जिला परिषद की मीटिंग से निकल गए नाराज बेगूं विधायक: उठा जिंक, RTO, नरेगा और तस्करी का मुद्दा, हंगामे के बीच साढ़े 5 घंटे की बैठक – Chittorgarh News h3>
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जिला परिषद की साधारण सभा की बैठक आज डीआरडी हॉल में आयोजित की गई, जिसमें जिले के सभी प्रमुख जनप्रतिनिधियों और विभागीय अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक करीब साढ़े पांच घंटे चली और इस दौरान हिंदुस्तान जिंक, आरटीओ विभाग, नरेगा और तस्करी जैसे अहम मुद्दों पर ज
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कई मुद्दों पर जनप्रतिनिधियों के बीच पर तीखी बहस हुई।
हिंदुस्तान जिंक पर उठा सवाल
बेगूं विधायक सुरेश धाकड़ ने बैठक की शुरुआत में ही हिंदुस्तान जिंक द्वारा घोसुंडा बांध से लिए जा रहे पानी का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि घोसुंडा डैम का मालिकाना हक राज्य सरकार का है, फिर भी पूरा पानी जिंक को दे दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 2013 में पूर्व सिंचाई मंत्री राम प्रताप जोशी और पूर्व पीएचईडी मंत्री किरण माहेश्वरी के साथ एक बैठक में यह तय किया गया था कि जिंक को डैम के आधे पानी का अधिकार होगा, क्योंकि उन्होंने सुंदर डैम के निर्माण में आर्थिक सहयोग दिया था। लेकिन अब किसानों को उनके हिस्से का पानी नहीं मिल रहा और जिंक को प्राथमिकता दी जा रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि जिन जमीनों पर जिंक ने कब्जा किया था, उनका मुआवजा अभी तक किसानों को नहीं मिला है। इस पर कांग्रेस के जिला परिषद सदस्य ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि “भाजपा ने घोसुंडा डैम को हिंदुस्तान जिंक के हाथों बेच दिया है।” इस पर धाकड़ ने पलटवार करते हुए कहा, “आपका ठेका चल रहा है, इसलिए आप जिंक का साथ दे रहे हो।”
RTO महिला इंस्पेक्टर पर नाराजगी
बैठक में आरटीओ महिला इंस्पेक्टर मुक्ता सोनी द्वारा एक ट्रक ड्राइवर के बाल खींचने की घटना भी चर्चा का विषय बनी। इस पर कपासन विधायक अर्जुन लाल जीनगर ने महिला इंस्पेक्टर का पक्ष लिया, लेकिन बेगूं और निंबाहेड़ा विधायक इस कार्रवाई से नाराज दिखे। सुरेश धाकड़ ने मीटिंग में RTO नेमीचंद पारीक के स्पष्टीकरण पर सवाल किया, “अगर कोई अधिकारी बात ना माने, तो क्या मैं मारपीट कर सकता हूं? क्या कानून मेरे लिए अलग है?” उन्होंने यह भी कहा कि ट्रकों को बिना वजह रोका जा रहा है और नियमों के नाम पर मनमानी की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि महिला इंस्पेक्टर ने जो भी किया, वह गलत किया है। मैं उसकी निंदा करता हूं। हम विधायकों पर भी कई आरोप लगाते हैं लेकिन हम अगर सीधी कार्रवाई करने लग जाए तो यह लोकतंत्र में संभव नहीं है। कानून में अधिकार दे रखे हैं उसी के दायरे में काम करना चाहिए।
निंबाहेड़ा विधायक श्रीचंद कृपलानी ने आरोप लगाया कि उनके क्षेत्र में लगातार आरटीओ की ओर से अवैध वसूली की जा रही है। उन्होंने कहा, “हर दूसरे दिन अधिकारी सड़क पर खड़े होकर ट्रकों से पैसे वसूलते हैं।” धाकड़ ने आरोप लगाया कि विभाग ने प्राइवेट लोगों को डंडे देकर ट्रक रोकने का काम सौंप रखा है, जो कि पूरी तरह से गैरकानूनी है। उन्होंने अधिकारी को इस बात की भी हिदायत दी है कि टोल पर कार्रवाई करने के दौरान सीसीटीवी कैमरे के सामने करे ताकि आरोप ही ना लगे।
नरेगा में ठेकेदार को प्राथमिकता देने का आरोप
बैठक में नरेगा योजना के तहत भुगतान में भेदभाव का मुद्दा भी उठा। धाकड़ ने जिला परिषद के सीईओ विनय पाठक से नाराजगी जताते हुए कहा कि एक ठेकेदार को 40 लाख रुपए दे दिए गए, जबकि बाकी ठेकेदारों को यह कहकर टाल दिया जाता है कि फंड नहीं है। इस बात पर वह इतने नाराज हुए कि उन्होंने अधिकारी को बैठक से बाहर भेजने तक की बात कह दी। जिला कलेक्टर आलोक रंजन ने हस्तक्षेप कर मामला संभालने की कोशिश की, लेकिन धाकड़ ने स्पष्ट कहा, “यह पावर हमारे पास है।”
पुलिस पर तस्करी में मिलीभगत के आरोप
विधायक सुरेश धाकड़ ने पुलिस पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि कुछ पुलिसकर्मी बाइक सवारों को रोककर तस्करी के झूठे आरोप लगाते हैं और पैसों की मांग करते हैं। इस पर एडिशनल एसपी (सिकाऊ) मुकेश सांखला ने सफाई देने की कोशिश की, लेकिन विधायक ने उन्हें बोलने नहीं दिया। इसके बाद उन्होंने अपने घर पर चोरी का मामला उठाया और कहा कि “चार लोग घर में घुस गए, सीसीटीवी फुटेज में सब दिख रहा है, लेकिन पुलिस अब तक कोई कार्रवाई नहीं कर पाई।”
बैठक छोड़कर चले गए विधायक
जब एडिशनल एसपी उनके घर पर हुई चोरी का जवाब नहीं दे पाए तो विधायक सुरेश धाकड़ पूरी तरह नाराज हो गए। उन्होंने कहा, “अगर एक विधायक के घर में चोरी हो रही है और पुलिस कुछ नहीं कर पा रही तो विधायक रहकर भी क्या करना।” इतना कहकर उन्होंने मीटिंग बीच में छोड़ दी और बाहर जाते वक्त यहां तक कह दिया कि “मुझे विधायक ही नहीं रहना है।”
मौजूद रहे जनप्रतिनिधि और अधिकारी
बैठक में जिला प्रमुख गब्बर सिंह अहीर, निंबाहेड़ा विधायक श्रीचंद कृपलानी, चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभान सिंह आक्या, कपासन विधायक अर्जुन लाल जीनगर, जिला कलेक्टर आलोक रंजन, एडिशनल एसपी (सिकाऊ) मुकेश सांखला और अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद रहे। सभी ने अपने-अपने क्षेत्र की समस्याएं सामने रखीं और संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा।
इस बैठक से यह साफ हो गया कि चित्तौड़गढ़ जिले में कई गंभीर मुद्दे अभी भी अनसुलझे हैं — चाहे वह जलस्रोतों का दोहन हो, ट्रांसपोर्ट में अवैध वसूली, नरेगा में भेदभाव या पुलिस की कार्यशैली पर सवाल। और जब एक जनप्रतिनिधि खुद को असहाय महसूस करता है, तो यह प्रशासन की जवाबदेही पर बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।