Home Top stories ढाई घंटे संगीतमयी यात्रा; साज ने अवसाद को भुलाया – Jaipur News

ढाई घंटे संगीतमयी यात्रा; साज ने अवसाद को भुलाया – Jaipur News

ढाई घंटे संगीतमयी यात्रा; साज ने अवसाद को भुलाया – Jaipur News

ढाई घंटे संगीतमयी यात्रा; साज ने अवसाद को भुलाया – Jaipur News

राजस्थानी स्टाइल में डिजाइन अनारकली कुर्ता, गले में मोतियों का हार और हाथ में सितार। बातों में किस्से, किस्सों में कहानियां, जो सितार की धुन के साथ हवाओं में बहती नजर आई। बीच-बीच में ‘ओम’ का उच्चारण… 4 से 70 साल तक की ऑडियंस के लिए यह एक मरहम की तरह

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आठ साजिंदों के बीच बैठे ऋषभ ने जब एक साथ प्रस्तुति दी, तो सुरों का हाथ थामे श्रोता कभी रेगिस्तान के धोरों पर पहुंचे, तो कभी बर्फीले कैलाश पर्वत पर। सुरों की जादूगरी का असर लोगों की मुस्कुराहटों, आंसुओं और खामोशी में देर तक बना रहा। तपते-जलते विचारों की जगह चांद सी शीतलता वाले सुरों ने ले ली थी। इस चांद का कतरा हर श्रोता के हिस्से आया था। मौका था रविवार की शाम सीतापुरा स्थित जेईसीसी ग्राउंड पर सितार वादक ऋषभ रिखीराम शर्मा के ‘सितार फॉर मेंटल हेल्थ’ कॉन्सर्ट का। करीब ढाई घंटे का यह कार्यक्रम पूरे समय हाउसफुल रहा। बिना पलक झपकाए लोग कलाकारों को सुनते रहे, और ऋषभ बीच-बीच में वादन के साथ मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े टिप्स भी देते नजर आए। आर्टिस्ट ने कॉन्सर्ट के बीच 10 मिनट का ब्रेक लिया, जिसमें वे ऑडियंस को टास्क देकर गए। कहा- जो भी आपके पास बैठा है, उनसे यह तीन सवाल पूछो-

1. आपको किस चीज का पछतावा है?

2. आप किसके लिए आभारी हैं?

3. आप आगे क्या चाहते हैं? और कहा, हमें अजनबियों से बात करनी चाहिए, क्योंकि कभी-कभी ये हमारे बहुत अच्छे दोस्त बन जाते हैं और जीवन जीने की सीख दे जाते हैं। सितार फॉर मेंटल हेल्थ की शुरुआत भी यहीं से हुई थी। जब उनके नाना जी की मृत्यु हुई, तो उन्हें गहरा सदमा लगा था और इससे बाहर आने के लिए उन्होंने सितार बजाना शुरू किया। उनका मानना था कि भारतीय संगीत को उस मुकाम पर ले जाना चाहिए जहां यह एक थेरेपी की तरह काम करे, जिससे एंग्जाइटी और डिप्रेशन दूर हो सके, और लोग रिलैक्स होकर म्यूजिक का आनंद लें। जयपुर में यह आयोजन खुशाल सिंह का रहा, जिन्होंने शहर में पहले भी कई कॉन्सर्ट्स आयोजित किए हैं।

{आदि शंकरा, तुम्हीं देखो ना, हर घड़ी बदल रही है जैसे कई सॉन्ग्स को प्रस्तुत किया।

{पीछे वाली ऑडियंस के लिए बीच में छोटा मंच बनाया गया, जहां खड़े होकर प्रस्तुति दी।

{शिव तांडव को आर्टिस्ट ने श्रोताओं के साथ खड़े होकर गाया। ओम नमो पार्वती पतये नमः के साथ शो का समापन किया।

पहलगाम मृतकों को श्रद्धांजलि, नहीं लगाई मेहंदी

शो के बीच ऋषभ ने पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए पर्यटकों को श्रद्धांजलि दी। गौरतलब है कि ऋषभ इस हमले के बाद यह शो कैंसिल करने वाले थे, लेकिन उन्हें लगा कि ऐसे वक्त में म्यूजिक ही एक ऐसा माध्यम है जो लोगों को इस सदमे से बाहर निकाल सकता है। हर शो में वे हाथ पर मेहंदी का शृंगार करके आते हैं, जो भगवान शिव को समर्पित होता है। इस शो में वह बिना मेहंदी लगाए आए थे।

श्रोताओं ने गुनगुनाया ‘पधारो म्हारे देस…’

10 मिनट के ब्रेक के बाद ऋषभ मंच पर आते हैं, इस बार उनके साथ मांगणियार कलाकार भी मंच पर थे। ऋषभ की सितार के साथ मांगणियारों की जुगलबंदी पर निकली ‘पधारो म्हारे देस…’ की धुन श्रोताओं को गुनगुनाने को मजबूर कर गई। ऋषभ ने जैसे ही ‘शिव कैलाश’ गाया तो श्रोता भी ‘शिव कैलशों के वासी, धौली धरों के राजा, शंकर संकट हर ना, शंकर संकट हर ना, तेरे कैलशों का अंत ना पाया, अंत बे-अंत तेरी माया ओह भोले बाबा…’ गुनगुनाने हुए ताल से ताल मिलाते नजर आए।

मांगणियार कलाकारों के बीच प्रस्तुति देते ऋषभ।

ऑडियंस के बीच प्रस्तुति।

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