चित्तौड़गढ़ शिक्षा विभाग में टेंडर प्रक्रिया पर सवाल: नए वर्क ऑर्डर के बावजूद पुरानी फर्म से ही ले रहे मैनपावर, नई फर्म को रोकने का मौखिक आदेश – Chittorgarh News h3>
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जिले में कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय स्कूलों से जुड़ा एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें शिक्षा विभाग की टेंडर प्रक्रिया की पारदर्शिता और कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जिले के 21 स्कूलों और छात्रावासों के लिए फरवरी 2025 में मैनपावर सप्लाई क
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150 पदों पर भर्ती हेतु निकाली गई थी निविदा
समग्र शिक्षा अभियान के तहत जिले के कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय स्कूलों में वार्डन, लेखाकर्मी कम लिपिक, हेड कुक, सहायक कुक, चौकीदार, पियून और क्लीनिंग स्टाफ जैसे लगभग 150 पदों के लिए मैनपावर की जरूरत को लेकर निविदा आमंत्रित की गई थी। इस प्रक्रिया के अंतर्गत विभिन्न फर्मों ने आवेदन किया, जिसके बाद तकनीकी और वित्तीय मूल्यांकन के पश्चात डिंग मैनपॉवर फर्म को कार्यादेश जारी किया गया।
वर्क ऑर्डर जारी, लेकिन कार्य शुरू करने की अनुमति नहीं
फरवरी 2025 में वर्क ऑर्डर जारी होने के बाद भी विभाग ने डिंग मैनपॉवर फर्म को मौखिक तौर पर ‘रुकने’ के लिए कह दिया। अब तक कोई लिखित आदेश में उन्हें काम शुरू करने के लिए नहीं दिया गया। फर्म द्वारा सभी 21 विद्यालयों का निरीक्षण भी पूरा कर लिया गया है, लेकिन उन्हें सक्रिय रूप से काम सौंपा नहीं गया है।
आश्चर्य की बात यह है कि जिस फर्म का टेंडर फरवरी में खत्म हो गया था, उसी से मैनपॉवर लिया जा रहा है। इतना ही नहीं, मार्च तक का बिल भी उसी फर्म का पास कर दिया गया है। यह स्थिति नियमों के खिलाफ मानी जा रही है, क्योंकि पुराने फर्म का टेंडर वैध नहीं रह गया था।
CDEO प्रमोद दशोरा के बयान में विरोधाभास
जब इस संबंध में मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी (CDEO) प्रमोद दशोरा से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि नए वर्क ऑर्डर के खिलाफ तीन अपीलें दायर की गई थीं, जिनमें से एक मामला न्यायालय में लंबित है। इस कारण डिंग मैनपॉवर को रुकने के लिए कहा गया है।
हालांकि, जब यह पूछा गया कि अपील करने वाली फर्मों ने तो अपनी सिक्योरिटी मनी भी वापस ले ली है, फिर अपील कैसे वैध रह सकती है? इस पर उन्होंने जवाब बदलते हुए कहा कि फर्मों ने अपील पहले की थी और बाद में सिक्योरिटी मनी ली। अंत में उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि अब अपीलों का समाधान हो चुका है और सिर्फ एक मामला शिक्षा परिषद में लंबित है, जिसका निपटारा दो दिनों में किया जाएगा।
न पुराने फर्म को हटाने का आदेश, न नए को काम देने की पहल
CDEO ने यह भी स्पष्ट किया कि विभाग ने पुराने फर्म को हटाने का कोई लिखित आदेश नहीं जारी किया है, इसलिए अभी तक वही कर्मचारी कार्यरत हैं। वहीं नई फर्म को भी केवल मौखिक रूप से रोकने को कहा गया है। इस स्थिति ने फील्ड स्तर पर भ्रम और अस्थिरता पैदा कर दी है।
नियमों की अनदेखी और पारदर्शिता पर प्रश्न
इस मामले में शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। एक ओर जहां नियमों के तहत पूरी प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी थी, वहीं मौखिक निर्देशों के आधार पर काम को रोके जाना और पुरानी फर्म से अनधिकृत रूप से काम लेना विभागीय गड़बड़ी को दर्शाता है।