दिल्ली से कानून मंत्री का निजी सचिव बोल रहा हूं… केस पर फैसला न देने के लिए आया दबाव, जज ने बताई पूरी कहानी
कुरुक्षेत्र: हरियाणा के कुरुक्षेत्र में अडिशनल सेशन जज (ASJ) ने दावा किया है कि दो केंद्रीय मंत्रियों के स्टाफ कर्मचारी होने का दावा करने वाले व्यक्तियों ने चेक बाउंस मामले में उन्हें प्रभावित करने की कोशिश की। जज का कहना है कि केस को लंबे समय तक टालने के लिए केंद्रीय मंत्रियों का नाम लेकर उन्हें बार-बार उन्हें फोन किए गए और टेक्स्ट मैसेज भेजकर उनके फैसले पर असर डालने का प्रयास किया। इस पर जज ने फोन करने वाले को दबाव डालने पर आपराधिक कार्रवाई की चेतावनी दी। वहीं केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, ‘हमारे ऑफिस में कभी इस मामले पर चर्चा नहीं हुई, न ही जजों को बुलाना हमारी आदत है। इस मामले का मुझसे या मेरे ऑफिस से कोई लेना-देना नहीं है।” कानून मंत्री के ऑफिस के अधिकारियों ने कहा, ‘हमारे कार्यालय में इस नाम का कोई व्यक्ति नहीं है।’ केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कहा कि उनके स्टाफ में कोई महिला नहीं है।
मीडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार कुरुक्षेत्र के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आशु कुमार जैन ने 6 जुलाई को फैसला सुनाते समय यह घटना बताई थी। जज ने कोर्ट में अपील दायर करने वाले लोगों को चेतावनी दी कि भविष्य में इस तरह की दबाव की रणनीति का सहारा न लें, नहीं तो उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। आदेश की एक कॉपी सूचना और आवश्यक कार्रवाई के लिए कुरुक्षेत्र के डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज को भेज दी गई है। मामला मेसर्स श्याम ओवरसीज एंड ऑर्स के मामले से संबंधित है।
208 का चेक बाउंस केस
2018 में दायर एक आपराधिक शिकायत में चेक बाउंस केस में तीन व्यक्तियों, श्याम लाल, बीना देवी और मोहित गर्ग ने अपनी सजा के खिलाफ अपील दायर की थी। ये तीनों आरोपी इस समय जमानत पर हैं। 1 जून को उन्होंने एक और अपील दायर की, जिसमें कहा गया, ‘कोर्ट के बाहर मामले को सुलझाने की कोशिश की जा रही है। कोर्ट को फिलहाल दूसरी डेट दे देनी चाहिए। वो भी लंबे गैप के बाद की। जज ने अर्जी खारिज कर दी।
अलग-अलग नंबरों से किए गए कॉल
जज का दावा है कि मामले में अपील दायर करने वाले लोगों ने अलग-अलग मोबाइल नंबरों से केंद्रीय मंत्रियों के नाम पर बार-बार फोन कर कोर्ट से संपर्क करने की कोशिश की, ताकि कोर्ट पर इस मामले की सुनवाई लंबे समय तक टालने का दबाव बनाया जा सके। जज ने कहा कि ‘28.06.2023 को, मोबाइल नंबर से जज को एक फोन कॉल आया, और कॉल करने वाली महिला ने खुद को केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री की प्राइवेट सेक्रेटरी बताया। उन्होंने मामले को लंबे समय तक टालने का अनुरोध किया। जज ने उन्हें बताया कि अदालतों में मामलों का फैसला योग्यता के आधार पर किया जाता है, सिफारिशों के आधार पर नहीं।
जज पर नहीं पड़ा दबाव का असर
जज ने दावा किया कि इस पर भी दबाव डालने में जुटे लोगों ने हार नहीं मानी। उनके फोन पर 1 जुलाई को एक और कॉल आई, जिसमें फोन करने वाले ने खुद को केंद्रीय कानून मंत्री का निजी सचिव बताया और मामले को लंबे समय तक टालने का अनुरोध किया। जज ने कहा, ‘उन्हें यह भी बताया गया कि ऐसी सिफारिशें सराहनीय नहीं हैं और मामले का फैसला मेरिट पर किया जाएगा।’
‘कॉल का जवाब न मिलने पर SMS भेजा’
न्यायाधीश ने कहा कि 6 जुलाई को, जिस दिन उन्होंने आदेश सुनाया था, उन्हें बार-बार फोन कॉल किए गए थे। आज भी, मोबाइल नंबर से सात कॉल प्राप्त हुईं। जज से अपने पक्ष में जवाब न मिलने पर अपीलकर्ताओं ने उनके मोबाइल नंबर से एक एसएमएस भेजा गया, जो इस तरह है
‘गुड मॉर्निंग सर, सर, मैं सचिन शिंदे, दिल्ली में कानून मंत्रालय में माननीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल का निजी सचिव बोल रहा हूं। सर, मैंने आपसे 1 जुलाई को एग्रो केस के संबंध में बात की थी, आज सुनवाई है। हमारा कहना है कि आज आप 5-6 महीने की तारीख दीजिएगा क्योंकि बातचीत चल रही है। इसलिए थोड़ा और वक्त चाहिए।. आज लिस्टिंग नं.-43 मै. श्याम लाल ओवरसीज बनाम. हरियाणा एग्रो इंडस्ट्रीज. केस नंबर CRA/14/2018।’
इसके बाद जज ने मोबाइल नंबर ब्लॉक कर दिया था, इसलिए अपीलकर्ताओं ने दूसरे मोबाइल नंबर से कॉल करना शुरू कर दिया। उक्त मोबाइल नंबर से तीन कॉल टालने के बाद, उन्होंने चौथी कॉल उठाई और पाया कि यह वही व्यक्ति था जो खुद को केंद्रीय कानून मंत्री का निजी सचिव होने का दावा कर रहा था। उन्होंने कॉल करने वाले को फटकार लगाते हुए आपराधिक कार्रवाई की चेतावनी दी।
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मीडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार कुरुक्षेत्र के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आशु कुमार जैन ने 6 जुलाई को फैसला सुनाते समय यह घटना बताई थी। जज ने कोर्ट में अपील दायर करने वाले लोगों को चेतावनी दी कि भविष्य में इस तरह की दबाव की रणनीति का सहारा न लें, नहीं तो उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। आदेश की एक कॉपी सूचना और आवश्यक कार्रवाई के लिए कुरुक्षेत्र के डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज को भेज दी गई है। मामला मेसर्स श्याम ओवरसीज एंड ऑर्स के मामले से संबंधित है।
208 का चेक बाउंस केस
2018 में दायर एक आपराधिक शिकायत में चेक बाउंस केस में तीन व्यक्तियों, श्याम लाल, बीना देवी और मोहित गर्ग ने अपनी सजा के खिलाफ अपील दायर की थी। ये तीनों आरोपी इस समय जमानत पर हैं। 1 जून को उन्होंने एक और अपील दायर की, जिसमें कहा गया, ‘कोर्ट के बाहर मामले को सुलझाने की कोशिश की जा रही है। कोर्ट को फिलहाल दूसरी डेट दे देनी चाहिए। वो भी लंबे गैप के बाद की। जज ने अर्जी खारिज कर दी।
अलग-अलग नंबरों से किए गए कॉल
जज का दावा है कि मामले में अपील दायर करने वाले लोगों ने अलग-अलग मोबाइल नंबरों से केंद्रीय मंत्रियों के नाम पर बार-बार फोन कर कोर्ट से संपर्क करने की कोशिश की, ताकि कोर्ट पर इस मामले की सुनवाई लंबे समय तक टालने का दबाव बनाया जा सके। जज ने कहा कि ‘28.06.2023 को, मोबाइल नंबर से जज को एक फोन कॉल आया, और कॉल करने वाली महिला ने खुद को केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री की प्राइवेट सेक्रेटरी बताया। उन्होंने मामले को लंबे समय तक टालने का अनुरोध किया। जज ने उन्हें बताया कि अदालतों में मामलों का फैसला योग्यता के आधार पर किया जाता है, सिफारिशों के आधार पर नहीं।
जज पर नहीं पड़ा दबाव का असर
जज ने दावा किया कि इस पर भी दबाव डालने में जुटे लोगों ने हार नहीं मानी। उनके फोन पर 1 जुलाई को एक और कॉल आई, जिसमें फोन करने वाले ने खुद को केंद्रीय कानून मंत्री का निजी सचिव बताया और मामले को लंबे समय तक टालने का अनुरोध किया। जज ने कहा, ‘उन्हें यह भी बताया गया कि ऐसी सिफारिशें सराहनीय नहीं हैं और मामले का फैसला मेरिट पर किया जाएगा।’
‘कॉल का जवाब न मिलने पर SMS भेजा’
न्यायाधीश ने कहा कि 6 जुलाई को, जिस दिन उन्होंने आदेश सुनाया था, उन्हें बार-बार फोन कॉल किए गए थे। आज भी, मोबाइल नंबर से सात कॉल प्राप्त हुईं। जज से अपने पक्ष में जवाब न मिलने पर अपीलकर्ताओं ने उनके मोबाइल नंबर से एक एसएमएस भेजा गया, जो इस तरह है
‘गुड मॉर्निंग सर, सर, मैं सचिन शिंदे, दिल्ली में कानून मंत्रालय में माननीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल का निजी सचिव बोल रहा हूं। सर, मैंने आपसे 1 जुलाई को एग्रो केस के संबंध में बात की थी, आज सुनवाई है। हमारा कहना है कि आज आप 5-6 महीने की तारीख दीजिएगा क्योंकि बातचीत चल रही है। इसलिए थोड़ा और वक्त चाहिए।. आज लिस्टिंग नं.-43 मै. श्याम लाल ओवरसीज बनाम. हरियाणा एग्रो इंडस्ट्रीज. केस नंबर CRA/14/2018।’
इसके बाद जज ने मोबाइल नंबर ब्लॉक कर दिया था, इसलिए अपीलकर्ताओं ने दूसरे मोबाइल नंबर से कॉल करना शुरू कर दिया। उक्त मोबाइल नंबर से तीन कॉल टालने के बाद, उन्होंने चौथी कॉल उठाई और पाया कि यह वही व्यक्ति था जो खुद को केंद्रीय कानून मंत्री का निजी सचिव होने का दावा कर रहा था। उन्होंने कॉल करने वाले को फटकार लगाते हुए आपराधिक कार्रवाई की चेतावनी दी।