डेढ़ साल बाद भी बीजेपी के 13 मंडल अधूरे: ‘मेरा आदमी अध्यक्ष बने’ की जिद में उलझे, नेताओं की खींचतान बनी भाजपा के लिए चुनौती – Chittorgarh News

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डेढ़ साल बाद भी बीजेपी के 13 मंडल अधूरे:  ‘मेरा आदमी अध्यक्ष बने’ की जिद में उलझे, नेताओं की खींचतान बनी भाजपा के लिए चुनौती – Chittorgarh News
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डेढ़ साल बाद भी बीजेपी के 13 मंडल अधूरे: ‘मेरा आदमी अध्यक्ष बने’ की जिद में उलझे, नेताओं की खींचतान बनी भाजपा के लिए चुनौती – Chittorgarh News

राजस्थान में भजनलाल शर्मा सरकार को डेढ़ साल पूरे हो चुके हैं। इस साल जिले की पांच विधानसभा क्षेत्रों के 35 में से 22 मंडलों में भाजपा ने नए अध्यक्षों की घोषणा कर दी थी, लेकिन अब भी 13 मंडलों में नियुक्ति अधूरी है। सबसे ज्यादा पेच चित्तौड़गढ़ विधानसभा

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इस गतिरोध की असली वजह निर्दलीय विधायक (भाजपा समर्थित) चंद्रभान सिंह आक्या और सांसद सीपी जोशी के बीच खींचतान है। दोनों ही नेता अपने-अपने करीबी कार्यकर्ताओं को मंडल अध्यक्ष बनवाना चाहते हैं। ऐसे में जिला अध्यक्ष से लेकर प्रदेश नेतृत्व तक किसी एक नाम पर सहमति बनाना मुश्किल हो गया है। यह स्थिति भाजपा के संगठन के लिए बड़ी चुनौती बन चुकी है।

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13 मंडलों में नियुक्ति अधूरी, कई जगह नियम आए आड़े

चित्तौड़गढ़ विधानसभा के अलावा, बेगूं के कमाड और जावदा मंडल, कपासन के भूपालसागर, कपासन नगर, भादसोड़ा, आकोला ग्रामीण और पहुंना मंडलों में भी अध्यक्षों की नियुक्ति बाकी है। इन 13 मंडलों में अब भी पुराने अध्यक्ष ही काम कर रहे हैं, जिनका कार्यकाल खत्म हो चुका है।

पार्टी के नियमों के अनुसार एक व्यक्ति लगातार दो बार से ज्यादा मंडल अध्यक्ष नहीं बन सकता। कपासन में कई कार्यकर्ता पुराने अध्यक्षों को फिर से चाह रहे हैं, लेकिन नियम आड़े आ रहे हैं। वहीं, बेगूं में भी नए नामों की कमी और कुछ नामों की ज्यादा उम्र परेशानी बन रही है।

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चित्तौड़गढ़ नगर मंडल बना खींचतान का केंद्र

सबसे ज्यादा राजनीतिक हलचल चित्तौड़गढ़ नगर मंडल को लेकर हो रही है। यहां निर्दलीय लेकिन बीजेपी समर्थित विधायक आक्या की ओर से ओमप्रकाश शर्मा, रवि वीरानी और अनिल ईनाणी के नामों की चर्चा है। दूसरी ओर सांसद जोशी समर्थक और बीजेपी कार्यकर्ताओं के रूप में गौरव त्यागी, अनंत समदानी, पिंकी सोमानी और शिवकुमार मंत्री के नाम सामने आ रहे हैं।

नगर मंडल के वर्तमान अध्यक्ष सागर सोनी लंबे समय से पद पर हैं। कार्यकर्ताओं में बदलाव की मांग उठने लगी है। संगठन के भीतर भी यह चर्चा आम है कि नए चेहरों को मौका मिलना चाहिए।

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विधायक और सांसद की सहमति नहीं होने से संगठन के बाकी पदाधिकारी और कार्यकर्ता असमंजस में हैं। खुलकर कोई बोलता नहीं, लेकिन चर्चा के दौरान अपनी नाराजगी जाहिर करने से पीछे नहीं हटते। संगठन के नियमों के अनुसार ऐसे कार्यकर्ता जिन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई हो या जिन्होंने पार्टी के खिलाफ काम किया हो या फिर पार्टी ने उनपर कार्रवाई की हो, उन्हें महत्वपूर्ण पद नहीं दिया जाना चाहिए। लेकिन विवाद के कारण किसी निर्णय पर नहीं पहुंचा जा रहा।

पिछले साल दिसंबर में ही यह सभी नियुक्तियां होनी थी। लेकिन अब तक फैसला नहीं लिया जा सका है। निंबाहेड़ा में 4, बड़ीसादड़ी में 6, बेगूं में 8 और कपासन में 4 मंडल अध्यक्षों की घोषणा हो चुकी है, लेकिन चित्तौड़गढ़ में मामला अटका हुआ है।

जिलाध्यक्ष बोले – लिस्ट प्रदेश अध्यक्ष तक जा चुकी है

भाजपा के जिलाध्यक्ष रतन लाल गाडरी ने बताया कि सभी मंडलों के लिए नामों की सूची बनाकर प्रदेश अध्यक्ष को भेज दी गई है। अब अंतिम निर्णय वहीं से होना है। उन्होंने यह भी माना कि कार्यकर्ताओं की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए जल्द फैसला लिया जाना जरूरी है।

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