झांसी में फौजी की जमीन पर प्रधान ने किया कब्जा: 1971 में पाकिस्तान को युद्ध में हराने पर इनाम मिली थी, हेराफेरी कर रजिस्ट्री की गई – Jhansi News h3>
सैन्यकर्मी विजय वीर और उनके परिजन अपनी जमीन वापस पाने के लिए भटक रहे हैं।
झांसी में फौजी की 6 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा करने का मामला सामने आया है। यह जमीन कैप्टन धर्मवीर शर्मा और उनके भाई कैप्टन महावीर शर्मा को 1971 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में अदम्य साहित दिखाने पर इनाम में मिली थी। वे जीवनभर देश की सरहद की रक्षा करने
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इसका फायदा गांव के लोगों ने उठाया और फर्जी कागजात बनाकर रजिस्ट्री तक कर दी। अब सैन्य परिवार अपनी जमीन दोबारा पाने के लिए अफसरों के चक्कर लगा रहा है। आरोप है कि एक ग्राम प्रधान ने ही जमीन पर कब्जा जमा लिया। शनिवार को समाधान दिवस में पहुंचकर सैन्य परिवार ने न्याय की गुहार लगाई है।
झांसी में तैनात थे दोनों भाई
सैन्यकर्मी का परिवार अपनी जमीन वापस पाने के लिए अब भटक रहा है।
हरियाणा के रोहतक निवासी सैन्यकर्मी विजय वीर, नई दिल्ली निवासी मंजू शर्मा और सूर्य वीर शर्मा ने पुलिस को बताया कि “मेरे पिता कैप्टन धर्मवीर शर्मा और चाचा कैप्टन महावीर शर्मा फौज में थे। वे झांसी में भी तैनात रहे। 1971 में पाकिस्तान से लड़ाई छिड़ने पर दोनों अग्रिम मोर्चे पर भेजे गए। युद्ध के दौरान दोनों ने अदम्य साहस का प्रदर्शन किया।
इस पर सरकार ने उनको रक्सा के बछौनी गांव में 6 हेक्टेयर जमीन दी थी। जमीन की सुरक्षा के लिए चारदीवारी बनाई गई थी। कुछ समय बाद दोनों सेवानिवृत्त हो गए। कैप्टन धर्मवीर के बेटे विजय भी सेना में हैं। इस वजह से वह भी यहां नियमित नहीं आ सके।
बेटा झांसी आया तो पता चला फर्जीवाड़ा
विजय भी कई सालों तक झांसी नहीं आए। ग्रामीणों ने उनकी चारदीवारी गिरा दी। जानकारी मिलने पर वे कुछ साल पहले छुट्टी लेकर झांसी आए तो लोग उनको धमकाने लगे। विजय का कहना है कि छानबीन करने पर फर्जीवाड़ा उजागर हुआ।
मालूम चला कि फर्जी कागज बनाकर पूरी जमीन की रजिस्ट्री कर दी गई। एक ग्राम प्रधान ने अपने नाम रजिस्ट्री करवाकर उस पर कब्जा जमा लिया। उन्होंने एसएसपी कार्यालय पहुंचकर शिकायत की। विजय, मंजू, सूर्यवीर ने शनिवार को रक्सा थाने में आयोजित समाधान दिवस के दौरान गुहार भी लगाई।
पूरे मामले की जांच कर रहे हैं
एसी सिटी ज्ञानेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि सैन्यकर्मी के परिजनों ने कागजात दिखाए हैं। इससे पता चलता है कि 1971 में उनको बछौनी गांव में जमीन मिली थी। अब कुछ लोगों ने फर्जी कागज बनाकर रजिस्ट्री करा ली। एक हिस्से के खसरा-खतौनी में सैन्यकर्मियों के परिजनों का नाम है। लेखपाल और पुलिस की संयुक्त टीम बनाकर जांच कराई जा रही है।