दिल्ली सरकार ‘अनपढ़, बेशर्म और ढीठ’, भगवंत मान ‘जोकर’… बाढ़ पर सियासत करने वालों पर बरसे सीएम खट्टर
Delhi Flood: मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि आईटीओ बैराज के रखरखाव पर पैसा कभी भी हरियाणा नहीं खर्च करता। वो पैसा 2018 तक इंद्रप्रस्थ पावर प्लांट ने दिया। प्लांट के बंद होने से पैसा आना बंद हो गया। दिल्ली सरकार ने कभी भी यह नहीं कहा कि यहां कोई इस प्रकार की समस्या आ सकती है। इन्होंने कभी भी फल्ड कंट्रोल की बैठक नहीं की और यदि की होगी तो यह कभी नहीं कहा कि इस बैराज की मेंटेनेंस बंद हो गई है।
रोहतक: हरियाणा सरकार पर दिल्ली को डुबोने के लगे आरोपों पर खट्टर ने पलटवार करते हुए कहा कि इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। बाढ के पानी पर हो रही सियासत पर सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कड़े तेवर दिखाते हुए दिल्ली सरकार को अनपढ़, बेशर्म और ढीठ कह दिया। उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री को भी उनकी बयानबाजी के लिए जोकर कहा। खट्टर ने हथिनीकुंड बैराज से ज्यादा पानी छोड़ने के दिल्ली सरकार के आरोप को वाहियात बताया। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता तो हमारे एरिया में ज्यादा नुकसान हुआ।मुख्यमंत्री ने कहा कि हम इन मुद्दों पर राजनीति नहीं करते, मानवता हमारे लिए सर्वोपरि है। एसवाईएल के पानी पर भगवंत मान को जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि वे बेशक संवैधानिक पद पर बैठे हैं, लेकिन वो जोकर हैं और यही उनका काम है। उन्होंने कहा कि यदि आज एसवाईएल नहर बनी हुई होती तो पंजाब को कम नुकसान होता। लेकिन पंजाब का वर्षा का अतिरिक्त पानी बहकर हरियाणा में जो एसवाईएल बनी हुई है, उसमें आया, जिसके कारण अंबाला और कुरुक्षेत्र जिले के इलाके डूब गए। यह दो जिले केवल अधुरी बनी हुई एसवाईएल के कारण से डूबे। लेकिन हरियाणा ने पंजाब पर आरोप नहीं लगाया।
बाढ़ पर राजनीति करने वालों को जवाब
खट्टर ने भारी बारिश व बाढ़ से उत्पन्न हुए हालातों के दौरान राजनेताओं द्वारा दिये जा रहे बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस आपदा के समय आरोप-प्रत्यारोप का जो सिलसिला शुरू हुआ है, वह मानवता, प्रदेश व देश हित में बिल्कुल भी सही नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तरह से हथिनी कुंड बैराज के कुछ फोटो दिखाकर बयान दिए गए, वह अनपढ़ता की ओर इशारा करते हैं। जबसे बैराज बने हैं, तब से यह नियम की उसकी क्षमता से कम होने पर पानी डायवर्ट किया जाता है। लेकिन ज्यादा होने पर पानी नेचुरल फ्लो से बहता है।
रोक दिया जाता है नहरों का डाइवर्जन
पानी बहुत ज्यादा आने पर नहरों का डाइवर्जन रोक दिया जाता है, क्योंकि ज्यादा फ्लो के कारण पानी सिस्टम को तोड़ देगा। उसको बंद रखा जाएगा, तो सिस्टम सुरक्षित रहेगा। भाखड़ा में भी अगर ओवरफ्लो होता है तो उसका पानी नदियों में जाता है, न कि भाखड़ा मेन कैनाल में। ये कौन सा सिद्धांत है कि हम अपने जिले डुबोयंगे और फिर दिल्ली को डुबोएंगे। यमुना से जो नुकसान हुआ है, उससे तो सबसे पहले यमुनानगर ही डूबा। जिले के दो गांव राज्य सरकार को खाली कराने पड़े।
हरियाणा को ज्यादा नुकसान
हरियाणा का एरिया यमुना के साथ दिल्ली के मुकाबले ज्यादा लगता है। इसलिए इतनी समझ उन्हें होनी चाहिए और हरियाणा को बदनाम करने से पहले सोचना चाहिए। हरियाणा ऐसे बदनाम नहीं होगा। हरियाणा की अपनी एक पहचान है। हरियाणा किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता, बल्कि सेवा करता है। मैं स्वयं को बचा लूं और दूसरे को नुकसान होने दूं यह छोटी सोच का विषय है।
दिल्ली के पानी की आवश्यकता को हरियाणा करता है पूरा
उन्होंने कहा कि दिल्ली के पानी की आवश्यकता को हरियाणा ही पूरा करता है। दिल्ली का शेयर 750 क्यूसेक है और आज भी हरियाणा दिल्ली को 1070 क्यूसेक पानी देता है। 320 क्यूसेक पानी उसके हिस्से से ज्यादा देते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जितना अतिरिक्त पानी हरियाणा देगा, उस अतिरिक्त पानी का दिल्ली सरकार भुगतान करेगी। जबकि दिल्ली सरकार उस 320 क्यूसेक अतिरिक्त पानी का पैसा नहीं देती है। कोई चीज यदि पैसे से दी जा रही है तो उसका पैसा लौटाना ही चाहिए।
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Delhi Flood: मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि आईटीओ बैराज के रखरखाव पर पैसा कभी भी हरियाणा नहीं खर्च करता। वो पैसा 2018 तक इंद्रप्रस्थ पावर प्लांट ने दिया। प्लांट के बंद होने से पैसा आना बंद हो गया। दिल्ली सरकार ने कभी भी यह नहीं कहा कि यहां कोई इस प्रकार की समस्या आ सकती है। इन्होंने कभी भी फल्ड कंट्रोल की बैठक नहीं की और यदि की होगी तो यह कभी नहीं कहा कि इस बैराज की मेंटेनेंस बंद हो गई है।
बाढ़ पर राजनीति करने वालों को जवाब
खट्टर ने भारी बारिश व बाढ़ से उत्पन्न हुए हालातों के दौरान राजनेताओं द्वारा दिये जा रहे बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस आपदा के समय आरोप-प्रत्यारोप का जो सिलसिला शुरू हुआ है, वह मानवता, प्रदेश व देश हित में बिल्कुल भी सही नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तरह से हथिनी कुंड बैराज के कुछ फोटो दिखाकर बयान दिए गए, वह अनपढ़ता की ओर इशारा करते हैं। जबसे बैराज बने हैं, तब से यह नियम की उसकी क्षमता से कम होने पर पानी डायवर्ट किया जाता है। लेकिन ज्यादा होने पर पानी नेचुरल फ्लो से बहता है।
रोक दिया जाता है नहरों का डाइवर्जन
पानी बहुत ज्यादा आने पर नहरों का डाइवर्जन रोक दिया जाता है, क्योंकि ज्यादा फ्लो के कारण पानी सिस्टम को तोड़ देगा। उसको बंद रखा जाएगा, तो सिस्टम सुरक्षित रहेगा। भाखड़ा में भी अगर ओवरफ्लो होता है तो उसका पानी नदियों में जाता है, न कि भाखड़ा मेन कैनाल में। ये कौन सा सिद्धांत है कि हम अपने जिले डुबोयंगे और फिर दिल्ली को डुबोएंगे। यमुना से जो नुकसान हुआ है, उससे तो सबसे पहले यमुनानगर ही डूबा। जिले के दो गांव राज्य सरकार को खाली कराने पड़े।
हरियाणा को ज्यादा नुकसान
हरियाणा का एरिया यमुना के साथ दिल्ली के मुकाबले ज्यादा लगता है। इसलिए इतनी समझ उन्हें होनी चाहिए और हरियाणा को बदनाम करने से पहले सोचना चाहिए। हरियाणा ऐसे बदनाम नहीं होगा। हरियाणा की अपनी एक पहचान है। हरियाणा किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता, बल्कि सेवा करता है। मैं स्वयं को बचा लूं और दूसरे को नुकसान होने दूं यह छोटी सोच का विषय है।
दिल्ली के पानी की आवश्यकता को हरियाणा करता है पूरा
उन्होंने कहा कि दिल्ली के पानी की आवश्यकता को हरियाणा ही पूरा करता है। दिल्ली का शेयर 750 क्यूसेक है और आज भी हरियाणा दिल्ली को 1070 क्यूसेक पानी देता है। 320 क्यूसेक पानी उसके हिस्से से ज्यादा देते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जितना अतिरिक्त पानी हरियाणा देगा, उस अतिरिक्त पानी का दिल्ली सरकार भुगतान करेगी। जबकि दिल्ली सरकार उस 320 क्यूसेक अतिरिक्त पानी का पैसा नहीं देती है। कोई चीज यदि पैसे से दी जा रही है तो उसका पैसा लौटाना ही चाहिए।
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