टूटा रिकॉर्ड, 39 दिन में 47 तो महज 11 दिन में 40 फीसद रोपनी h3>
टूटा रिकॉर्ड, 39 दिन में 47 तो महज 11 दिन में 40 फीसद रोपनी बारिश का मिल रहा साथ तो लक्ष्य के करीब पहुंची धान की रोपनी जिले में अबतक 87% रोपनी, 25 अगस्त तक अनुकूल समय फोटो खेत01 – नूरसराय के पास धान की रोपनी करते मजदूर। बिहारशरीफ, कार्यालय प्रतिनिधि। जून और जुलाई में भले ही नालंदा में समान्य से कम बारिश हुई। लेकिन, अगस्त की शुरुआत से ही मानसून मेहरबान है। रुक रुककर कभी तेज तो कभी हल्की बारिश हो रही है। बारिश का साथ मिला तो धनरोपनी का रिकॉर्ड भी टूट गया है। इसबार 23 जुलाई से रोपनी का श्रीगणेश चंडी के रैसा गांव से हुआ था। 31 जुलाई यानी 39 दिन में लक्ष्य का महज 47 फीसद रोपनी हुई थी। जबकि, एक से 11 अगस्त यानी मात्र 11 दिनों में ही 40 फीसद रोपनी कर किसानों ने अपनी उम्मीदों को लम्बी उड़ान दी है। कुछ दिन यू हीं मानसून का साथ मिला तो रोपनी के लक्ष्य को भी पा लिया जाएगा। कृषि विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो खरीफ सीजन में जिले में 1,46,350 हेक्टेयर में धान की खेती होनी है। जून में बारिश का साथ न मिलने के कारण मिट्टी से नमी गायब हुई तो किसान चिंता में पड़ गये। जैसे-तैसे करके 29 जून तक 7968 हेक्टेयर में बिचड़ा तैयार हो पाया। जबकि, महज 23 हेक्टेयर यानी लक्ष्य का एक फीसद से भी कम धनरोपनी हो सकी। बारिश के इंतजार में बैठे जुलाई का आगमन थोड़ी राहत दी। शुरुआत के एक सप्ताह अच्छी बारिश हुई तो बिचड़ा तैयार करने का लक्ष्य पूरा हो गया। परंतु, उसके बाद फिर से बारिश ने दगा दिया तो रोपनी रफ्तार नहीं पकड़ सकी। नौबत ऐसी हो गयी कि तैयार बिचड़े गर्मी के कारण झुलसने लगे। हद तो यह कि खेतों में दरारें होने से लगाये धान के पौधे पीले पड़ने लगे। अगस्त में आसमान से झमाझम फुहारें गिरीं तो हताश किसानों में नया उत्साह उमड़ा। कमर कस खेतों में उतरे तो 11 अगस्त तक धनरोपनी के ग्राफ 87 फीसद पर पहुंच गया है। बारिश खेती के लिए संजीवनी: सरदार बिगहा के किसान धनंजय कुमार, नूरसराय के संजीव कुमार, अस्थावां के प्रेम रंजन कहते हैं कि बारिश के बाद खेतों में नमी आने से धनरोपनी करना आसान हो गया है। बारिश धान की फसलों के लिए संजीवनी है। कुछ दिन और इसी तरह बारिश होती रही तो धान का खेती का लक्ष्य पूरा हो जाएगा। अगस्त में 128 एमएम बारिश : जून में समान्य से 50 फीसद कम बारिश हुई थी। जबकि, जुलाई में भी 3.12 एमएम कम बारिश रिकार्ड की गयी थी। राहत यह कि अगस्त में अबतक 128 एमएम बारिश हो चुकी है। पूरे माह में 282.7 एमएम समान्य बारिश होनी चाहिए। मानसून का अबतक जो मिजाज है, उससे उम्मीद है कि इस बार बारिश का लक्ष्य भी पूरा हो जाएगा। नदियों को अब भी पानी का इंतजार : बारिश के इंतजाम में जून और जुलाई गुजर गया। 11 दिन अगस्त भी बीत गया। लेकिन, छह को छोड़ जिले की अन्य नदियों में एक बार भी पानी नहीं आया है। डीएओ राजीव कुमार बताते हैं कि हो रही बारिश से किसानों को बड़ी राहत मिली है। धान की रोपनी तेज गति से चल रही है। 25 अगस्त तक रोपनी के लिए अनुकूल समय है।
बिहार की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News
Advertising
टूटा रिकॉर्ड, 39 दिन में 47 तो महज 11 दिन में 40 फीसद रोपनी बारिश का मिल रहा साथ तो लक्ष्य के करीब पहुंची धान की रोपनी जिले में अबतक 87% रोपनी, 25 अगस्त तक अनुकूल समय फोटो खेत01 – नूरसराय के पास धान की रोपनी करते मजदूर। बिहारशरीफ, कार्यालय प्रतिनिधि। जून और जुलाई में भले ही नालंदा में समान्य से कम बारिश हुई। लेकिन, अगस्त की शुरुआत से ही मानसून मेहरबान है। रुक रुककर कभी तेज तो कभी हल्की बारिश हो रही है। बारिश का साथ मिला तो धनरोपनी का रिकॉर्ड भी टूट गया है। इसबार 23 जुलाई से रोपनी का श्रीगणेश चंडी के रैसा गांव से हुआ था। 31 जुलाई यानी 39 दिन में लक्ष्य का महज 47 फीसद रोपनी हुई थी। जबकि, एक से 11 अगस्त यानी मात्र 11 दिनों में ही 40 फीसद रोपनी कर किसानों ने अपनी उम्मीदों को लम्बी उड़ान दी है। कुछ दिन यू हीं मानसून का साथ मिला तो रोपनी के लक्ष्य को भी पा लिया जाएगा। कृषि विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो खरीफ सीजन में जिले में 1,46,350 हेक्टेयर में धान की खेती होनी है। जून में बारिश का साथ न मिलने के कारण मिट्टी से नमी गायब हुई तो किसान चिंता में पड़ गये। जैसे-तैसे करके 29 जून तक 7968 हेक्टेयर में बिचड़ा तैयार हो पाया। जबकि, महज 23 हेक्टेयर यानी लक्ष्य का एक फीसद से भी कम धनरोपनी हो सकी। बारिश के इंतजार में बैठे जुलाई का आगमन थोड़ी राहत दी। शुरुआत के एक सप्ताह अच्छी बारिश हुई तो बिचड़ा तैयार करने का लक्ष्य पूरा हो गया। परंतु, उसके बाद फिर से बारिश ने दगा दिया तो रोपनी रफ्तार नहीं पकड़ सकी। नौबत ऐसी हो गयी कि तैयार बिचड़े गर्मी के कारण झुलसने लगे। हद तो यह कि खेतों में दरारें होने से लगाये धान के पौधे पीले पड़ने लगे। अगस्त में आसमान से झमाझम फुहारें गिरीं तो हताश किसानों में नया उत्साह उमड़ा। कमर कस खेतों में उतरे तो 11 अगस्त तक धनरोपनी के ग्राफ 87 फीसद पर पहुंच गया है। बारिश खेती के लिए संजीवनी: सरदार बिगहा के किसान धनंजय कुमार, नूरसराय के संजीव कुमार, अस्थावां के प्रेम रंजन कहते हैं कि बारिश के बाद खेतों में नमी आने से धनरोपनी करना आसान हो गया है। बारिश धान की फसलों के लिए संजीवनी है। कुछ दिन और इसी तरह बारिश होती रही तो धान का खेती का लक्ष्य पूरा हो जाएगा। अगस्त में 128 एमएम बारिश : जून में समान्य से 50 फीसद कम बारिश हुई थी। जबकि, जुलाई में भी 3.12 एमएम कम बारिश रिकार्ड की गयी थी। राहत यह कि अगस्त में अबतक 128 एमएम बारिश हो चुकी है। पूरे माह में 282.7 एमएम समान्य बारिश होनी चाहिए। मानसून का अबतक जो मिजाज है, उससे उम्मीद है कि इस बार बारिश का लक्ष्य भी पूरा हो जाएगा। नदियों को अब भी पानी का इंतजार : बारिश के इंतजाम में जून और जुलाई गुजर गया। 11 दिन अगस्त भी बीत गया। लेकिन, छह को छोड़ जिले की अन्य नदियों में एक बार भी पानी नहीं आया है। डीएओ राजीव कुमार बताते हैं कि हो रही बारिश से किसानों को बड़ी राहत मिली है। धान की रोपनी तेज गति से चल रही है। 25 अगस्त तक रोपनी के लिए अनुकूल समय है।