थॉमस एल. फ्रीडमैन का कॉलम: गाजा पट्टी के बारे में ट्रम्प की योजना बेतुकी और खतरनाक

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थॉमस एल. फ्रीडमैन का कॉलम:  गाजा पट्टी के बारे में ट्रम्प की योजना बेतुकी और खतरनाक
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थॉमस एल. फ्रीडमैन का कॉलम: गाजा पट्टी के बारे में ट्रम्प की योजना बेतुकी और खतरनाक

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7 घंटे पहले

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थॉमस एल. फ्रीडमैन, तीन बार पुलित्ज़र अवॉर्ड विजेता एवं ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ में स्तंभकार

ट्रम्प की गाजा पर कब्जा करने, 20 लाख फिलिस्तीनियों को वहां से हटाने और उस समुद्रतटीय रेगिस्तानी पट्टी को किसी तरह की सैर-सपाटे या मौज-मस्ती की जगह में बदलने की योजना केवल एक बात साबित करती है : रचनात्मक सोच और मूढ़तापूर्ण सोच में ज्यादा फासला नहीं होता!

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आज तक किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने मध्य-पूर्व में शांति स्थापित करने की पहल के रूप में इससे ज्यादा बेतुकी और खतरनाक बात नहीं कही है। इससे भी ज्यादा डराने वाला यह है कि ट्रम्प के सहयोगियों और कैबिनेट सदस्यों में से लगभग किसी को भी इसके बारे में पहले से पता नहीं था।

यह उस समस्या का एक छोटा-सा रूप भी है, जिसका हम अब एक देश के रूप में सामना कर रहे हैं। अपने पहले कार्यकाल में, ट्रम्प के चारों ओर बफर्स ​​थे- सहयोगी, कैबिनेट सचिव और जनरल- जिन्होंने कई बार उनके सबसे बुरे आवेगों में उन्हें रोका और टोका। लेकिन अब ट्रम्प के चारों ओर सिर्फ उन्हें बढ़ावा देने वाले हैं।

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और अगर कोई उनके खिलाफ बोलता भी है तो इलोन मस्क द्वारा प्रेरित एक ऑनलाइन-भीड़ उन पर धावा बोलने के लिए तत्पर रहती है। ट्रम्प और मस्क की बेलगाम हरकतों के चलते सरकार और कारोबार-जगत के ज्यादातर लोग इस डर में रहते हैं कि कहीं कोई उनके बारे में एक्स पर पोस्ट न कर दे।

अगर ट्रम्प-प्रशासन सच में ही जॉर्डन और मिस्र या किसी अन्य अरब देश को गाजा के फिलिस्तीनियों को स्वीकार करने के लिए मजबूर करने की कोशिश करता है और इजराइली सेना को उन्हें घेरकर खदेड़ने के लिए कहता है, तो यह जॉर्डन के जनसांख्यिकीय संतुलन को अस्थिर कर देगा।

इससे मिस्र और इजराइल में भी अस्थिरता पैदा होगी। इजराइली हमास से चाहे जितनी नफरत करते हों, उनके बहुत-से सैनिक किसी ऐसे ऑपरेशन का हिस्सा बनने से इनकार कर देंगे, जिसकी तुलना द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यहूदियों को उनके घरों से निकालकर डिपोर्ट करने से की जा सकती है।

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जैसा कि इजराइल के हारेत्ज़ अखबार ने कहा : ऐसा कोई जादुई समाधान नहीं है, जो संघर्ष की इस कहानी को रातोंरात खत्म कर दे। ट्रम्प ने जैसा समाधान प्रस्तुत करने का दुस्साहस किया है, वह फिलिस्तीनियों के साथ ही इजराइलियों का भी अपमान है।

ट्रम्प अपने सनकी फैसलों से अरब-जगत में अमेरिकी हितों के खिलाफ भी प्रतिक्रिया पैदा करेंगे। मुस्लिम यूरोप, मध्य-पूर्व और एशिया में सड़कों पर उतरेंगे और ट्रम्प द्वारा गाजा पट्टी में एक बीच-रिसॉर्ट बनाने के नाम पर फिलिस्तीनियों को वहां से जबरन निकालने का विरोध करेंगे। इतना ही नहीं, यह ट्रम्प के द्वारा ईरान को दिया जाने वाला सबसे बड़ा तोहफा भी होगा। वह अमेरिकी-समर्थक सुन्नी देशों की मलामत करके मध्य-पूर्व में वापसी करने की कोशिश करेगा।

ट्रम्प का यह कहना सही है कि हमास एक विकृत संगठन है, जिसने 7 अक्टूबर 2023 को इजराइल के 1,200 लोगों की हत्या की और 250 को बंधक बना लिया। गाजा में हमास के भूमिगत होने ने ही उस पर इजराइल के क्रूर-आक्रमण को जन्म दिया था, जिसमें गाजा के नागरिकों की कतई परवाह नहीं की गई।

इन मायनों में हमास ने फिलिस्तीनियों को बलि के बकरों की तरह इस्तेमाल किया। ट्रम्प का यह कहना भी सही है कि इजराइली हमलों के चलते गाजा अब नरक बन गया है। और उनकी यह बात भी सही है कि अरब-जगत और इजराइल के लोगों और अक्षम फिलिस्तीनी नेताओं द्वारा फिलिस्तीनी शरणार्थी समस्या को बहुत लंबे समय तक जीवित रखा गया है।

7 अक्टूबर के बाद किसी भी तरह की शांति-प्रक्रिया में वापस लौट पाना आसान नहीं होगा, लेकिन यह धारणा कि अब और कोई चारा नहीं है, सिवाय इसके कि गाजा से फिलिस्तीनियों का सफाया कर दिया जाए, पूरी तरह से गलत है।

ट्रम्प की टीम की समस्या यह है कि मध्य-पूर्व के बारे में उनकी मालूमात नगण्य है। वे अरब-दुनिया को फारस की खाड़ी के निवेश-समुदाय के माध्यम से जानते हैं। इसलिए नेतन्याहू उन्हें आसानी से मूर्ख बना सकते हैं।

उदाहरण के लिए, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो कहते रहते हैं कि हमास कभी भी गाजा पर शासन नहीं कर सकता, लेकिन उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं है कि यह नेतन्याहू ही थे, जिन्होंने कतर के जरिए हमास को सैकड़ों मिलियन डॉलर दिलवाए थे।

नेतन्याहू चाहते थे कि हमास गाजा पर शासन करे, न कि वेस्ट बैंक पर। ताकि फिलिस्तीनी हमेशा विभाजित रहें और कभी भी टू-स्टेट सॉल्यूशन के लिए सहभागिता न कर सकें। लेकिन ट्रम्प इस बात को समझ नहीं पाते हैं कि अमेरिका के हित और नेतन्याहू के हित अलग-अलग हैं।

ट्रम्प अपने सनकी फैसलों से अरब-जगत में अमेरिकी हितों के खिलाफ प्रतिक्रिया पैदा करेंगे। मुस्लिम सड़कों पर उतरेंगे और गाजा पट्टी में बीच-रिसॉर्ट बनाने के नाम पर फिलिस्तीनियों को वहां से जबरन निकालने का विरोध करेंगे।

(द न्यूयॉर्क टाइम्स से)

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