चित्रगुप्त-यमराज पर विवादित टिप्पणी, पं. प्रदीप मिश्रा ने मांगी माफी: चित्रगुप्त पीठ पीठाधीश्वर ने कहा था मिश्रा के बचे हुए बालों से जूते साफ करूंगा – Sehore News h3>
प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा को एक बार फिर विवादित बयान के लिए माफी मांगनी पड़ी है। महाराष्ट्र में एक कथा के दौरान भगवान चित्रगुप्त और यमराज के बारे में की गई टिप्पणी से कायस्थ समाज ने अपनी नाराजगी जाहिर की थी।
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इसके बाद पंडित मिश्रा ने मंगलवार को सीहाेर के कुबेरेश्वर धाम में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बयान को लेकर सार्वजनिक रूप से माफी मांगी।
महाराष्ट्र के बीड़ में शिवपुराण कथा करने पहुंचे थे जानकारी के मुताबिक पंडित प्रदीप मिश्रा महाराष्ट्र के बीड़ में शिवपुराण कथा करने पहुंचे थे। कथा के दौरान 14 जून को उन्होंने यमराज और चित्रगुप्त को लेकर टिप्पणी की थी, जिसका वीडियो बाद में वायरल हो गया। वीडियो में वे यमराज और चित्रगुप्त के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए दिखे। वीडियो में वे कहते सुने जा सकते हैं-
कायस्थ समाज ने दी थी कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भगवान चित्रगुप्त को अपना आराध्य देव मानने वाले कायस्थ समाज ने इस टिप्पणी को अपना और अपने आराध्य का अपमान माना। समाज ने पंडित प्रदीप मिश्रा को 10 दिन के भीतर सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की चेतावनी और आंदोलन की धमकी दी थी। कुछ लोगों ने कानूनी कार्रवाई और बहिष्कार की मांग भी की थी।
सोमवार को विदिशा में कायस्थ समाज ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा था।
यह व्यक्ति व्यासपीठ पर बैठने के लायक नहीं-सच्चिदानंद चित्रगुप्त पीठ के पीठाधीश्वर डॉ. स्वामी सच्चिदानंद ने वीडियो जारी कर कहा- यह जाहिल व्यक्ति न तो कथावाचक है, और न ही व्यासपीठ पर बैठने के लायक है। अगर इसे लेकर माफी नहीं मांगी तो कानूनी दायरे में लाकर भी सजा दिलाऊंगा और अपने जूते तेरे बचे हुए बालों से साफ करूंगा।
कितने शर्म की बात है कि जो अपने आप को महान कथावाचक मानता है। भगवान शिव का व्याख्यान करता है। उसे इस बात का भी आभास नहीं कि वह किस प्रकार का कृत्य कर रहा है। व्यासपीठ पर बैठकर किस भाषा शैली का इस्तेमाल कर रहा है।
भाषा शैली के कारण भगवान इसे दंड भी देते हैं स्वामी सच्चिदानंद ने आगे कहा कि पहले राधा रानी पर अभद्र टिप्पणी की, उसके बाद वृंदावन में नाक रगड़े हुए घूम रहा था। यह जहां जाता है, इस प्रकार की भाषा शैली के कारण भगवान इसे दंड भी देते हैं।
इसने भगवान चित्रगुप्त पर जिस भाषा का प्रयोग किया है, प्रदीप मिश्रा का अंत समय आ चुका है, तुझे तेरा काल पुकार रहा है। हमारे प्रभु पर जिस भाषा में टिप्पणी की है, उसी भाषा में अब हम जवाब देंगे।
मैं कानूनी दायरे में लाकर तुझे सजा दिलवाऊंगा। जहां कहीं मिल गया, तेरे सिर पर जितने बाल बचे हैं, उससे अपना जूता साफ करूंगा। मैंने अगर तुझे तेरे करनी का दंड नहीं दिया, तो मैं अपने आप को इस दुनिया से मिटा दूंगा।
मंगलवार को उज्जैन में कायस्थ समाज के लोगों ने प्रशासनिक संकुल पहुंचकर राज्यपाल के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपकर पं. मिश्रा पर कार्रवाई की मांग की। इस दौरान समाजजनों ने कहा कि यदि पं. मिश्रा ने माफी नही मांगी तो प्रदेश से समाजजन सीहोर पहुंचकर प्रदर्शन करेंगे।
चित्रवंश सेवा संगठन के अध्यक्ष निखिलेश खरे ने बताया कि पं. मिश्रा द्वारा की गई टिप्पणी को लेकर लगता है कि प्रदीप मिश्रा जी अपनी वाणी के साथ मनो स्थिति को खोते जा रहे है। ये भगवान श्री चित्रगुप्त, यमराज जी का ही नही पूरे सृष्टि के लोगों का अपमान है।
भगवान श्री चित्रगुप्त समस्त प्राणियों का लेखा-जोखा रखने के साथ साथ कामस्थ समाज के कुलवंशल है, उन पर की गई इस तरह की टिप्पणी से पूरे कायस्थ समाज को आघात पहुंचा है। प्रदीप मिश्रा को इस तरह से की गई टिप्पणी के लिए भगवान चित्रगुप्त व यमराज के साथ साथ पूरे कायस्थ समाज से माफी मांगनी चाहिए।
बढ़ते विरोध को देखते हुए मंगलवार को पं. प्रदीप मिश्रा ने मंगलवार को सीहोर में इस मामले में माफी मांग ली
माफी मांगते हुए पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा-
ऐसा नहीं है किसी समाज को या अन्य किसी व्यक्ति को बात कही गई हो। देवताओं का क्रम था जो महापुराण की कथा महाराष्ट्र में चल रही थी, जो सोशल मीडिया पर डली हुई है। उसमें यमराज, चित्रगुप्त महाराज और भगवान शिव की भक्ति का प्रसंग चल रहा था।
उसमें भी किसी व्यक्ति विशेष को या समाज को हमारी वाणी से ऐसा लग रहा है, कि कुछ गलत हुआ है तो गलत बोल गए हो और हमारी वाणी से ठेस पहुंची हो तो क्षमा चाहता हूं। किसी के हृदय को ठेस पहुंचाना कभी शिव महापुराण नहीं जानती। शिवमहापुराण हमेशा जगत का कल्याण करती है। जगत कल्याण की ही बात करती है।
पहले भी विवादाें में रहे
बता दें कि, यह पहला मौका नहीं है जब पंडित मिश्रा विवादों में आए हैं। इससे पहले भी उन्हें राधा रानी के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए माफी मांगनी पड़ी थी। कायस्थ समाज का आरोप है कि मिश्रा प्रसिद्धि पाने के लिए देवी-देवताओं के बारे में अनुचित बयानबाजी करते हैं।
पंडित मिश्रा ने ओंकारेश्वर में शिव पुराण कथा में प्रवचन के दौरान कहा- राधा-रानी का नाम भगवान श्रीकृष्ण की 108 पटरानियों और 1600 रानियों में नहीं हैं। राधा के पति का नाम अनय घोष, उनकी सास का नाम जटिला और ननद का नाम कुटिला था। राधा जी का विवाह छाता में हुआ था। राधा जी बरसाना की नहीं, रावल की रहने वाली थीं। बरसाना में तो राधा जी के पिता की कचहरी थी, जहां वह साल भर में एक बार आती थीं।
पंडित प्रदीप मिश्रा का ये प्रवचन वायरल होते ही ब्रजधाम के लोग आक्रोशित हो गए। सबसे तल्ख टिप्पणी आई प्रेमानंद महाराज की तरफ से। उन्होंने कहा- लाड़ली जी के बारे में तुम्हें पता ही क्या है? तुम जानते ही क्या हो? अगर तुम किसी संत के चरण रज का पान करके बात करते तो तुम्हारे मुख से कभी ऐसी वाणी नहीं निकलती। ये भी कहा कि संतों से अभी सामना हुआ नहीं है। चार लोगों को घेरकर उनसे पैर पुजवाता है तो समझ लिया कि तू बड़ा भागवताचार्य है।
पढ़िए प्रदीप मिश्रा के 10 विवादित बयान
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राधा रानी वाले बयान पर विवाद के 20 दिन बाद पंडित प्रदीप मिश्रा ने बरसाना पहुंचकर माफी मांग ली.. वो भी नाक रगड़कर। 29 जून शनिवार को पंडित मिश्रा का बरसाना पहुंचने का पहले से कोई कार्यक्रम तय नहीं था।
वे 28 जून की रात को अचानक दिल्ली रवाना हुए। 29 जून सुबह दिल्ली पहुंचे। यहां उनकी ब्रज धाम के कुछ संतों से चर्चा हुई। इसके बाद…पढ़ें पूरी खबर