छत्तीसगढ़: नक्सली बता युवती का किया था एनकाउंटर, परिजनों का आरोप- रेप के बाद हुई हत्या; IG ने दी सफाई

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छत्तीसगढ़: नक्सली बता युवती का किया था एनकाउंटर, परिजनों का आरोप- रेप के बाद हुई हत्या; IG ने दी सफाई

छत्तीसगढ़ में एनकाउंटर में मारी गई एक युवती के परिजनों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। परिजनों का कहना है कि एनकाउंटर से पहले युवती के साथ दुष्कर्म किया गया था। परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने युवती को उनके घर से उठाया और फिर दंतेवाड़ा के जंगलों में उनके साथ दुष्कर्म करने के बाद उनका एनकाउंटर कर दिया। परिजनों का कहना है कि 31 मई को पुलिस ने इस एनकाउंटर को अंजाम दिया था। हालांकि, पुलिस ने अब युवती के परिजनों द्वारा लगाए गए आरोपों को आधारहीन बताया है। पुलिस का दावा है कि कानून के मुताबिक युवती का ऑटोप्सी किया गया था और रेप किये जाने का कोई सबूत नहीं मिला है।

आधी रात उठा ले गए पुलिस वाले 
6 जून को मृतक युवती के परिजनों ने इस मामले में केस दर्ज कराते हुए जांच की मांग उठाई है। पुलिस के पास पत्र लिखकर जो शिकायत परिजनों की तरफ से दर्ज कराई गई है उसमें कहा गया है कि District Reserve Guards (DRG) के जवान लड़की को मध्यरात्रि के वक्त घर से लेकर गए थे और बाद में उन्हें मार दिया गया। मृतक युवती की मां ने आरोप लगाया है कि सुरक्षा बलों ने उनकी बेटी पर शारीरिक बल का इस्तेमाल किया और उन्हें जंगल में ले गए। 

हत्या से पहले हुआ रेप
इस खत में आगे यह भी दावा किया गया है कि इसके बाद सुरक्षा बलों ने उनके साथ बलात्कार किया और फिर उनकी हत्या कर उन्हें माओवादी का नाम दे दिया। न्याय की मांग करते हुए जो खत परिजनों ने लिखा है उसमें यह भी दावा किया गया है कि युवती के शरीर पर जख्म के कई निशान थे। परिवार ने 7 डीआरजी जवानों को पहचानने का दावा भी किया है जो उस रात उनके घर में घुसे थे। 

IG ने दी सफाई
इस बीच इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिल, बस्तर रेंज, सुंदरराज पी ने परिवार के आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया है कि वो एनकाउंटर एक ऑपरेशन पर आधारित था और महिला को उसके घर से नहीं उठाया गया था। आईजी ने कहा है कि ’31 मई को माओवादियों के एक कैडर PLGA Platoon no 16 की मौजूदगी की सूचना मिली थी। जिसके बाद इस ऑपरेशन को लॉन्च किया गया था। 

इसी ऑपरेशन के दौरान सुबह करीब 6.30 मिनट पर माओवादियों और डीआरजी के जवानों के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई। सर्च ऑपरेशन के दौरान एक महिला नक्सली की डेड बॉडी मिली थी। जिसकी बाद में पहचान की गई थी। इस महिला नक्सली के सिर पर 2 लाख रुपए का इनाम भी घोषित था। एनकाउंटर वाली जगह से 2 देसी हथियार और IED भी बरामद किया गया था। 

कानून के मुताबिक हुई ऑटोप्सी
आईजी ने साफ किया है कि ‘यह महिला साल 2013 से ही प्लाटून नंबर 16 की सदस्य थी। सरेंडर करने वाले कई माओवादियों ने इस महिला का नाम पूछताछ के दौरान लिया था। इसके अलावा राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग और सुप्रीम कोर्ट की निर्धारित गाइडलाइंस के मुताबिक ही डॉक्टरों की एक टीम ने महिला की ऑटोप्सी की थी। सुरक्षा बलों के खिलाफ लगाए गए आरोप आधारहीन है और ऐसा कर जवानों के मनोबल को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।’ 

सरपंच ने कही यह बात
जहां एनकाउंटर किया गया था उस गांव के सरपंच राम लाल नेताम का कहना है कि गांव में कोई एनकाउंटर नहीं हुआ था और पुलिस ने युवती को उनके घर से उठाया था। सरपंच का कहना है कि पुलिस गांव में आई थी और जब युवती अपनी मां के साथ सो रही थी तब उसे जगा कर अपने साथ ले गई। 10 जून को इस युवती की शादी होने वाली थी। वहां कोई हथियार नहीं था और पुलिस ने एक योजना के तहत उसे नक्सली करार दिया है। हालांकि, युवती 2 महीने तक माओवादियों के साथ थी लेकिन उसने माओवादियों का साथ छोड़ दिया था और पिछले 7 साल से अपनी मां के साथ रहती थी। 

SP ने कही यह बात
दंतेवाड़ा के पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव ने इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि माओवादियों के दबाव में आकर यह आरोप लगाए जा रहे हैं। इस एनकाउंटर के बाद 4 जून को गांव में एक बैठक हुई थी। इस बैठक में नक्सली भी शामिल हुए थे और उन्होंने गांव वालों पर दवाब बनाकर यह शिकायत दर्ज कराई है। सभी आरोप निराधार हैं। 



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