उन्होंने जो आखिरी फिल्म डायरेक्ट की थी, वह 1929 में रिलीज हुई थी। इसका नाम Goddess of Luck था। फातमा बेगम का साल 1983 में निधन हो गया। उस समय वह 91 साल की थीं।
नवभारत टाइम्स ऑनलाइन की WoW Wednesday सीरीज में जानिए फातमा बेगम की कहानी। वो फातमा बेगम जिन्होंने समाज की रूढ़िवादी सोच को तोड़कर न सिर्फ फिल्मी दुनिया में कदम रखे, बल्कि भारतीय सिनेमा को वीएफएक्स की विदेशी तकनीक और फोटोग्राफी से रूबरू करवाया।
डायरेक्टर ही नहीं एक्ट्रेस भी रहीं फातमा, यूं बनीं बड़ी स्टार
फातमा बेगम एक डायरेक्टर ही नहीं बल्कि एक एक्ट्रेस और स्क्रीनराइटर भी रहीं। साल 1892 में एक मुस्लिम परिवार में जन्मीं फातमा बेगम ने थिएटर और उर्दू की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने फिल्मों की दुनिया में कदम रखे। फातमा बेगम ने 1922 में अर्दशीर ईरानी की साइलेंट फिल्म ‘वीर अभिमन्यु’ से डेब्यू किया था। साइलेंट फिल्मों के उस दौर में महिलाओं के एक्टिंग करने पर पाबंदी थी। इसी वजह से तब ज्यादातर फिल्मों में हीरो ही महिलाओं के कपड़े पहनकर हीरोइन का रोल प्ले करते थे। लेकिन फातमा बेगम ने इस परंपरा को तोड़ा। पहली ही फिल्म से फातमा बेगम बड़ी फीमेल स्टार बन गई थीं।
यूं बनीं साउथ एशिया की पहली महिला डायरेक्टर
लेकिन फातमा बेगम सिर्फ एक्ट्रेस बनकर ही नहीं रहना चाहती थीं। वह सिनेमा की दुनिया में कुछ हटकर करना चाहती थीं। कुछ ऐसा जिसके लिए उन्हें हमेशा याद किया जाए। फातमा बेगम ने हीरोइन बनकर अन्य महिलाओं के लिए एक्टिंग की दुनिया के दरवाजे खोल दिए थे। उसके बाद उनकी नजर डायरेक्शन भी। फातमा बेगम ने जिस समय फिल्मों में कदम रखे, उस समय भारतीय सिनेमा में एक भी महिला डायरेक्टर नहीं थी। फातमा ने इसी को बदलने की ठान ली। यही वजह रही कि डेब्यू के चार साल के बाद यानी 1926 में फातमा बेगम ने अपनी पहली फिल्म डायरेक्ट की, जिसका नाम ‘बुलबुल-ए-पेरिस्तान’ था। इस तरह वह भारतीय सिनेमा के साथ-साथ साउथ एशिया की पहली महिला डायरेक्टर बन गईं।
‘बुलबुल-ए-पेरिस्तान’-1926 की सबसे महंगी फिल्म, खुद डिजाइन किए VFX
इस फिल्म के साथ ही फातमा बेगम ने अपने प्रोडक्शन हाउस ‘फातमा फिल्म्स’ की नींव रखी। साल 1928 में फातमा बेगम ने अपने इस प्रोडक्शन हाउस का नाम बदलकर ‘विक्टोरिया फातमा फिल्म्स’ कर दिया। फातमा बेगम की पहली फिल्म ‘बुलबुल-ए-पेरिस्तान’ ने रिलीज होते ही तहलका मचा दिया था। एक तरफ यह चर्चा हो रही थी कि फिल्म पहली बार किसी महिला ने डायरेक्ट की है, दूसरी ओर इसमें दिखाए गए वीएफएक्स की वाहवाही हो रही थी। ‘बुलबुल-ए-पेरिस्तान’ भारतीय सिनेमा की पहली साइंस फिक्शन फिल्म भी थी। बताया जाता है कि 96 साल पहले बनी इस फिल्म पर फातमा बेगम ने खूब मोटा खर्चा किया था। तब इस फिल्म को बनाने में लाखों रुपये लगे थे। आज के हिसाब से देखें तो यह आंकड़ा करोड़ों में है।
पढ़ें: भारतीय सिनेमा की पहली ऐक्ट्रेस Durgabai Kamat, समाज ने कर दिया था बेदखल, नीच नजरों से देखते थे लोग
फातमा बेगम ने मचा दिया था तहलका, तीनों बेटियों को भी किया लॉन्च
फातमा बेगम ने इस फिल्म में वीएफएक्स की विदेशी तकनीक इस्तेमाल की थी। बताया जाता है कि फातमा बेगम ने ट्रिक फोटोग्राफी की मदद से खुद ही फिल्म के स्पेशल इफेक्ट्स डिजाइन किए थे। यही नहीं, इसका स्क्रीनप्ले भी उन्होंने खुद ही लिखा था। फातमा बेगम ने जो किया था, उसने हर किसी के होश उड़ा दिए थे। फातमा बेगम अपने प्रोडक्शन में बनने वाली फिल्मों की न सिर्फ कहानी लिखती थीं, बल्कि उन्हें प्रोड्यूस और डायरेक्ट भी करतीं। वह अपने प्रोडक्शन की फिल्मों में एक्टिंग भी करती थीं। फातमा बेगम ने फिल्मों में तीनों बेटियों-जुबैदा, सुल्ताना और शहजादी को भी लॉन्च किया। ये तीनों ही साइलेंट इरा की सुपरस्टार रहीं।
1983 में फातमा बेगम का हुआ निधन
फातमा बेगम ने साल 1929 तक फिल्मों में काम किया। उन्होंने जो आखिरी फिल्म डायरेक्ट की थी, वह 1929 में रिलीज हुई थी। इसका नाम Goddess of Luck था। फातमा बेगम का साल 1983 में निधन हो गया। उस समय वह 91 साल की थीं।