जब कॉलेज के जिगरी दोस्त बन गए एक-दूसरे की जान के दुश्मन… पढ़ें गोगी और टिल्लू की दोस्ती और दुश्मनी की कहानी… h3>
पुलिस अफसरों के मुताबिक, गोगी की एक दूर की बहन का अफेयर 2010-2011 से ताजपुर के दीपक उर्फ राजू से था। ये खुलेआम खुद को गोगी का जीजा कहता था और अलीपुर का दामाद बताता था। गोगी ने इन हरकतों को देख 2015 में दीपक उर्फ राजू का मर्डर कर दिया, जो टिल्लू का करीबी था। महेंद्रा पार्क थाने में 20 जनवरी 2015 को केस दर्ज हुआ। इस हत्याकांड में योगेश उर्फ टुंडा, कुलदीप उर्फ फज्जा, दिनेश, रोहित और जरनैल उर्फ जैली स्पेशल सेल ने अरेस्ट किया था।
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टिल्लू गैंग ने पलटवार कर गोगी के कॉलेज के साथी अरुण कमांडो और मंजीत को 24 फरवरी 2015 को मौत के घाट उतार दिया। टिल्लू और सोनू उर्फ दबंग अरेस्ट हुए। कमांडो मर्डर में निरंजन मास्टर गवाह था, जिसे टिल्लू ने सोनीपत के मुरथल में 23 अक्टूबर 2015 को मार दिया। गोगी ने बदला लेते हुए टिल्लू के करीबी सुमित उर्फ आलू की हत्या कर दी। इससे दोनों गैंग के बीच गैंगवॉर तेज हो गई। दूसरी तरफ, गोगी को पानीपत पुलिस ने 3 मार्च 2016 को गिरफ्तार किया। टिल्लू भी 2016 में पुलिस की पकड़ में आ गया।
गोगी को बहादुरगढ़ से 30 जुलाई 2016 को दिल्ली पुलिस कस्टडी से छुड़ा लिया गया। इसके बाद तो उसने कोहराम मचा दिया। टिल्लू के करीबी विकास आलू के भाई सुमित और देवेंद्र प्रधान की हत्या की। नवंबर 2017 में स्वरूप नगर में ताजपुर के टीचर दीपक बालियान उर्फ बंटी, जनवरी 2018 में प्रशांत विहार में अलीपुर के रवि भारद्वाज उर्फ बंटी, बुराड़ी में जून 2018 में टिल्लू के चार गुर्गों को मार दिया। नरेला में आप नेता वीरेंद्र मान को अक्टूबर 2019 में 26 गोलियां मारी। रोहिणी में 19 फरवरी 2020 को पवन अंचल पर 50 राउंड फायर किए।
गोगी को मार्च 2020 में स्पेशल सेल ने गुड़गांव से गिरफ्तार किया। कुलदीप फज्जा और रोहित मोई पकड़े गए। गैंग का काम चालू रहा, जिसने जुलाई 2020 में खेड़ाखुर्द गांव में रवि को मारा, जो प्रशांत विहार थाना में हुए रवि भारद्वाज मर्डर का गवाह था। वो तिहाड़ में गोगी की शिनाख्त के लिए गया था। टिल्लू गैंग ने 31 जुलाई 2021 को गोगी गैंग के प्रवेश के भाई नीतेश का रोहिणी में मर्डर कर दिया। आखिरकार टिल्लू ने नीरज बवानिया क्राइम सिंडिकेट से हाथ मिलाया और 24 सितंबर 2021 को रोहिणी कोर्ट में गोगी का कत्ल करवा दिया। इसके बाद से गोगी गैंग टिल्लू के खून का प्यासा था। अब टिल्लू का कत्ल हो गया, जिसके साथ ही अलीपुर के अल्हड़ों (बेलगामों) के वर्चस्व की जंग का खात्मा हो गया है।