जाएं तो जाएं कहां…अपनों का वार और गठबंधन की रार, दोहरी मुसीबत से जूझ रहे नीतीश
Opposition Meeting: सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की विपक्षी एकता की मुहिम उनके लिए कुछ खास रंग ले कर नहीं आई है। बेंगलुरु में आयोजित महागठबंधन की बैठक में नीतीश कुमार को कुछ खास तवज्जो नहीं मिली। इधर राजद एमएलसी सुनील सिंह (RJD MLC Sunil Singh) भी नीतीश कुमार को परेशान करने में लगे हैं।
पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विपक्षी एकता की मुहिम कुछ खास रंग ले कर नहीं आई। नीतीश कुमार राजनीति के जिस बड़े दायरे में अपने व्यक्तिव को परोसना चाहते थे, वह होते तो नहीं दिख रहा है। उल्टे घर और बाहर उनकी फजीहत ही बढ़ गई है। बेंगलुरु में आयोजित महागठबंधन की बैठक तो नीतीश कुमार के कद को और बौना कर गई। न तो उन्हें कन्वेनर बनाया गया और न ही गठबंधन के नाम को लेकर जो सुझाव दिया, उसे माना गया। अब इसे संयोग कह लीजिए या राजनीति का कुचक्र। पर सच तो यह है कि जबसे नीतीश कुमार महागठबंधन की सरकार में गए हैं, उनकी राजनीति को ‘अपनों’ की ओर से ज्यादा कठघरे में खड़ा किया जाता रहा है।
‘घर’ में भी हो रही है फजीहत
नीतीश कुमार को पहले गठबंधन दल के साथी राजद के विधायक और पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह के आक्रमण को झेलना पड़ा। सीएम नीतीश को ड्रीम प्रोजेक्ट कृषि रोड मैप पर भी काफी आलोचना के तीर झेलने पड़े। शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के रामायण को लेकर की गई टिप्पणी के कारण भी समाज में जदयू को अपना पक्ष रखना पड़ा। और अब राजद एमएलसी सुनील सिंह भी उनके विरुद्ध लगातार कुछ न कुछ कॉमेंट करके नीतीश कुमार को परेशान करने में लगे हैं।
RJD MLC सुनील सिंह कर रहे नीतीश को परेशान
राजद एमएलसी सुनील सिंह की मंशा क्या है? यह तो वही जानें, मगर सोशल मीडिया पर अपनी टिप्पणी से नीतीश कुमार को परेशान कर रहे हैं या फिर चिढ़ा रहे हैं। इन दिनों फिर सियासी गलियारों में एमएलसी सुनील सिंह की पोस्ट की काफी चर्चा है। राजनीतिक गलियारों में कहा जा रहा है कि अपरोक्ष रूप से नीतीश कुमार पर निशाना साधा है।
इस बार सुनील सिंह ने फेसबुक पर ‘न तो हां बोलेंगे और न तो ना बोलेंगें’ लिखकर नीतीश कुमार की परेशानी बढ़ा दी है। आखिर एम एल सी सुनील सिंह किसके खिलाफ अपनी बेबसी प्रकट कर रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में इनकी सोशल साइट पर की गई टिप्पणी का मतलब निकाला जाने लगा है। ऐसा इसलिए कि पिछले दिनों भी सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी टिप्पणी के जरिए महागठबंधन की राजनीति में भूचाल ले आए थे। तब अपनी एक पोस्ट में ‘देश का सबसे अविश्सनीय नेता का नाम पूछा था।’ यूजर्स ने जवाब में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम देना शुरू किया तो बवाल हो गया।
राजद एम एल सी सुनील सिंह ने इसके पहले भी अपरोक्ष रूप से सीएम नीतीश पर हमला बोलते कहा था कि सीएम हमेशा ही मंत्रियों पर नकेल कसने के लिए 5-7 अधिकारियों को लगाए रखते हैं। यह शायद पहली बार हुआ, जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुलकर अपनी नाराजगी जताई और आरोप लगाया कि वे अमित शाह से मिलते रहते हैं।
बाहर भी नीतीश कुमार की फजीहत
रही सही कसर बेंगलुरु में आयोजित महागठबंधन की बैठक में पूरी हो गई। कांग्रेस शासित राज्य बेंगलुरु में नीतीश कुमार के विरुद्ध पोस्टरबाजी का अदभुत नमूना पेश किया गया। इन पोस्टरों में सबसे खास था ‘अनस्टेबल प्राइम मिनिस्टर उम्मीदवार’ वाला पोस्टर। बात यहीं खत्म नहीं हुई। बिहार में हाल ही में सुल्तानगंज अगवानी गिरे पुल को भी पोस्टरों में जगह दी।
बहरहाल, राजनीत गलियारों में नीतीश कुमार की उपेक्षा को लेकर यह कहा जाने लगा है कि कांग्रेस जदयू को एक पार्टी के रूप में गठबंधन को देखना भर चाहती है। इससे ज्यादा उम्मीद नीतीश कुमार को रखनी भी नहीं चाहिए। वह भी तब जब बेंगलुरु में कांग्रेस ने एक तरह से अपनी सुपरमेसी साबित कर दी है, जहां एक बात स्पष्ट हो चुकी है कि क्षेत्रीय दल के दवाब से मुक्त होकर कांग्रेस देश की राजनीति करना चाहती है।
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Opposition Meeting: सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की विपक्षी एकता की मुहिम उनके लिए कुछ खास रंग ले कर नहीं आई है। बेंगलुरु में आयोजित महागठबंधन की बैठक में नीतीश कुमार को कुछ खास तवज्जो नहीं मिली। इधर राजद एमएलसी सुनील सिंह (RJD MLC Sunil Singh) भी नीतीश कुमार को परेशान करने में लगे हैं।
‘घर’ में भी हो रही है फजीहत
नीतीश कुमार को पहले गठबंधन दल के साथी राजद के विधायक और पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह के आक्रमण को झेलना पड़ा। सीएम नीतीश को ड्रीम प्रोजेक्ट कृषि रोड मैप पर भी काफी आलोचना के तीर झेलने पड़े। शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के रामायण को लेकर की गई टिप्पणी के कारण भी समाज में जदयू को अपना पक्ष रखना पड़ा। और अब राजद एमएलसी सुनील सिंह भी उनके विरुद्ध लगातार कुछ न कुछ कॉमेंट करके नीतीश कुमार को परेशान करने में लगे हैं।
RJD MLC सुनील सिंह कर रहे नीतीश को परेशान
राजद एमएलसी सुनील सिंह की मंशा क्या है? यह तो वही जानें, मगर सोशल मीडिया पर अपनी टिप्पणी से नीतीश कुमार को परेशान कर रहे हैं या फिर चिढ़ा रहे हैं। इन दिनों फिर सियासी गलियारों में एमएलसी सुनील सिंह की पोस्ट की काफी चर्चा है। राजनीतिक गलियारों में कहा जा रहा है कि अपरोक्ष रूप से नीतीश कुमार पर निशाना साधा है।
इस बार सुनील सिंह ने फेसबुक पर ‘न तो हां बोलेंगे और न तो ना बोलेंगें’ लिखकर नीतीश कुमार की परेशानी बढ़ा दी है। आखिर एम एल सी सुनील सिंह किसके खिलाफ अपनी बेबसी प्रकट कर रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में इनकी सोशल साइट पर की गई टिप्पणी का मतलब निकाला जाने लगा है। ऐसा इसलिए कि पिछले दिनों भी सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी टिप्पणी के जरिए महागठबंधन की राजनीति में भूचाल ले आए थे। तब अपनी एक पोस्ट में ‘देश का सबसे अविश्सनीय नेता का नाम पूछा था।’ यूजर्स ने जवाब में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम देना शुरू किया तो बवाल हो गया।
राजद एम एल सी सुनील सिंह ने इसके पहले भी अपरोक्ष रूप से सीएम नीतीश पर हमला बोलते कहा था कि सीएम हमेशा ही मंत्रियों पर नकेल कसने के लिए 5-7 अधिकारियों को लगाए रखते हैं। यह शायद पहली बार हुआ, जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुलकर अपनी नाराजगी जताई और आरोप लगाया कि वे अमित शाह से मिलते रहते हैं।
बाहर भी नीतीश कुमार की फजीहत
रही सही कसर बेंगलुरु में आयोजित महागठबंधन की बैठक में पूरी हो गई। कांग्रेस शासित राज्य बेंगलुरु में नीतीश कुमार के विरुद्ध पोस्टरबाजी का अदभुत नमूना पेश किया गया। इन पोस्टरों में सबसे खास था ‘अनस्टेबल प्राइम मिनिस्टर उम्मीदवार’ वाला पोस्टर। बात यहीं खत्म नहीं हुई। बिहार में हाल ही में सुल्तानगंज अगवानी गिरे पुल को भी पोस्टरों में जगह दी।
बहरहाल, राजनीत गलियारों में नीतीश कुमार की उपेक्षा को लेकर यह कहा जाने लगा है कि कांग्रेस जदयू को एक पार्टी के रूप में गठबंधन को देखना भर चाहती है। इससे ज्यादा उम्मीद नीतीश कुमार को रखनी भी नहीं चाहिए। वह भी तब जब बेंगलुरु में कांग्रेस ने एक तरह से अपनी सुपरमेसी साबित कर दी है, जहां एक बात स्पष्ट हो चुकी है कि क्षेत्रीय दल के दवाब से मुक्त होकर कांग्रेस देश की राजनीति करना चाहती है।
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