झांसी स्टेशन पर रेलवे का नया प्रयोग, ट्रेनों में पानी भरने के लिए 10 मिनट का ठहराव | Railway New Experiment 10 Minute Stop for Water Refilling | News 4 Social h3>
पानी की कमी से यात्री परेशान
दरअसल, ट्रेनों के टॉयलेट में पानी खत्म हो जाने की शिकायतें रोज बड़ी संख्या में रेलवे के पास पहुंचती हैं। इससे यात्रियों को दिक्कत का सामना करना पड़ता है। रेलवे के लंबे रूटों पर अभी करीब 200 से 400 किमी बाद ही बड़े स्टेशन पर कोच में पानी भरने की व्यवस्था है। इसमें झांसी भी शामिल है। यहां 24 घंटे में औसतन 115 ट्रेनों के टॉयलेट टैंक में पानी भरा जाता है। लेकिन यहां ट्रेनों का ठहराव महज पांच से सात मिनट के लिए ही होता है। इसके चलते ट्रेन के कोच में पानी नहीं भर पाता।
डीआरएम ने लिखा था पत्र
मार्च में डीआरएम दीपक कुमार सिन्हा और मुख्य रोलिंग स्टॉक इंजीनियर सूरज प्रकाश ने रेलवे बोर्ड को झांसी में ट्रेनों के ठहराव का समय बढ़ाने के लिए पत्र लिखा था। ताकि सभी ट्रेनों में पर्याप्त पानी भरा जा सके। अब रेलवे बोर्ड ने इस समस्या को जड़ से दूर करने के लिए सर्वे कराने की तैयारी की है। बोर्ड ने झांसी को नोडल स्टेशन बनाते हुए यहां ट्रेनों के ठहराव का समय बढ़ाकर कोच में पानी भरने की समय सीमा जांचने के लिए टीम भेजी है।
5 मार्च को होगा सर्वे
आज केंद्र सरकार के आरडीएसओ (अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन) की सहयोगी संस्था सेंटर फॉर एडवांस मेंटेनेंस टेक्नोलॉजी की टीम पूरी प्रक्रिया के साथ ही स्टेशन का सर्वे करेगी। टीम की रिपोर्ट के बाद रेलवे बोर्ड झांसी स्टेशन सहित पूरे देश में यह व्यवस्था लागू करेगा।
टीम करेगी यह काम
वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी स्टेशन पहुंच रही सेंटर फॉर एडवांस मेंटेनेंस टेक्नोलॉजी की टीम यहां ट्रेनों में पानी भरवाकर यह देखेगी कि इसमें कितना समय लग रहा है? साथ ही यह भी निर्धारित किया जाएगा कि एक कोच में कितनी देर में टैंक फुल हो पा रहा है? सर्वे के दौरान आठ से दस ट्रेनों में पानी भरा जाएगा।
झांसी में इतने कोच में भरा जाता है पानी
वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी स्टेशन से होकर आने-जाने वालीं 110 से 115 ट्रेनों के 2250 कोच में 24 घंटे में 16 से 18 लाख लीटर पानी भरा जाता है। लेकिन, ट्रेनों के रुकने का समय कम होने के चलते टैंक पूरा नहीं भर पाता।
झांसी के बाद कानपुर, दिल्ली और भोपाल में ही पानी भरने का इंतजाम
वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी स्टेशन आने-जाने वालीं ट्रेनों में दिल्ली, भोपाल और कानपुर में ही पानी भरा जाता है। लेकिन, इन स्टेशनों की दूरी अधिक होने के चलते यह पानी बहुत अधिक समय तक नहीं चल पाता है।
पानी की कमी से यात्री परेशान
दरअसल, ट्रेनों के टॉयलेट में पानी खत्म हो जाने की शिकायतें रोज बड़ी संख्या में रेलवे के पास पहुंचती हैं। इससे यात्रियों को दिक्कत का सामना करना पड़ता है। रेलवे के लंबे रूटों पर अभी करीब 200 से 400 किमी बाद ही बड़े स्टेशन पर कोच में पानी भरने की व्यवस्था है। इसमें झांसी भी शामिल है। यहां 24 घंटे में औसतन 115 ट्रेनों के टॉयलेट टैंक में पानी भरा जाता है। लेकिन यहां ट्रेनों का ठहराव महज पांच से सात मिनट के लिए ही होता है। इसके चलते ट्रेन के कोच में पानी नहीं भर पाता।
डीआरएम ने लिखा था पत्र
मार्च में डीआरएम दीपक कुमार सिन्हा और मुख्य रोलिंग स्टॉक इंजीनियर सूरज प्रकाश ने रेलवे बोर्ड को झांसी में ट्रेनों के ठहराव का समय बढ़ाने के लिए पत्र लिखा था। ताकि सभी ट्रेनों में पर्याप्त पानी भरा जा सके। अब रेलवे बोर्ड ने इस समस्या को जड़ से दूर करने के लिए सर्वे कराने की तैयारी की है। बोर्ड ने झांसी को नोडल स्टेशन बनाते हुए यहां ट्रेनों के ठहराव का समय बढ़ाकर कोच में पानी भरने की समय सीमा जांचने के लिए टीम भेजी है।
5 मार्च को होगा सर्वे
आज केंद्र सरकार के आरडीएसओ (अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन) की सहयोगी संस्था सेंटर फॉर एडवांस मेंटेनेंस टेक्नोलॉजी की टीम पूरी प्रक्रिया के साथ ही स्टेशन का सर्वे करेगी। टीम की रिपोर्ट के बाद रेलवे बोर्ड झांसी स्टेशन सहित पूरे देश में यह व्यवस्था लागू करेगा।
टीम करेगी यह काम
वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी स्टेशन पहुंच रही सेंटर फॉर एडवांस मेंटेनेंस टेक्नोलॉजी की टीम यहां ट्रेनों में पानी भरवाकर यह देखेगी कि इसमें कितना समय लग रहा है? साथ ही यह भी निर्धारित किया जाएगा कि एक कोच में कितनी देर में टैंक फुल हो पा रहा है? सर्वे के दौरान आठ से दस ट्रेनों में पानी भरा जाएगा।
झांसी में इतने कोच में भरा जाता है पानी
वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी स्टेशन से होकर आने-जाने वालीं 110 से 115 ट्रेनों के 2250 कोच में 24 घंटे में 16 से 18 लाख लीटर पानी भरा जाता है। लेकिन, ट्रेनों के रुकने का समय कम होने के चलते टैंक पूरा नहीं भर पाता।
झांसी के बाद कानपुर, दिल्ली और भोपाल में ही पानी भरने का इंतजाम
वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी स्टेशन आने-जाने वालीं ट्रेनों में दिल्ली, भोपाल और कानपुर में ही पानी भरा जाता है। लेकिन, इन स्टेशनों की दूरी अधिक होने के चलते यह पानी बहुत अधिक समय तक नहीं चल पाता है।