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घायलों के मददगारों को 5 हजार भी नहीं मिले: सरकार ने पुरस्कार की रकम बढ़ाकर की 25 हजार रुपए; 38 लोगों ने बचाई थी जान – Madhya Pradesh News

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घायलों के मददगारों को 5 हजार भी नहीं मिले:  सरकार ने पुरस्कार की रकम बढ़ाकर की 25 हजार रुपए; 38 लोगों ने बचाई थी जान – Madhya Pradesh News

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घायलों के मददगारों को 5 हजार भी नहीं मिले: सरकार ने पुरस्कार की रकम बढ़ाकर की 25 हजार रुपए; 38 लोगों ने बचाई थी जान – Madhya Pradesh News

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मप्र में सड़क हादसों में घायलों की मदद करने वालों को अब 5 हजार की बजाय सरकार 25 हजार रु. देगी। 20 मई को कैबिनेट की मीटिंग में सरकार ने ये फैसला लिया है। जिस योजना में 25 हजार रु. मिलेंगे उसका नाम राहवीर योजना है। इससे पहले गुड सेमेरिटंस यानी नेक इंसा

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सरकार का कहना है कि योजना में पुरस्कार की राशि बढ़ाने से घायलों की मदद करने से लोग पीछे नहीं हटेंगे। दैनिक NEWS4SOCIALने जब पुरानी योजना( गुड सेमेरिटंस यानी नेक इंसान) में घायलों की मदद करने वाले लोगों से बात की तो पता चला कि उन्हें दो साल बाद भी 5 हजार रु. नहीं मिले हैं।

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ऐसे लोगों की संख्या 38 है। जबकि परिवहन विभाग ने पैसा देने के आदेश भी जारी कर दिए थे। आखिर योजना का पैसा क्यों नहीं मिला? अब 25 हजार रु. कैसे मिलेंगे? पैसा केंद्र सरकार से मिलेगा या राज्य सरकार से? पढ़िए रिपोर्ट

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पुरस्कार की घोषणा वाले पुराने तीन केस

केस1: बस पुल से नीचे गिरी, 24 लोगों की मौत 8 मई 2023 को खरगोन बोराड़ नदी के पुल पर ये हादसा हुआ था। बस पुल की रेलिंग तोड़ते हुए सूखी नदी में जा गिरी। इस हादसे में 24 लोगों की मौत हुई थी। उस दौरान घायलों की मदद करने वालों में खरगोन के मनीष सिंह भी थे। मनीष बताते हैं कि मैं ट्रैवल एजेंसी चलाता हूं।

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उस दिन मेरी गाड़ी उसी पुल से गुजर रही थी। मुझे ड्राइवर ने सूचना दी। मैं अपनी गाड़ियां लेकर घटनास्थल पर पहुंच गया था। मने घायलों को अस्पताल पहुंचाने में पुलिस और प्रशासन की मदद की थी। मनीष कहते हैं- इस नेक काम के लिए पुलिस ने हमसे गुड सेमेरिटंस का फॉर्म भरवाया। मुझे जिला प्रशासन की ओर से प्रशस्ति पत्र दिया गया था, मगर प्रोत्साहन राशि नहीं मिली।

ये तस्वीर 8 मई 2023 की है। जब यात्री बस पुल की रेलिंग तोड़ते हुए नदी में जा गिरी थी।

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केस2: घायल की जान बचाई, लेकिन नौकरी चली गई मंडला के रहने वाले सौरभ राजपूत को मार्च 2023 में एक घायल की जान बचाने के एवज में अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा था। सौरभ के मुताबिक वो एक गैस एजेंसी में सिक्योरिटी गार्ड थे। एजेंसी का गोदाम हाईवे पर था। जहां रात को एक ट्रक ने स्कूटी सवार को टक्कर मार दी थी।

एक्सीडेंट के बाद किसी ने स्कूटी सवार की मदद नहीं की। मैंने अपने दोस्त की मदद से उसे 5 किमी दूर अस्पताल पहुंचाया। घायल की जान बच गई और पुलिस ने मुझसे एक फॉर्म भरवाया था। ये कहा था कि मुझे 5 हजार रु. सरकार की तरफ से मिलेंगे, मगर दो साल बाद भी पैसा नहीं मिला।

केस 3: दो लोगों को छोड़कर पूरे परिवार की मौत हो गई रीवा के रहने वाले राम लखन गुप्ता बताते हैं कि ये मई 2023 की बात है। मैं अपनी कार से पूरे परिवार के साथ शादी में जा रहा था। रास्ते में मैहर जाने वाली एक चार पहिया गाड़ी नीचे खाई में गिर गई थी। पुलिस रेस्क्यू कर रही थी। उस वाहन में सवार सिर्फ दो लोग ही बच सके थे।

बाकी जितने लोग थे उन सभी की घटनास्थल पर ही मौत हो गई थी। पुलिस एम्बुलेंस का इंतजार कर रही थी। घायलों का बचना मुश्किल था। तभी मैंने अपने परिवार को वहीं पर उतारा और दोनों घायलों को लेकर 7 किमी दूर त्योंथर अस्पताल लेकर गया। समय पर इलाज मिलने से उन दोनों घायलों की जान बच गई।

5 पॉइंट्स में जानिए क्या है प्रोत्साहन राशि मिलने की प्रोसेस

  • गुड सेमेरिटंस स्कीम के लिए परिवहन विभाग को नोडल एजेंसी बनाया गया है।
  • एक्सीडेंट में घायल की मदद करने वाला व्यक्ति से अस्पताल या वहां मौजूद पुलिस एक फॉर्म भरवाती है। इसमें उसकी सारी जानकारी दर्ज की जाती है।
  • संबंधित थाना अनुशंसा के साथ पूरी घटना का ब्योरा कलेक्टर ऑफिस भेजता है। यहां जिला मूल्यांकन समिति प्रोत्साहन राशि के लिए सिलेक्शन करती हैं।
  • सभी जिलों से चयनित नामों को ग्वालियर स्थित परिवहन विभाग के मुख्यालय भेजा जाता है।
  • परिवहन विभाग की तरफ से प्रोत्साहन राशि देने के आदेश जारी किए जाते हैं। पैसा हितग्राही के अकाउंट में सीधे ट्रांसफर होता है।

पैसा न मिलने की वजह- दो साल से अकाउंट में जीरो बैलेंस

परिवहन विभाग के कमिश्नर विवेक शर्मा ने बताया कि योजना के लिए पूरी राशि केंद्र से मिलती है। जो PFMS ( पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम) खाते में जमा होती है। पिछले 2 साल से अकाउंट में पैसा ही नहीं था। यही वजह है कि ऑर्डर जारी होने के बाद भी लोगों को पैसा नहीं मिला।

उनसे पूछा कि जब अकाउंट में जीरो बैलेंस था तो तत्कालीन ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने पैसा देने के आदेश कैसे जारी कर दिए? इस पर शर्मा ने कहा मेरी नियुक्ति 2025 में हुई है। तब से लेकर अब तक अकाउंट में जीरो बैलेंस है। उससे पहले क्या स्थिति रही है? इस बारे में मुझे नहीं पता।

उन्होंने बताया कि अब कैबिनेट ने केंद्र की संशोधित स्कीम( राहवीर) को मंजूरी दे दी है तो उम्मीद है कि पीएफएमएस खाते में जल्द ही पैसा आएगा। ऐसा होते ही जल्द से जल्द पेंडेंसी खत्म की जाएगी। साथ ही केंद्र से हर साल के लिए 25 लाख रु. की एकमुश्त राशि मिलेगी। जिसे जिला मूल्यांकन समिति के प्रस्ताव के बाद लाभार्थी को भेज सकेंगे।

3 पॉइंट्स में जानिए राहवीर योजना की जरूरत क्यों?

1. रोड एक्सीडेंट के मामले में एमपी देश में दूसरे नंबर पर

पुलिस ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के डीआईजी तुषारकांत विद्यार्थी बताते हैं कि देश में पिछले 10 सालों में 15 लाख से ज्यादा लोगों की मौत रोड एक्सीडेंट में हो चुकी है। इस आंकड़े को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2021 में गुड सेमेरिटंस स्कीम लॉन्च की थी।

इसके तहत घायलों को गोल्डन ऑवर यानी हादसे के 1 घंटे के भीतर अस्पताल पहुंचाने पर ₹5000 का इनाम और प्रशस्ति पत्र देने की घोषणा की थी। अब 25 जनवरी को केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने योजना का नाम राहवीर योजना कर दिया है और इनाम की राशि 25 हजार रु. कर दी है। एमपी सरकार ने भी इसे इसलिए लागू किया है क्योंकि रोड एक्सीडेंट के मामले में एमपी देश में दूसरे नंबर पर है।

2. स्टेट और नेशनल हाईवे पर मदद मिलने में देरी एक रिसर्च के मुताबिक शहर की गलियों सड़कों में होने वाले हादसों में घायलों तक एम्बुलेंस और जरूरी सुविधाएं समय पर पहुंच जाती है जिस कारण इन जगह होने वाले हादसों में अधिकतम लोगों की जान बचा ली जाती है। यहां ट्रैफिक रुक भी जाता है और लोग भी मदद के लिए आ जाते हैं।

स्टेट और नेशनल हाईवे पर होने वाले हादसों में जरूरी स्वास्थ्य सेवाएं और मदद समय पर नहीं पहुंच पाती है। एम्बुलेंस को कॉल करने पर उसे आने में एक से दो घंटे लग जाते हैं। तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। अस्पताल भी अपेक्षाकृत दूर होते हैं। ऐसे में इन हाईवे से गुजरने वाले राहगीर ही घायलों को अस्पताल ले जाने का सबसे बड़ा जरिया है।

3. ज्यादा से ज्यादा लोग मदद करें इसलिए बढ़ाई प्रोत्साहन राशि

केंद्र ने स्कीम तो 2021 में लागू की, मगर कई लोगों को स्कीम के बारे में पता ही नहीं है। उन्हें इसके बारे में तब पता चलता है जब पुलिस या अस्पताल उन्हें बताते हैं। साथ ही लोगों के मन में अभी भी भ्रांति है कि मदद करने पर कानूनी पचड़े में कौन फंसे?

कई बार अस्पताल भी बिल भरने या जब तक कोई परिचित नहीं आता तब तक मदद करने वाले को नहीं छोड़ते इस वजह से भी लोग आगे नहीं आते। जानकारों का माना है कि पुरस्कार की राशि बढ़ाने से लोग ज्यादा से ज्यादा मदद के लिए प्रोत्साहित होंगे। इससे समय रहते लोगों की जान बचाई जा सकेगी।

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