ट्रांसजेंडर गर्ल ऐवा का छलका दर्द, बोली- शरीर कुछ और आत्मा कुछ और…ऐसे जिया जा सकता है क्या
‘लकी’ बना शहर की पहली ट्रांस गर्ल ‘ऐवा’
मामला मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले का पहला ट्रांसजेंडर का मामला है। जैसे शहर ने कभी एक लड़के के स्वरूप में हैप्पी बॉडी के साथ देखा, अब उसे एक लड़की के स्वरूप में पाकर आश्चर्यचकित हैं। शहर का रहने वाला लकी की पहचान अब ऐवा के नए रुप में हो रही है। उसकी 14 महीने तक हार्मोन थेरेपी चली, जिसके बाद वह लकी से ऐवा बन गया।
लड़का थी, लेकिन शौक सभी लड़कियों वाले रहे
ऐवा ने बताया की वह बचपन से ही उसको लड़कियों का रहन सहन भाता था धीरे धीरे उसे ये आभास होने लगा कि उसका शरीर और दिमागी स्थिति एक समान नहीं है। उसने अपने परिवार में इस बारे में बताया और काफी कठिन परिस्थितियों का सामना करने के बाद आखिरकार लकी शहर की पहली ट्रांस गर्ल ऐवा बन गई है।
ट्रांसजेंडर गर्ल ऐवा का छलका दर्द, बोली- ऐसे जीवन जिया जा सकता है क्या
ट्रांसजेंडर गर्ल ऐवा ने बताया कि यदि किसी परिवार में कोई ट्रांस लड़का है या ट्रांस लड़की है, तो आप कुछ नहीं कर सकते आपको उसे अपनाना पड़ेगा। आप कुछ भी कर लो कुछ नहीं होने वाला सामने वाले की लाइफ वही है। उसको स्वयं को भी पता नहीं कि वह ऐसा क्यों है। ऐसे में यदि उन्हें नहीं अपनाया जाएगा तो उसकी लाइफ खराब होगी और अपनी भी। मेरा शरीर भी बचपन से लड़कों का था, लेकिन मेरी चॉइस हमेशा लड़कियों जैसी थी। मेरा शरीर तो लड़कों का था, लेकिन आत्मा लड़की की थी, ऐसे में कोई कैसे जिंदगी जी सकता है।
बहुत तकलीफ में जिया जीवन, अब बनना है देश की महिला बॉडीबिल्डर
ऐवा का कहना है कि ट्रांसजेंडर बनने की बात पर उसने परिवार वालों और समाज का काफी विरोध झेला है। बहुत समझाने के बाद परिवार का साथ मिला, जिसके बाद उसने अपना ट्रीटमेंट शुरू करवाया। अब धीरे-धीरे वह लड़की के स्वरूप में आई है।अब वह देश की पहली महिला बॉडीबिल्डर बनना चाहती है।
14 महीने की हार्मोन थेरेपी के बाद लकी से बनी ऐवा
ऐवा का कहना है कि आपका शारीरिक जेंडर और मानसिक जेंडर मैच नहीं करता, तभी सारा संघर्ष चालू होता है। जब यह सब चीजें मैच और डिसमैच होती है। अब हमें पता पड़ता है और मुझे भी तभी लगा कि कोई दिक्कत है। यहीं से मैंने शुरुआत की और सबसे पहले मैने मानसिक रोग विशेषज्ञ के पास जाना हुआ। वहां पर डायलिसिस होता है और वह लिख कर देते हैं, जिसके बाद दूसरे हार्मोनस डॉक्टर के पास जाना हुआ। उन्होंने हार्मोन थेरेपी शुरू की, जिसके बाद करीब 14 महीने में मेरे शरीर में चेंजिंग आना शुरू हो गए। ऐवा ने बताया कि वह अभी हार्मोन थेरपी पर हैं।
परिवार और समाज का विरोध झेला
ऐवा ने बताया कि उसने कई दिनों तक समाज और परिवार रिश्तेदारों के डर से इस चीज को दबाए रखा। लेकिन धीरे-धीरे बाद सब चीजें मेरे सामने आने लगी, तो बेहद तकलीफ में जीवन बीता। ऐवा का कहना है कि इन सब चीजों को लेकर जब मैंने परिवार में यह बात रखी, तो मुझे भी विरोध का सामना करना पड़ा। साथ ही समाज और रिश्तेदारों का भी विरोध झेला। ऐसे में जब आपकी शारीरिक और मानसिक स्थिति एक जैसी नहीं होने से जीवन बेहद कष्टदायक और दुःख तकलीफों में निकलता है।