चारा घोटाले का 950 करोड़ वापस लाएगी सरकार: डिप्टी CM बोले-CBI, IT डिपार्टमेंट से बात करेंगे, कोर्ट भी जाएंगे; 29 साल में एक रुपया नहीं मिला – Bihar News h3>
बिहार सरकार, चारा घोटाला के अपने 950 करोड़ रुपए की वापसी के लिए कोर्ट जाएगी। सीबीआई, आईटी (इनकम टैक्स डिपार्टमेंट) से बात करेगी। उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने भी कहा- हम वैसे सभी उपाय देख और कर रहे हैं, जिससे ये रुपए हमारे पास आ जाएं।
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पटना हाईकोर्ट ने चारा घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपते समय उसे गबन किए गए रुपए को बिहार सरकार के खजाने में वापस लौटाने की जिम्मेदारी भी दी थी। रुपए, घोटालेबाजों की संपत्ति बेचकर लौटाने थे।
29 साल बीत गए, एक रुपया भी खजाना में नहीं लौटा
पैसे नहीं मिलने से नाखुश बिहार सरकार बड़ी पहल करने में जुटी है। हालांकि, यह बहुत टफ काम है। इसको पूरा करने में सरकार के सामने बड़ी चुनौतियां होंगी। चारा घोटाला की जांच और कार्रवाई को 29 साल हो गए।
पटना हाईकोर्ट ने मार्च 1996 में सीबीआई को जांच सौंपी थी। घोटाला में शामिल धाकड़ नेता, अफसर जेल गए। राजपाट गया। कई सजायाफ्ता हुए। जेल, जमानत और दूसरी कार्रवाई अब भी जारी है।
इतने सालों में कार्रवाई से जुड़ा दूसरा टास्क, ‘गबन के रुपयों की खजाना में वापसी’, यूं ही पड़ा है। अभी तक के हालात के अनुसार निकट भविष्य में भी इस टास्क के पूरा होने की उम्मीद नहीं लगती। इस बारे में एजेंसियां कुछ नहीं बोलतीं। सिवाय इसके कि कार्रवाई जारी है।
कोर्ट का आदेश पूरा होना चाहिए – रविशंकर प्रसाद
चारा घोटाले की जांच कराने का मुकदमा लड़ने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा-
कोर्ट का आदेश पूरा होना ही चाहिए। एजेंसियां और सक्रिय हों। कानूनी और विभागीय पेचीदगियां सुलझाई जाएं।
प्रोसेस सरल हो तभी रिजल्ट मिलेगा
चारा घोटाला की सीबीआई जांच कराने वाले मुकदमे के खास याचिकाकर्ता और विधायक सरयू राय ने कहा कि, ‘चारा घोटाला के गबन के रुपयों की बिहार सरकार के खजाने में वापसी का पटना हाईकोर्ट का आदेश, जरूर माना जाए। घोटाला से जुड़ी संपत्ति की जब्ती, नीलामी और बिक्री बहुत कठिन काम है। प्रक्रिया सरल और सहज की जाए। तभी सार्थक नतीजे आएंगे।’
घोटाला में बड़े नेता व अफसर शामिल रहे
घोटाले में गबन किए गए रुपयों को, आरोपियों की संपत्ति जब्त कर, उसे नीलाम कर खजाने में लाना है। इन पैसों से आरोपियों ने खासी संपत्ति बनाई। जांच एजेंसियां तबाह हैं। असल में एजेंसियों का सर्वाधिक समय जांच और रसूखदार आरोपियों को सजा दिलाने की स्थिति में पहुंचाने में गुजरा।
पटना हाईकोर्ट से सीबीआई जांच की डिमांड करने वाले याचिकाकर्ता जांच शुरू होते ही निश्चिंत हो गए। फिर, जब्ती और नीलामी की प्रक्रिया पेचीदा और लंबी है। आरोपी अपनी संपत्ति बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। जब्ती व नीलामी को बहुत तगड़ी कानूनी पेचीदगी में फंसा रखा है। किसी आरोपी की संपत्ति जब्त की गई, तो उसकी नीलामी नहीं हो पा रही। बहुत आरोपियों के लिए तो जब्ती की प्रक्रिया भी पूरी नहीं हो पाई है।
पटना के पॉश एरिया में प्रॉपर्टी जब्ती के बोर्ड
पटना के कई पॉश इलाकों में आरोपियों की संपत्ति को कुर्की करने वाले इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के बोर्ड लगे हैं। ऐसा एक बोर्ड पुष्पांजलि प्लाजा अपार्टमेंट (बसंत विहार कॉलोनी, बोरिंग रोड, पटना) के मेन गेट पर है। डिपार्टमेंट ने इस अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 102 को कुर्क किया हुआ है। यह फ्लैट चारा घोटाला के आरोपी त्रिपुरारी मोहन प्रसाद का है।
बोर्ड पर लिखा है-‘आयकर अधिनियम 1961 की धारा 222 (1) के तहत यह फ्लैट कुर्क है। त्रिपुरारी मोहन पर 1994- 95 से 2000-01 के दौरान 15.76 करोड़ रुपया बकाया है। इसी की वसूली के लिए यह जब्ती हुई है। इसकी खरीद-बिक्री, ट्रांसफर व इकरारनामा को दंडनीय अपराध बताया गया है।’
ऐसा ही एक बोर्ड बसंत विहार कॉलोनी (बोरिंग रोड, पटना) के एक खाली जमीन के बाहर लगा है। यह जमीन चारा घोटाला के मुख्य आरोपी श्याम बिहारी सिन्हा की है। रकबा 4 कट्ठा। यह भी कुर्क है। बोर्ड पर श्याम बिहारी सिन्हा पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के बकाया की चर्चा है। वे बहुत पहले दुनिया छोड़ चुके हैं। ये बोर्ड कर वसूली अधिकारी (केंद्रीय परिक्षेत्र, पटना) की तरफ से लगाए गए।
आदेश तो मर चुके आरोपियों की संपत्ति जब्ती तक का हुआ, पर 15 अप्रैल, 2018 का फैसला प्रभावी ही नहीं हुआ
सीबीआई की विशेष अदालत (झारखंड) के न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने चारा घोटाला के वैसे आरोपियों की भी संपत्ति जब्त करने का आदेश दिया, जो मर चुके हैं। विशेष न्यायाधीश का कहना था कि मर चुके लोगों पर केस नहीं चल सकता। मगर उनकी संपत्ति जरूर जब्त की जाए।
उन्होंने केस नम्बर आरसी 64 (ए)/96 की सुनवाई के बाद 15 अप्रैल 2018 को यह फैसला सुनाया। यह 11 आरोपियों के लिए था।
29 साल में सिर्फ त्रिपुरारि मोहन के 18 फ्लैटों की नीलामी हुई 29 साल में त्रिपुरारी मोहन प्रसाद के 18 फ्लैट नीलाम हुए। यह काम इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने किया। ये फ्लैट सगुना मोड़ (पटना) के पास वसी कुंज कॉम्प्लेक्स में थे। यह पहला मौका रहा, जब बिहार में टैक्स चोरी के मामले में किसी आरोपी की अचल संपत्ति नीलाम हुई। त्रिपुरारी पर 43 करोड़ टैक्स की राशि बनती थी। दो बार में नीलामी हुई। एक बार में 15 फ्लैट की। दूसरी बार 3 फ्लैट की। नीलामी की रकम इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास रही।