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झुंझुनूं डिपो में बड़ा वेतन घोटाला: 14 कर्मचारी बिना ड्यूटी के ले रहे थे वेतन, जयपुर मुख्यालय से जांच टीम ने की छानबीन, डिपो प्रबंधक भी सवालों के घेरे में – Jhunjhunu News

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झुंझुनूं डिपो में बड़ा वेतन घोटाला:  14 कर्मचारी बिना ड्यूटी के ले रहे थे वेतन, जयपुर मुख्यालय से जांच टीम ने की छानबीन, डिपो प्रबंधक भी सवालों के घेरे में – Jhunjhunu News

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झुंझुनूं डिपो में बड़ा वेतन घोटाला: 14 कर्मचारी बिना ड्यूटी के ले रहे थे वेतन, जयपुर मुख्यालय से जांच टीम ने की छानबीन, डिपो प्रबंधक भी सवालों के घेरे में – Jhunjhunu News

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झुंझुनूं डिपो में बड़ा वेतन घोटाला

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राजस्थान रोडवेज के झुंझुनूं डिपो में एक बड़ा वेतन घोटाला सामने आया है, जहाँ 14 कर्मचारी कथित तौर पर बिना ड्यूटी किए ही वेतन ले रहे थे। इस मामले की शिकायत मिलने के बाद जयपुर मुख्यालय से एक उच्च स्तरीय जांच टीम ने आज झुंझुनूं डिपो का दौरा किया और चार घ

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प्राप्त जानकारी के अनुसार जयपुर से आई इस जांच टीम में संभागीय प्रबंधक अवधेश शर्मा और सहायक संभागीय प्रबंधक उमेश नागर शामिल थे।

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टीम ने डिपो में कर्मचारियों की उपस्थिति, वेतन भुगतान रिकॉर्ड और अन्य संबंधित दस्तावेजों की बारीकी से जांच की।

गौरतलब है कि यह पहला मौका नहीं है जब झुंझुनूं डिपो में इस तरह की अनियमितताएं सामने आई हैं। इससे पहले भी एक जांच टीम ने डिपो का दौरा किया था और वेतन घोटाले की रिपोर्ट दी थी।

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एक गोपनीय शिकायत के आधार पर रोडवेज मुख्यालय की जांच में यह सनसनीखेज खुलासा हुआ है कि झुंझुनूं डिपो के 14 कर्मचारी पिछले तीन से पांच वर्षों से बिना किसी कार्य के नियमित वेतन उठा रहे थे।

गोपनीय शिकायत से हुआ भंडाफोड़

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इस बड़े घोटाले का पर्दाफाश तब हुआ जब जयपुर स्थित एंटी करप्शन ब्यूरो को एक गुप्त शिकायत प्राप्त हुई। शिकायत में स्पष्ट रूप से बताया गया था कि झुंझुनूं डिपो में कुछ कर्मचारी वर्षों से अपनी ड्यूटी पर नहीं आ रहे हैं, फिर भी उनकी उपस्थिति नियमित रूप से दर्ज की जा रही है और उनके खातों में वेतन भी लगातार भेजा जा रहा है। शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया था कि डिपो के मुख्य प्रबंधक कर्मचारियों से रिश्वत लेकर उन्हें हाजिर दर्शा रहे हैं।

मामले की गंभीरता को समझते हुए, एसीबी ने तुरंत जांच की जिम्मेदारी रोडवेज मुख्यालय को सौंप दी। इसके बाद रोडवेज मुख्यालय ने तत्काल प्रभाव से एक तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया, जिसमें कार्यकारी प्रबंधक (शिकायत) और कार्यकारी प्रबंधक (विजिलेंस) को शामिल किया गया। समिति ने मौके पर पहुंचकर गहन जांच की थी।

जांच में यह सामने आया कि कम से कम 14 कर्मचारी ऐसे थे, जिन्होंने वर्षों से डिपो में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराई, फिर भी उन्हें नियमित रूप से वेतन प्राप्त होता रहा।

इन कर्मचारियों में कनिष्ठ लिपिक विजय सिंह थाकन, वरिष्ठ सहायक गौरव चौधरी, परिचालक सुमेर सिंह गावड़िया, महेंद्र चारण, सरिता धतरवाल, चालक विजेंद्र चौधरी, सुरेश कुमार, परिचालक विमला देवी, विनोद कुमारी, विजय सिंह चाहर, सुमन कटेवा, संजय भास्कर, विजय सिंह और रणवीर सिंह शामिल हैं।

कुछ कर्मचारियों को तो डिपो के अन्य कर्मचारियों ने वर्षों से देखा ही नहीं था। इसके बावजूद, उनके नाम ड्यूटी रोस्टर में नियमित रूप से दर्ज किए गए, उनकी उपस्थिति लगाई गई, और वेतन उनके खातों में हस्तांतरित किया गया।

राजस्थान रोडवेज के प्रबंध निदेशक पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा की यह मामला हमारे संज्ञान में आया है और इसकी पूरी गंभीरता से जांच की जा रही है। दोषियों पर नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी।”

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