दुल्हन मंडप में बैठी थी… अफसर पहुंचे और ले गए: अमरोहा में 50 हजार की रिश्वत नहीं दी तो नाबालिग बता शादी रुकवा दी, DPO समेत 8 पर जांच के आदेश – Amroha News h3>
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रोहित कुमार प्रजापति | अमरोहा36 मिनट पहले
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अमरोहा में पचास हजार रुपये की रिश्वत नहीं दी, तो मंडप में बैठी दुल्हन को नाबालिग बता दिया। शादी रुकवा दी। और तो और, बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के उसे वन स्टॉप सेंटर भेज दिया गया। ये सब कुछ हुआ अमरोहा के हसनपुर में, जहां एक किसान की बहन की शादी खुशी की बजाय समाज में बदनामी और सदमे की वजह बन गई।
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कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रोबेशन अधिकारी और उनकी टीम के सात कर्मचारियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। जांच की जिम्मेदारी जिलाधिकारी (DM) को सौंपी गई है और रिपोर्ट 5 मई तक कोर्ट में मांगी गई है।
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50 हजार दो, वरना शादी नहीं होने देंगे हसनपुर कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में किसान की बहन की शादी 5 मार्च 2025 को होनी थी। शादी की तैयारियां पूरी थीं, मंडप सजा था, बारात आ चुकी थी और दुल्हन तैयार होकर बैठी थी। तभी अचानक जिला प्रोबेशन अधिकारी के निर्देश पर कर्मचारी गजेंद्र, सुरभि यादव, आदिल, कपिल (शाहबाजपुर गुर्जर निवासी), अशोक (सिरसा गुर्जर निवासी), मनोज, वीरू और एक अज्ञात व्यक्ति शादी समारोह में पहुंचे।
परिजनों का आरोप है कि इन लोगों ने लड़की को नाबालिग बताया और धमकी देने लगे। कहा गया कि अगर शादी करनी है, तो 50 हजार रुपये दो। किसान ने जब आधार कार्ड दिखाकर लड़की को बालिग बताया और पैसे देने से इनकार कर दिया, तो ये लोग लड़की को मंडप से उठा ले गए।
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बिना कानूनी प्रक्रिया, सीधा वन स्टॉप सेंटर परिवार का आरोप है कि लड़की को बाल कल्याण समिति के सामने पेश किए बिना ही सीधे वन स्टॉप सेंटर भेज दिया गया। हालांकि बाद में लड़की परिजनों के साथ घर लौट आई, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी—बरात बिना दुल्हन के लौट चुकी थी और शादी टूट चुकी थी।
फर्जी आधार बनवाकर जेल भेज देंगे किसान का आरोप है कि अफसरों ने उसे धमकाया कि अगर उसने विरोध किया तो लड़की का फर्जी आधार कार्ड बनवाकर पूरे परिवार को जेल भिजवा देंगे। इस घटना से किसान का परिवार मानसिक और सामाजिक रूप से टूट चुका है। लड़की सदमे में है और समाज में बदनामी से पूरा परिवार शर्मसार है।
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पुलिस रही खामोश, कोर्ट ने लिया संज्ञान किसान ने इस मामले में पुलिस से भी शिकायत की, लेकिन किसी ने नहीं सुना। आखिरकार न्यायालय की शरण ली। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ओमपाल सिंह ने मामले को गंभीर मानते हुए जिलाधिकारी को जांच का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि 5 मई तक पूरी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाए।
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रोहित कुमार प्रजापति | अमरोहा36 मिनट पहले
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अमरोहा में पचास हजार रुपये की रिश्वत नहीं दी, तो मंडप में बैठी दुल्हन को नाबालिग बता दिया। शादी रुकवा दी। और तो और, बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के उसे वन स्टॉप सेंटर भेज दिया गया। ये सब कुछ हुआ अमरोहा के हसनपुर में, जहां एक किसान की बहन की शादी खुशी की बजाय समाज में बदनामी और सदमे की वजह बन गई।
कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रोबेशन अधिकारी और उनकी टीम के सात कर्मचारियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। जांच की जिम्मेदारी जिलाधिकारी (DM) को सौंपी गई है और रिपोर्ट 5 मई तक कोर्ट में मांगी गई है।
50 हजार दो, वरना शादी नहीं होने देंगे हसनपुर कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में किसान की बहन की शादी 5 मार्च 2025 को होनी थी। शादी की तैयारियां पूरी थीं, मंडप सजा था, बारात आ चुकी थी और दुल्हन तैयार होकर बैठी थी। तभी अचानक जिला प्रोबेशन अधिकारी के निर्देश पर कर्मचारी गजेंद्र, सुरभि यादव, आदिल, कपिल (शाहबाजपुर गुर्जर निवासी), अशोक (सिरसा गुर्जर निवासी), मनोज, वीरू और एक अज्ञात व्यक्ति शादी समारोह में पहुंचे।
परिजनों का आरोप है कि इन लोगों ने लड़की को नाबालिग बताया और धमकी देने लगे। कहा गया कि अगर शादी करनी है, तो 50 हजार रुपये दो। किसान ने जब आधार कार्ड दिखाकर लड़की को बालिग बताया और पैसे देने से इनकार कर दिया, तो ये लोग लड़की को मंडप से उठा ले गए।
बिना कानूनी प्रक्रिया, सीधा वन स्टॉप सेंटर परिवार का आरोप है कि लड़की को बाल कल्याण समिति के सामने पेश किए बिना ही सीधे वन स्टॉप सेंटर भेज दिया गया। हालांकि बाद में लड़की परिजनों के साथ घर लौट आई, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी—बरात बिना दुल्हन के लौट चुकी थी और शादी टूट चुकी थी।
फर्जी आधार बनवाकर जेल भेज देंगे किसान का आरोप है कि अफसरों ने उसे धमकाया कि अगर उसने विरोध किया तो लड़की का फर्जी आधार कार्ड बनवाकर पूरे परिवार को जेल भिजवा देंगे। इस घटना से किसान का परिवार मानसिक और सामाजिक रूप से टूट चुका है। लड़की सदमे में है और समाज में बदनामी से पूरा परिवार शर्मसार है।
पुलिस रही खामोश, कोर्ट ने लिया संज्ञान किसान ने इस मामले में पुलिस से भी शिकायत की, लेकिन किसी ने नहीं सुना। आखिरकार न्यायालय की शरण ली। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ओमपाल सिंह ने मामले को गंभीर मानते हुए जिलाधिकारी को जांच का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि 5 मई तक पूरी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाए।