चिराग पासवान के टिकट पर समस्तीपुर से बेटी शांभवी को जिता लेंगे अशोक चौधरी?

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चिराग पासवान के टिकट पर समस्तीपुर से बेटी शांभवी को जिता लेंगे अशोक चौधरी?

चिराग पासवान के टिकट पर समस्तीपुर से बेटी शांभवी को जिता लेंगे अशोक चौधरी?

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चिराग पासवान की लोजपा-रामविलास से समस्तीपुर लोकसभा का टिकट मिलने के बाद एनडीए कैंडिडेट शांभवी चौधरी अपने पिता और जेडीयू के कद्दावर मंत्री अशोक चौधरी और परिवार के बाकी लोगों के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आशीर्वाद लेने सीएम आवास पहुंचीं। अशोक चौधरी ने मुलाकात की फोटो को सोशल मीडिया पर डालकर लिखा है कि बिटिया जीवन में नई पारी की शुरुआत करने जा रही है इसलिए सपरिवार मुख्यमंत्री से आशीर्वाद लिया। सीएम से मुलाकात के दौरान वारिसनगर विधायक अशोक कुमार, कुशेश्वर स्थान विधानसभा अमन भूषण हजारी और जदयू महासचिव रंजीत झा भी मौजूद रहे।

चिराग का यह टिकट चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि शांभवी के पिता ना सिर्फ जेडीयू के बड़े नेता और मंत्री हैं बल्कि नीतीश के बहुत करीबी हैं। शांभवी के ससुर पूर्व आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल हैं जो महावीर मंदिर ट्रस्ट के सचिव हैं। चिराग ने कुछ दिन पहले कहा था कि पार्टी को तोड़ने वालों को टिकट नहीं दिया जाएगा जबकि वीणा सिंह को उन्होंने समय पर लौट आने का हवाला देकर टिकट दे दिया है। चिराग ने ये भी कहा था कि पार्टी के संघर्ष में साथ रहे लोगों को टिकट मिलेगा लेकिन शांभवी चौधरी का पार्टी में कोई इतिहास नहीं है। सरसरी तौर पर शांभवी टिकट लेकर ही पार्टी में आई हैं। प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी तक की आस पूरी नहीं हो सकी।

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नीतीश की नीतियों-कार्यक्रमों के धुर विरोधी रहे चिराग को लेकर पिछले हफ्ते बीजेपी के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और मंत्री मंगल पांडेय सीएम हाउस गए थे। एनडीए के दो प्रमुख नेताओं के आपसी समीकरण का असर लोकसभा चुनाव पर ना पड़े इसके लिए बीजेपी दोनों के बीच सुलह कराती नजर आ रही है। चिराग को पांच सीट मिली जिसमें एक एससी रिजर्व समस्तीपुर है। यहां से लोजपा नेता संजय पासवान, जेडीयू मंत्री और चिराग के रिश्तेदार महेश्वर हजारी के बेटे का भी नाम चल रहा था लेकिन शांभवी चौधरी ने बाजी मार ली।

अशोक चौधरी असल में शांभवी के लिए जमुई से टिकट चाह रहे थे जो उनके सीधे प्रभाव वाला इलाका है। लेकिन चिराग ने जमुई में अपने बहनोई अरुण भारती को लड़ा दिया है इसलिए उन्हें समस्तीपुर में एडजस्ट होना पड़ा। रामविलास पासवान की पहली पत्नी के दामाद और आरजेडी नेता अनिल कुमार साधु लोजपा पर टिकट बेचने का आरोप लगा रहे हैं। साधु लगातार सोशल मीडिया पर शांभवी चौधरी और वैशाली से वीणा सिंह को टिकट देने पर सवाल उठा रहे हैं।

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2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग की लोजपा 134 सीटों पर अकेले लड़ गई थी जिनमें ज्यादातर जेडीयू की सीट थी। जेडीयू 43 सीट जीत सकी और विधानसभा में तीसरे नंबर की पार्टी बन गई थी। तब से नीतीश और चिराग के राजनीतिक रिश्ते खराब चल रहे थे। चिराग की लोजपा में टूट के पीछे भी जेडीयू का हाथ होने का आरोप लगा था। अब चिराग एनडीए में हैं और लोजपा तोड़ने वाले चाचा पशुपति पारस राजनीतिक रूप से फिलहाल दरकिनार नजर आ रहे हैं। महागठबंधन के नेता इस जोड़-घटाव में लगे हैं कि चिराग की पार्टी की सीटों पर नीतीश के वोटर अगर 2020 का बदला लेने की ठान लें तो क्या हो सकता है।

समस्तीपुर सीट से मौजूदा सांसद प्रिंस राज पारस के साथ पार्टी तोड़ गए थे। पारस की बात महागठबंधन में नहीं बनी तो उन्होंने दो हफ्ते बाद फिर से अपने नाम के आगे मोदी का परिवार जोड़कर एनडीए के ही साथ रहने का ऐलान कर दिया है। इस सियासी खेल में प्रिंस राज ना चचेरे भाई चिराग का भरोसा वापस हासिल कर सके और ना चाचा के कंधे पर चढ़कर बिहार में मंत्री ही बन सके जिसकी चर्चा बहुत हुई थी। राजनीतिक घात-प्रतिघात की आशंका के बीच शांभवी को टिकट मिलते ही समस्तीपुर में अशोक चौधरी का उतर जाना और फिर सपरिवार नीतीश का आशीर्वाद लेने मुख्यमंत्री आवास जाना खास हो जाता है।

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शांभवी चौधरी ने समस्तीपुर के लिए नारा दिया है- शांभवी है तो संभव है। टिकट की बाजी अशोक चौधरी की बेटी जीत गई हैं लेकिन चुनाव जीतने के लिए उन्हें प्रिंस राज जैसे कई नेताओं को साधना होगा जिनकी इस बार लोकसभा चुनाव लड़ने की संभावनाओं का अंत हो गया है। अशोक चौधरी पुराने नेता हैं और ये खेल बखूबी समझते हैं। इसलिए उन्होंने समस्तीपुर में खुद मोर्चा संभाल लिया है।

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