चीन को सीधी टक्कर देगा भारत, लिथियम का भंडार मिलने से ऐसे बदलेगी देश की तस्वीर, जानिए कहां होता है इसका इस्तेमाल h3>
नई दिल्ली: देश में राजस्थान के डेगान (नागौर) में लिथियम का नया भंडार खोजा गया है। भारत के हाथ लिथियम के भंडार (Lithium Reserves) के मामले में बड़ी सफलता हाथ लगी है। यह लिथियम का अकूत भंडार है। मौजूदा जम्मू ओर कश्मीर भंडार से इसकी क्षमता ज्यादा है। जीएसआई और खनन अधिकारियों ने दावा किया है कि इन भंडारों (Lithium Reserves) में मौजूद लिथियम की मात्रा भारत की कुल मांग का 80 प्रतिशत पूरा कर सकती है। इन भंडारों की खोज लिथियम (Lithium) के लिए चीन पर भारत की निर्भरता को कम करने में मदद कर सकती है। लीथियम (Lithium) के लिए अभी तक भारत चीन पर निर्भर है। अब माना जा रहा है कि चीन का एकाधिकार खत्म होगा और खाड़ी देशों की तरह राजस्थान का भी भाग्य उदय होगा। बता दें कि चीन के पास 5.1 मिलियन टन लिथियम का भंडार है। लीथियम का वैश्विक बाजार में एकाधिकार बनाए हुए है। 21 मिलियन टन का बड़ा लिथियम भंडार वर्तमान में बोलिविया देश में है। इसके बाद अर्जेंटीना, चिली और अमेरिका में भी बड़े भंडार हैं।
लिथियम से ऐसे बदलेगी तस्वीर
बता दें कि लिथियम (Lithium) एक अलौह धातु है, जिसका उपयोग मोबाइल-लैपटॉप, इलेक्ट्रिक वाहन और अन्य चार्जेबल बैटरी बनाने में किया जाता है। लिथियम दुनिया की सबसे नर्म और हल्की धातु भी है। यह इतनी नरम होती है कि कोई भी इसे सब्जी के चाकू से काट ले और हल्की इतनी की पानी में रख दो तो तैरने लगे। यह रासायनिक ऊर्जा को स्टोर करती है और इसे विद्युत ऊर्जा में बदलती है। लिथियम (Lithium) आज घर में हर चार्जेबल इलेक्ट्रॉनिक और बैटरी से चलने वाले गैजेट में मौजूद है। इसी वजह से दुनिया भर में लिथियम की जबरदस्त डिमांड है। वैश्विक मांग के कारण इसे व्हाइट गोल्ड भी कहा जाता है। एक टन लीथियम की वैश्विक कीमत करीब 57.36 लाख रुपये है।
विदेशों पर निर्भरता होगी कम
लिथियम (Lithium) के लिए भारत पूरी तरह विदेशों पर निर्भर है, जहां उसे महंगे दामों में इस धातु को खरीदना पड़ता है। अब GSI को डेगाना के आसपास लिथियम का बड़ा भंडार मिला है। राजस्थान में लिथियम के भंडार डेगाना और उसके आसपास के क्षेत्र की उसी रेनवेट पहाड़ी में पाए गए हैं, जहां से कभी टंगस्टन खनिज की सप्लाई देश में की जाती थी। ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेजों ने डेगाना में रेनवाट की पहाड़ी पर साल 1914 में टंगस्टन खनिज की खोज की थी। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2050 तक लिथियम धातु की वैश्विक मांग में 500 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
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लिथियम से ऐसे बदलेगी तस्वीर
बता दें कि लिथियम (Lithium) एक अलौह धातु है, जिसका उपयोग मोबाइल-लैपटॉप, इलेक्ट्रिक वाहन और अन्य चार्जेबल बैटरी बनाने में किया जाता है। लिथियम दुनिया की सबसे नर्म और हल्की धातु भी है। यह इतनी नरम होती है कि कोई भी इसे सब्जी के चाकू से काट ले और हल्की इतनी की पानी में रख दो तो तैरने लगे। यह रासायनिक ऊर्जा को स्टोर करती है और इसे विद्युत ऊर्जा में बदलती है। लिथियम (Lithium) आज घर में हर चार्जेबल इलेक्ट्रॉनिक और बैटरी से चलने वाले गैजेट में मौजूद है। इसी वजह से दुनिया भर में लिथियम की जबरदस्त डिमांड है। वैश्विक मांग के कारण इसे व्हाइट गोल्ड भी कहा जाता है। एक टन लीथियम की वैश्विक कीमत करीब 57.36 लाख रुपये है।
विदेशों पर निर्भरता होगी कम
लिथियम (Lithium) के लिए भारत पूरी तरह विदेशों पर निर्भर है, जहां उसे महंगे दामों में इस धातु को खरीदना पड़ता है। अब GSI को डेगाना के आसपास लिथियम का बड़ा भंडार मिला है। राजस्थान में लिथियम के भंडार डेगाना और उसके आसपास के क्षेत्र की उसी रेनवेट पहाड़ी में पाए गए हैं, जहां से कभी टंगस्टन खनिज की सप्लाई देश में की जाती थी। ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेजों ने डेगाना में रेनवाट की पहाड़ी पर साल 1914 में टंगस्टन खनिज की खोज की थी। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2050 तक लिथियम धातु की वैश्विक मांग में 500 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
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