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जातिगत जनगणना पर मल्लिकार्जुन खड़गे की मोदी को चिठ्ठी: सर्वे में तेलंगाना मॉडल को अपनाने की मांग, तीन सुझाव दिए

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जातिगत जनगणना पर मल्लिकार्जुन खड़गे की मोदी को चिठ्ठी:  सर्वे में तेलंगाना मॉडल को अपनाने की मांग, तीन सुझाव दिए

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जातिगत जनगणना पर मल्लिकार्जुन खड़गे की मोदी को चिठ्ठी: सर्वे में तेलंगाना मॉडल को अपनाने की मांग, तीन सुझाव दिए

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नई दिल्ली2 घंटे पहले

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री मोदी को चिठ्ठी लिखी।

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केंद्र सरकार ने 30 अप्रैल को जाति जनगणना कराने की घोषणा की थी। ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख जाति जनगणना की मांग को दोहराया।

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उन्होंने सर्वे करवाने के लिए तीन सुझाव भी दिए हैं। अपने पत्र में, खड़गे ने 16 अप्रैल 2023 में उनके पहले के पत्रों का जवाब नहीं देने के लिए सरकार की आलोचना की।

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खड़गे ने कहा- मुझे उस पत्र का कोई जवाब नहीं मिला। उसके बाद, आज, आप खुद स्वीकार कर रहे हैं कि यह मांग सामाजिक हित में है। खड़गे ने पीएम मोदी को सभी राजनीतिक पार्टियों से बात करने की भी सलाह दी।

खड़गे ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले का भी जिक्र किया। कांग्रेस पार्टी के नेता जयराम रमेश ने X पर पोस्ट शेयर करते हुए खड़गे की मांग का समर्थन किया है।

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जयराम रमेश ने बताया की 2 मई को CWC की बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी को चिठ्ठी लिखी।

मल्लिकार्जुन खड़गे के मोदी को तीन सुझाव

  1. सर्वे के सवालों का डिजाइन महत्वपूर्ण है। खड़गे ने प्रश्नों को तैयार करने के लिए तेलंगाना मॉडल को अपनाने की मांग की।
  2. सरकार से SC, ST और OBC के लिए मनमाने ढंग से लगाई गई 50% की आरक्षण सीमा को हटाने का आग्रह किया। उन्होंने दूसरे राज्यों के कानूनों को भी संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने को कहा। ( संविधान की नौवीं अनुसूची उन केंद्रीय और राज्य कानूनों की एक सूची है जिन्हें अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती)
  3. संविधान के अनुच्छेद 15 (5) को एग्जिक्यूट करने को कहा, जिसे 20 जनवरी, 2006 को प्राइवेट शिक्षण संस्थानों में SC,ST और OBC के लिए आरक्षण देने के लिए पेश किया गया था।

देश में आजादी के बाद पहली बार जातिगत जनगणना होगी

देश में आजादी के बाद यह पहली जाति जनगणना होगी। केंद्रीय कैबिनेट ने 30 अप्रैल को जाति जनगणना को मंजूरी दी थी।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इसे मूल जनगणना के साथ ही कराया जाएगा। विपक्षी दल जाति जनगणना कराने की मांग करते रहे हैं। जाति जनगणना की शुरुआत सितंबर में हो सकती है।

जनगणना को पूरा होने में एक साल का समय लग सकता है। ऐसे में जनगणना के अंतिम आंकड़े 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में मिल सकेंगे।

देश में पिछली जनगणना 2011 में हुई थी। इसे हर 10 साल में किया जाता है। 2021 में अगली जनगणना होनी थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे टाल दिया गया था।

बिहार चुनावों में दिख सकता है असर

बिहार में सितंबर-अक्टूबर में विधानसभा चुनाव हैं। जाति जनगणना चुनाव में बड़ा मुद्दा रहा है। बिहार जाति जनगणना कराने वाला पहला राज्य है। जनगणना इस साल सितंबर से शुरू की जा सकती है।

इस जनगणना का असर बिहार में जाति आधारित वोट बैंक पर देखने को मिल सकता है। राजद और जदयू में इस फैसले को लेकर क्रेडिट लेने की होड़ मची है।

सीएम नीतीश ने पीएम मोदी को थैंक्यू कहा है तो लालू यादव ने सरकार पर तंज कसा है।

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