गोरखपुर में प्रदेश का पहला आयुष विश्वविद्यालय बनकर तैयार: अब फिनिशिंग का काम जारी, नए सत्र से पढ़ाई शुरू – Gorakhpur News h3>
गोरखपुर के भटहट ब्लॉक स्थित पिपरी गांव में बन रहे महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय का भवन लगभग तैयार हो चुका है। अब फिनिशिंग का काम तेजी से चल रहा है, जिसे 31 मार्च तक पूरा कर लिया जाएगा। नए शैक्षणिक सत्र से यहां पढ़ाई शुरू होने की संभावना है।
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तीन साल में पूरा हुआ निर्माण कार्य
28 अगस्त 2021 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले अक्टूबर में निरीक्षण कर निर्माण कार्य को 30 नवंबर तक पूरा करने का निर्देश दिया था। इसके बाद निर्माण कार्य ने रफ्तार पकड़ी और अब अंतिम चरण में है।
PWD के अधिशासी अभियंता अर्जुन मित्रा ने बताया कि निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है। अब पेंटिंग, इंटीरियर व अन्य छोटे-मोटे कार्य तेजी से किए जा रहे हैं। मार्च के अंत तक पूरा काम खत्म कर लिया जाएगा।
प्रदेश का पहला आयुष विश्वविद्यालय
यह उत्तर प्रदेश का पहला आयुष विश्वविद्यालय है, जहां आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी, योग और नेचुरोपैथी के साथ-साथ कई यूनिक कोर्स शुरू किए जाएंगे। विश्वविद्यालय प्रशासन ने 12 नए पाठ्यक्रम शुरू करने की योजना बनाई है, जिसमें आधुनिक चिकित्सा के साथ पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को जोड़कर छात्रों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा।
छात्रों को मिलेगा आधुनिक सुविधाओं से लैस कैंपस
विश्वविद्यालय परिसर में आधुनिक प्रयोगशालाएं, लाइब्रेरी, रिसर्च सेंटर, योगा हॉल और प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र बनाए गए हैं। साथ ही छात्रों के लिए हॉस्टल और खेलकूद की सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी।
आयुष चिकित्सा में मिलेगा बेहतर शोध का अवसर
विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि यह संस्थान सिर्फ शिक्षा का केंद्र नहीं होगा, बल्कि आयुष चिकित्सा के क्षेत्र में शोध और नवाचार का बड़ा केंद्र बनेगा। यहां देशभर से आयुष चिकित्सा के विशेषज्ञ आकर लेक्चर देंगे और छात्रों को पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ आधुनिक तकनीक का ज्ञान देंगे।
जल्द होगा भव्य उद्घाटन
निर्माण कार्य पूरा होने के बाद विश्वविद्यालय के उद्घाटन की तारीख तय की जाएगी। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद इस भव्य भवन का उद्घाटन करेंगे।
प्रदेश के पहले आयुष विश्वविद्यालय के निर्माण से पूर्वांचल के हजारों छात्रों को आयुष चिकित्सा की पढ़ाई के लिए दूसरे राज्यों का रुख नहीं करना पड़ेगा। साथ ही यहां से निकले छात्र आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करेंगे।