जैसलमेर में पाकिस्तान कॉल करने वाले रडार पर: सीजफायर पर लोग बोले- अच्छा होता लड्डू अगर लाहौर-कराची में खाते, बॉर्डर के जिलों की देखिए ग्राउंड रिपोर्ट – Rajasthan News h3>
भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर ऐलान के बाद अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर के नजदीक सबसे आखिरी दुकान तक खुल गई। शांति बहाल पर लोगों ने लड्डू बांटकर खुशी जताई। वहीं, कुछ लोगों ने चुटकी लेते हुए कहा- यही लड्डू अगर लाहौर-कराची में खा रहे होते तो अच्छा होता।
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हाई अलर्ट पर रहे जिलों बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, श्रीगंगानगर और जोधपुर में रविवार को बॉर्डर पार से कोई हरकत नहीं देखी गई। कई जगहों पर पाकिस्तान की नाकाम की गई मिसाइलों के पुर्जे और बमनुमा वस्तुएं मिलीं। बीएसएफ के साथ-साथ भारतीय सेना भी अलर्ट मोड पर है।
बॉर्डर पर खेती करने वाले किसान बेखौफ होकर अपने खेत पर जा रहे हैं। तारबंदी से 100 मीटर दूर खेत में काम रहे किसान बोले- सेना के होते हुए हमें कोई डर नहीं, गेहूं की फसल काट ली है, अब कपास की बुवाई करेंगे।
NEWS4SOCIALके 10 रिपोर्टर सबसे संवेदनशील पांच जिलों में मौजूद हैं। उनकी जुबानी पढ़िए पिछले 24 घंटे के सबसे बड़े घटनाक्रम।
लोग बोले- सीजफायर से खुश, लेकिन अच्छा लगता लाहौर में यही लड्डू खाते बाड़मेर के अलग-अलग सरहदी क्षेत्रों में रविवार को 6 जगह ड्रोन-मिसाइलों के पुर्जे मिले थे। जिलेभर में दिन के हालात सामान्य थे। सीजफायर लागू होने के बाद NEWS4SOCIALटीम सीमावर्ती गांव रामसर पहुंची थी। यहां लोगों ने एक-दूसरे को लड्डू खिलाए। लोगों ने कहा- शांति बहाल होने पर खुशी है, सेना ने दुश्मन को अच्छा सबक सिखाया, लेकिन अगर यही लड्डू हम लाहौर-कराची में जाकर खाते तो ज्यादा मजा आता।
सीजफायर के बाद रामसर में एक-दूसरे को लड्डू खिलाते स्थानीय निवासी।
मुनाबाव राजस्थान का आखिरी स्टेशन माना जाता है, जो जीरो लाइन के करीब है। यहां एक छोटी सी शॉप हमें खुली हुई मिली। इसके बाद आगे एक भी दुकान नहीं है।
इसी गांव से आगे मुनाबाव में एक जनरल स्टोर संचालक दान सिंह ने बताया कि 6 मई के बाद से अलर्ट था। कई दिन दुकान बंद रखी। अब हालात सामान्य है। उन्होंने बताया कि उनके ज्यादातर ग्राहक फौजी भाई है, जो बॉर्डर की सुरक्षा में तैनात रहते हैं। जैसे ही अलर्ट मिला, कई फौजियों ने अपने सारे जरूरी काम, शादियां छोड़कर अपनी जिम्मेदारी निभाई।
पश्चिम राजस्थान के सबसे आखिरी रेलवे स्टेशन मुनाबाव पर स्टेशन मास्टर से बात हुई। उन्होंने बताया यहां पिछले 3 दिन से भगत की कोठी मुनाबाव ट्रेन बंद थी, रविवार को बहाल हो गई। अब ट्रेन आ-जा रही है। बता दें यह देश की पश्चिमी सीमा का अंतिम रेलवे स्टेशन है, पहले यहां थार एक्सप्रेस ट्रेन पाकिस्तान जाती थी। थार एक्सप्रेस तीन महीने पाकिस्तान के आखिरी स्टेशन खोखरापार रुकती थी। वहीं पाकिस्तान की ट्रेन तीन महीने के लिए यहां मुनाबाव आकर रुकती थी।
पाकिस्तान किए गए सबसे ज्यादा फोन, कई संदिग्ध पकड़े तनाव के दौरान पाकिस्तान में सबसे ज्यादा कॉल जैसलमेर जिले से होने की आशंका है। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने ऐसे लोगों को सीजफायर के बाद रडार पर लिया है। गुरुवार को करीब 16 संदिग्धों को पकड़ा गया था। इनमें कुछ ने पाकिस्तान में कॉल किए थे, वहीं कुछ आर्मी क्षेत्र में घूमते हुए संदिग्ध पाए गए थे।
NEWS4SOCIALने इस मामले में जैसलमेर एसपी सुधीर चौधरी ने बात की। उन्होंने बताया कि गिरफ्तार किए गए सभी संदिग्ध लोगों की भूमिका को लेकर इंटेलिजेंस जांच कर रही है। जांच के बाद इनकी भूमिका को स्पष्ट किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि तनाव की स्थिति में पुलिस, साइबर टीम और इंटेलिजेंस हर गतिविधि पर नजर रखे हुए थी।
जैसलमेर के एक सीमावर्ती गांव में मिसाइलनुमा पार्ट को जमीन में धमाके से डिफ्यूज किया गया था।
मिसाइल नुमा वस्तु को धमाके से डिफ्यूज किया जैसलमेर के सरहदी इलाके में मिले जिंदा बम को भारतीय सेना ने रविवार को डिफ्यूज कर दिया था। आर्मी और पुलिस ने मौके पर एक सुरक्षा घेरा बनाया था। स्थानीय लोगों को 500 मीटर की दूरी पर रखा गया था। इसके बाद तेज धमाके के साथ उसे ब्लास्ट कर दिया था।
इधर, सीजफायर के बाद शनिवार देर रात जैसलमेर में एक के बाद एक कर करीब 6 धमाके सुने गए थे। आस-पास के क्षेत्र में रविवार सुबह भी इसको लेकर काफी चर्चा बनी हुई थी। हालांकि इसको लेकर आर्मी और प्रशासन की ओर से कोई भी आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
तारबंदी से 100 मीटर दूर गांव, चेहरे पर शिकन तक नहीं NEWS4SOCIALटीम तारबंदी से महज 100 मीटर दूर श्रीगंगानगर के एक गांव में पहुंची। यह सैलून पर कुछ लोग बैठे थे। पूछने पर बोले- तनाव कैसा? हमें पता है सेना हमारी हिफाजत के लिए तैनात हैं।
गांव के अंदर पहुंचे तो एक मंदिर के पास बरामदे में गांव के बुजुर्ग और युवा चौपाल लगाते नजर आए। कुछ लोग बिल्कुल बेफिक्र ताश खेल रहे थे। हालांकि गांव में दुकानें बंद थी और रास्ते पर सन्नाटा था।
चौपाल पर प्रधान मनीराम मिले। बोले- शनिवार तक धमाकों की आवाज थी। फिलहाल शांति है। गांव के ही रहने वाले बुजुर्ग मोडाराम ने बताया कि उन्होंने 1971 का युद्ध देखा है। वे बॉर्डर होमगार्ड में थे। अगर जरूरत पड़ी तो हम सेना के साथ सीमा पर खड़े होने को तैयार हैं।
तारबंदी के नजदीक एक गांव में दोपहर के समय चौपाल पर बैठे लोग। यहां के किसान तारबंदी के पास ही अपने खेतों में खेती करने जाते हैं।
इसी गांव से NEWS4SOCIALटीम आगे बढ़ी तो श्रीगंगानगर रोड पर तारबंदी के पास ही एक खेत में किसान मदनलाल मिले। बोले- हमारी नौ बीघा जमीन में कुछ हिस्सा तारबंदी के उस तरफ भी है। अभी गेहूं की कटाई तो कर ली थी, लेकिन तूड़ी (भूसा) वहीं पड़ी हुई है। उसके लिए अभी मना कर दिया गया है। इसलिए इस पार की जमीन पर ही कपास की बुवाई की तैयारी कर रहे हैं।
बॉर्डर से करीब एक किलोमीटर दूर स्थित गांव के किसान प्रसन्नजीत ने बताया बॉर्डर के उस पार गांव से रोज सुबह साढे़ चार बजे अजान की आवाज सुनाई देती थी। शुक्रवार से अजान की आवाज नहीं आ रही है।
बाजार खुले, स्टूडेंट को परीक्षा की नई तारीख घोषणा का इंतजार इंटरनेशनल बॉर्डर से सटे बीकानेर जिले के कई क्षेत्रों में सीजफायर के बाद शनिवार-रविवार की रात ब्लैकआउट रहा। हालांकि रविवार को दिनभर बाजार खुले रहे। 9 मई को लूणकरणसर क्षेत्र के एक गांव में मिले मिसाइलनुमा 17 फीट लंबे टुकड़े एक नहीं दो जगह गिरे थे। स्थानीय लोगों ने बताया कि एक टुकड़ा अगले दिन शनिवार को उठा लिया गया था। हालांकि बाद में पुलिस ने मलबा कब्जे में ले लिया।
11वीं की छात्रा मीनाक्षी ने बताया कि अब उन्हें एग्जाम के नए शेड्यूल का इंतजार है।
इधर, युद्ध के हालातों को देखते हुए 9वीं और 11वीं की जो परीक्षाएं स्थगित की गई थी, स्टूडेंट पुनः नई घोषणा का इंतजार कर रहे हैं। पवनपुरी के रहने वाले कामाक्षी और करण ने बताया कि वे ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। इस साल पूरे स्टेट में एक समान परीक्षा होनी थी। यही वजह है कि अब नए सिरे से पेपर बनाया जाएगा। इसी तरह बीकानेर शहर और ग्रामीण क्षेत्रों पुनः सामान्य जिंदगी की ओर लौट रहा है।
जीवन में पहली बार लॉकडाउन और अब ब्लैकआउट भी देख लिया सीजफायर का उल्लंघन हुआ तो शनिवार रात को ही जोधपुर में ब्लैकआउट रखा गया। रविवार को अल सुबह 4 बजे ब्लैक आउट खत्म हुआ, तो जोधपुर वासियों की दिनचर्या भी सामान्य दिनों की तरह शुरू हुई थी। हालांकि, लोगों में दिनभर चर्चाएं होती रही कि रात में फिर से ब्लैकआउट तो नहीं होगा? दोपहर बाद प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया कि ब्लैकआउट नहीं होगा। इसके बाद तो शहर की दिनचर्या पूरी तरह सामान्य होती चली गई।
जोधपुर में एक टी स्टाल के बाहर बैठे लोग। यहां आज ब्लैकआउट घोषित नहीं किया गया है।
त्रिपोलिया बाजार मोती चौक व्यापार संघ के अध्यक्ष दीपक सोनी ने बताया कि साल 1965 और 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध और उसे धूल चटाने के बारे में बातें तो बहुत सुनी थी, जिसमें घरों की लाइट बंद करके भीतर बैठना होता था। कभी सोचा नहीं था जीवन में ऐसे पल भी देखने को मिलेंगे।
कोरोनाकाल के दौरान जीवन में पहली बार लॉकडाउन देखा और अब ब्लैकआउट भी देख लिया। इन हालात में देशभक्ति और जोश भी आता रहा कि काश हम भी सीमा पर जा सकते। यहां रहते हुए भी यदि राष्ट्र या देशवासियों के लिए सेवा का मौका मिलेगा, तो पीछे नहीं हटेंगे। कुछ ऐसी ही सोच और अनुभव जोधपुर के हर युवा के है।
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राजस्थान के बॉर्डर वाले जिलों बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर और श्रीगंगानगर में रविवार रात ब्लैकआउट रहा। जैसलमेर में शाम 7.30 बजे से सुबह 6 बजे तक, बीकानेर में शाम 7 से सुबह 5 बजे तक, श्रीगंगानगर में शाम 7 बजे से सूर्योदय तक और बाड़मेर में रात 8 बजे से सुबह 6 बजे तक ब्लैकआउट रहा। पढ़ें पूरी खबर…