जनसुराज की फंडिंग की ED-EOU से जांच कराने की तैयारी: JDU ने पूछा- पार्टी फंड की जगह जॉय ऑफ गिविंग को 50 लाख का डोनेशन क्यों – Bihar News

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जनसुराज की फंडिंग की ED-EOU से जांच कराने की तैयारी:  JDU ने पूछा- पार्टी फंड की जगह जॉय ऑफ गिविंग को 50 लाख का डोनेशन क्यों – Bihar News
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जनसुराज की फंडिंग की ED-EOU से जांच कराने की तैयारी: JDU ने पूछा- पार्टी फंड की जगह जॉय ऑफ गिविंग को 50 लाख का डोनेशन क्यों – Bihar News

जनसुराज की फंडिंग को लेकर लगातार विवाद बढ़ रहा है। जब प्रशांत किशोर ने जनसुराज के बैनर तले अपनी पद यात्रा शुरू की थी, तब लोग उनसे फंड का हिसाब मांगते थे।

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अब जदयू ने डॉक्यूमेंट के साथ आरोप लगाया है कि जनसुराज के बैनर तले ब्लैक मनी को व्हाइट मनी में बदलने का खेल चल रहा है।

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जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि ‘वे जनसुराज की फंडिंग की शिकायत बिहार सरकार की जांच एजेंसी EOU और केंद्र सरकार की जांच एजेंसी ED में करेंगे।’

दैनिक NEWS4SOCIALने इस खबर पर जनसुराज का पक्ष भी जानना चाहा। इसके लिए हमने उनकी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पदाधिकारियों से भी बात की। लेकिन, सभी ने इस पर कुछ भी बोलने से साफ मना कर दिया।

प्रशांत किशोर का एक पुराना बयान पढ़िए

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“प्रशांत किशोर का बनाया हुआ 10 राज्य में सरकार चल रहा है, तो हमको क्या अपने अभियान के लिए टेंट और तंबू लगाने के लिए पैसे नहीं मिलेंगे? इतना हमको कमजोर समझ रहे हो आप? एक चुनाव में किसी को सलाह देते हैं तो 100 करोड़ रुपया फीस लेते हैं। हम 2 साल तक अपने अभियान के लिए टेंट और तंबू लगाते रहेंगे और उसके बदले केवल एक चुनाव में जाकर किसी को सलाह देंगे तो सारा पैसा 1 दिन में आ जाएगा।” 31 अक्टूबर 2024, बेलागंज

जॉय ऑफ गिविंग को खरीदने वाले ने क्या कहा

जॉय ऑफ गिविंग ग्लोबल फाउंडेशन को ढाई साल पहले पूर्णिया के पूर्व सांसद उदय सिंह ने खरीदा था। दैनिक NEWS4SOCIALसे एक्सक्लूसिव बातचीत में उन्होंने बताया कि ‘ये एक बनी-बनाई कंपनी थी, जिसे ढाई साल पहले मैंने खरीदा था।’

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उदय सिंह ने बताया कि ‘प्रशांत किशोर को जो भी मदद करते हैं, वे इसके माध्यम से करते हैं। इसे बनाने का मकसद था कि जो सोशल काम होंगे, वहां पैसे का यूज किया जाएगा। अलग-अलग तरह के लोग समर्थन करते हैं। यहां पैसा आता है, तो सबके राय मशविरे से खर्च होता है।’

NGO से ही मिलती है जनसुराज से जुड़े वॉलंटियर्स को सैलरी

जॉय ऑफ गिविंग के माध्यम से न केवल जनसुराज पार्टी की पॉलिटिकल एक्टिविटी का भुगतान किया जाता है, बल्कि फेलोशिप से लेकर हर सोशल मुहिम का खर्च जनसुराज के अकाउंट के बदले जॉय ऑफ गिविंग के अकाउंट से ही होता है। इतना ही नहीं, प्रशांत किशोर के पास प्रोफेशनल लोगों की एक टीम है। इसमें लगभग 100 से ज्यादा लोग काम करते हैं। इनकी औसतन सैलरी 30 हजार रुपए से लेकर डेढ़ लाख रुपए तक है। इनकी सैलरी का भुगतान भी जॉय ऑफ गिविंग ग्लोबल फाउंडेशन के अकाउंट से ही किया जाता है।

अब जनसुराज पर जदयू के 3 बड़े आरोप को जानिए –

आरोप नंबर-1: प्रशांत किशोर किस हैसियत से पार्टी के सूत्रधार हैं

जनसुराज के गठन का आवेदन अगस्त 2022 में चुनाव आयोग को दिया गया था। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक पार्टी की तरफ से 8 और 9 अगस्त को द सिख टाइम्स और कौमी पत्रिका में दो पब्लिक नोटिस भी जारी किया गया था।

इस पब्लिक नोटिस के मुताबिक इस पार्टी का कार्यालय सुइट नंबर-2, फर्स्ट फ्लोर, दक्षिणेश्वर बिल्डिंग,10 हेली रोड नई दिल्ली है। पार्टी के अध्यक्ष- शरत कुमार मिश्रा, विजय साहू महासचिव और अजित कुमार कोषाध्यक्ष हैं।

जब आधिकारिक तौर पर प्रशांत किशोर पार्टी में किसी पद पर ही नहीं है तो वे किस हैसियत से खुद को पार्टी का सूत्रधार बताते हैं। अगर वे सूत्रधार हैं तो चुनाव आयोग से उन्होंने ये जानकारी क्यों छिपाई है।

आरोप नंबर-2: संदिग्ध कंपनियों से पैसा- चिटफंड की तर्ज पर राजनीति

जदयू की तरफ से आरोप लगाया गया है कि जॉय ऑफ गिविंग को संदिग्ध कंपनियों से पैसा मिल रहा है। रामसेतु इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड ने कंपनी में सबसे ज्यादा 14 करोड़ चंदा दिया है। जबकि इस कंपनी का पेड अप कैपिटल मात्र 6.53 करोड़ रुपए है।

इस कंपनी के डायरेक्टर और कंपनी का नाम दोनों बार-बार बदला जा रहा है। इस तरीके से कई ऐसी कंपनी हैं, जिनका पेड अप कैपिटल बहुत कम है, लेकिन उन्होंने करोड़ों में चंदा दिया है।

इसके साथ ही एनरिका इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड ने NGO को 20 करोड़ उधार दिया है। क्यों दिया गया है, इसकी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है। अगर एक साल के रिकॉर्ड को देखें तो 2023-24 में इस NGO को कुल 48.75 करोड़ रुपए का डोनेशन मिला है।

आरोप नंबर- 3: समाज सेवा करने वाली कंपनी से पॉलिटिकल एक्टिविटी क्यों

जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने आरोप लगाया है कि जॉय ऑफ गिविंग ग्लोबल फाउंडेशन कंपनी एक्ट के तहत एक चैरिटेबल संस्था के रूप में दर्ज है। प्रशांत किशोर इसे अपनी राजनीतिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।

क्या इसे ब्लैक मनी को व्हाइट मनी बनाने का माध्यम बनाया है। इस कंपनी के डायरेक्टर को हर दो साल में बदल दिया जा रहा है, ताकि जिम्मेदारी तय न की जा सके। जो शरत कुमार मिश्रा फिलहाल इस कंपनी के एडिशनल डायरेक्टर हैं, वहीं पार्टी के अध्यक्ष भी हैं। इसके पीछे एक पूरा नेक्सस काम कर रहा है।

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अभी तो मैंने 1 ही बुलेट दागी है और इतनी हलचल है। ऐसी 10 बुलेट दागेंगे तो पता ही नहीं चलेगा ऊपर से क्या गया और नीचे से क्या खिसक गया। मैंने 10 साल में जिसका भी हाथ थामा है, उसे कभी हारने नहीं दिया। अब मैंने बिहार के लोगों का हाथ थामा है। भरोसा रखिए आपको भी हारने नहीं देंगे। पूरी खबर पढ़ें

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