तीन-तीन डॉन रमजान में गयी जान, देखिए दहशत की झलक, पत्नियां हुई गायब | Mukhtar Ansari, Shahabuddin and Atiq died during holy month of Ramzan. | Patrika News

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तीन-तीन डॉन रमजान में गयी जान, देखिए दहशत की झलक, पत्नियां हुई गायब | Mukhtar Ansari, Shahabuddin and Atiq died during holy month of Ramzan. | Patrika News

तीन-तीन डॉन रमजान में गयी जान, देखिए दहशत की झलक, पत्नियां हुई गायब | Mukhtar Ansari, Shahabuddin and Atiq died during holy month of Ramzan. | News 4 Social

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डॉन शहाबुद्दीन की रमजान के महीने में गई जान
( Don of Bihar Shahabuddin death) पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की मौत एक मई 2021 को हुई थी। उस समय भी रमजान चल रहा था। रमजान का 18वां दिन था। बताया गया कि तिहाड़ जेल में बंद शहाबुद्दीन 2004 के एक डबल मर्डर के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा था। जेल में वह बीमार हुआ और बताते हैं कि कोरोना के चलते वहां उसकी जान चली गयी। अंसारी परिवार का आरोप है कि तिहाड़ जेल के डायरेक्टर जनरल ने शहाबुद्दीन की हत्या कर दी।
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अतीक अहमद और भाई अशरफ को रमजान में लगी गोली ( Atiq Ahmed and Ashraf death )उसके बाद 15 अप्रैल 2023 को प्रयागराज में पूर्व सांसद अतीक अहमद और उसके भाई पूर्व विधायक अशरफ की पुलिस अभिरक्षा में हत्या हो गयी थी। उस दिन रमजान का 23 वां दिन था। अतीक अहमद और अशरफ की मौत के बाद उसके करीबियों ने योगी आदित्यनाथ की सरकार के बड़े पुलिस अफसरों पर उनके हत्या का आरोप लगाया था।
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माफिया मुख्तार अंसारी की भी रमजान में बिगड़ी तबियत, हुई मौत
28 मार्च 2024 को जब पूर्व सांसद मुख्तार अंसारी की मौत हुई तब भी रमजान का महीना चल रहा है। उस दिन रमजान का 17वां दिन था। अपनी मौत के पूर्व मुख्तार अंसारी ने जेल प्रशासन पर जहर देकर मारने की कोशिश का आरोप लगाया था।

शहाबुद्दीन, अतीक और मुख्तार में समानता इन तीनों में बहुत कुछ समानता रही। तीनों जिस भी दल में रहे बहुत दबदबे के साथ रहे। उनके राजनैतिक आका कभी उनकी बात काटने की स्थित में नहीं रहे। शहाबुद्दीन बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की नाक का बाल था। बताते हैं सिवान के चंदा बाबू का प्रकरण सोच कर लोग सहम जाते हैं।शहाबुद्दीन रंगदारी न देने के चलते चंदा बाबू के दो बेटों को तेजाब से नहला कर हत्या की जिसके बाद वो सुर्खियों में आया था। लालू यादव के कार्यकाल में शाहबुद्दीन मिनी मुख्यमंत्री था।

तीन-तीन डॉन रमजान में गयी जान, देखिए दहशत की झलक, पत्नियां हुई गायब
विधानसभा में उठी आवाज माफिया को हम मिट्टी में मिला देंगे 2005 में दिन दहाड़े इलाहाबाद की सड़कों पर बसपा विधायक राजू पाल की हत्या कर अतीक अहमद ने जरायम की बादशाहत स्थापित किया। तत्कालीन मुख्यमंत्री अतीक अहमद के कुत्ते से मुलायम सिंह यादव का हाथ मिलाते चित्र भी खूब चर्चा में रहा। जिन अधिकारियों को अतीक अहमद पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी थी वह तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव से उसकी करीबी की बात सोच कर सहम जाते थे। आस-पास के जिलों थानेदारी का चार्ज लेने वाले तमाम दरोगा अतीक गिरोह में सक्रिय हो गये।
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अतीक अहमद का ससुर भी पुलिस में दरोगा था। वह पुलिस की आंतरिक व्यवस्था में उसका समानांतर गैंग स्थापित करवा दिया। उमेश पाल की प्रयागराज में दिन दहाड़े हुई हत्या के बाद विधानसभा की कार्यवाही में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव द्वारा सरकार की जम कर घेरेबंदी की गई। जिस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सदन में ही अखिलेश यादव को जवाब देते हुये कहा कि इस माफिया को हम मिट्टी में मिला देंगे।

मुख्तार अंसारी के खिलाफ जाने पर डिप्टी एसपी को छोड़नी पड़ी नौकरी
मुख्तार अंसारी लगातार हत्याओं को लेकर चर्चित हुआ। कॉलेज के जमाने में 1985 में एक सुराख से निशाना लगा कर दुश्मन को ढेर करके चर्चित हुआ। उसके बाद एक के बाद एक हत्याओं में उसका नाम आता गया।1998 में ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या उनके गांव में घुस कर किया। 2004 में मऊ दंगों के दौरान मुख्तार अंसारी ने राज्य सरकार में पैठ के चलते कर्फ्यू के दौरान खुली जिप्सी में मशीनगन लहराते हुए घूमा। उसके बाद उसके दहशत पर सरकारी मुहर लग गयी। जो डिप्टी एसपी उसके कब्जे से मशीनगन बरामद किये उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ा। डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने मुख्तार के खिलाफ टाडा के तहत मुकदमा लिखवाया।

 

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तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने उन्हें मना किया। जब वह नहीं माने तो नौकरी छोड़ कर उसकी कीमत चुकानी पड़ी। 29 नवंबर 2005 को हुये कृष्णानंद राय की हत्या के बाद उसका जलजला कायम हो गया। उसके बाद वह आतंक का बेताज बादशाह बन गया। लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद मुख्तार अंसारी पर शिकंजा कसना शुरू हुआ जिसकी परिणीति जेल में हार्ट अटैक से मरने पर जाकर समाप्त हुई।

तीन-तीन डॉन रमजान में गयी जान, देखिए दहशत की झलक, पत्नियां हुई गायब
अतीक और मुख्तार अंसारी में खास समानता अतीक और मुख्तार की मौत में एक और दुःखद समानता रही। दोनों की पत्नियां उनके मौत के बाद पुलिस की वांटेड रहीं। अतीक अहमद की बीवी शाइस्ता परवीन आज भी फरारी काट रही है। शाइस्ता पर 50 हजार का इनाम घोषित है। जबकि मुख्तार अंसारी की पत्नी अफ्शा अंसारी भी फरारी काट रही है। वह भी मुख्तार अंसारी की मिट्टी में शामिल नहीं हो सकती, न ही उसके अंतिम दर्शन कर पायेगी। अफ्शा अंसारी पर भी 50 हजार का इनाम है। एआईएमआईएम के नेता वारिस पठान टाइप कुछ लोग पाक महीने में इन माफियाओं की मौत बहुत अच्छा बताने की कोशिश कर रहे हैं, तो एक बहुत बड़ा वर्ग यह कह रहा है कि यह अल्ला का न्याय है।

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