गोमती में सफेद झाग का उफान…VIDEO: जलकुंभी से पटी नदी, नाव से हो रही सफाई; पार्षद बोले- घोटाला हुआ – Lucknow News h3>
जलकुंभी, नालों से गिरता वेस्ट पानी को जहरीला बना रहा है। बदबू और झाग से आस-पास रुकना भी मुश्किल है। नदी की सफाई करने में खानापूर्ति ऐसी बरती गई है कि नालों से हटाया गया मलबा आस-पास ही रख दिया गया है। बारिश के मौसम में तेज बहाव से यह गंदगी सीधे नदी मे
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लखनऊ में गोमती नदी की यह हालत है। दैनिक भास्कर की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची, जहां शहर का मुख्य हैदर कैनाल नाला नदी में मिल रहा है। पड़ताल में सामने आया कि नाले की सफाई कुछ दिन पहले की गई है। नाले से कचरा निकालकर पास ही पलट दिया गया। यह कचरा फिर से बारिश के पानी के साथ नदी में जा रहा है। गंदगी से नदी के पानी से सफेद झाग निकल रहा है। यहां पर दुर्गंध ऐसी है कि कोई खड़ा न हो सकता है। पढ़िए रिपोर्ट…।
पहले 3 तस्वीरें…
लखनऊ नगर निगम की ओर से गोमती नदी में नाव चालकों से जलकुंभी की सफाई कराई जा रही है।
हैदर कैनाल नाले से गोमती नदी में गंदा पानी लगातार हर पल मिल रहा है।
नदी के बगल में लगाया गया STP मॉड्यूलर बंद पड़ा है। यहां से बिना फिल्टर हुए गंदा पानी सीधे नदी में जाता है।
1090 चौराहे के पास नदी में झाग, जहरीला पानी साफ होने का दावा
1090 के पास हैदर कैनाल नाला गोमती नदी में गिरता है। जल निगम के अधिकारियों का दावा है कि STP चल रहा है। पानी शोधित हो रहा, लेकिन हकीकत इससे अलग है। हैदर कैनाल पर करीब 300 करोड़ रुपए की लागत से बने 120 एमएलडी क्षमता के नए सीवर ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की चार में से एक मशीन जून में खराब हो गई थी। इससे एसटीपी पूरी क्षमता से काम नहीं कर रहा। गंदा पानी गोमती में जाकर पानी की गुणवत्ता खराब कर रहा है।
एसटीपी के निर्माण की गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े हुए। यह एसटीपी एक जून को चालू हुआ था। इसके बाद 21 जून को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी जेपी मौर्य ने इसका निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान एसटीपी तय क्षमता 120 की जगह 80 एमएलडी पर चलता मिला था।
यह भी सामने आया था कि सीवर और नाले पानी को शोधित करने के लिए लगे छह एसबीआर (सर्विस बेंच रिएक्टर) में दो बंद थे और खाली भी थे। ऐसे में गंदा पानी अभी तक सीधे गोमती नदी में जा रहा था। हालांकि अब जल निगम के अधिकारियों का दावा है कि सभी यूनिट अब काम कर रही हैं।
हैदर कैनाल की 120 एमएलडी क्षमता के नए सीवर ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की चार में से एक मशीन जून में खराब हो गई थी।
पर्यावरण दिवस पर मंत्री ने खानापूर्ति कर निकाली जलकुंभी
लखनऊ में 5 जून को पर्यावरण दिवस पर नगर विकास मंत्री एके शर्मा और मेयर सुषमा खर्कवाल ने गोमती नदी से जलकुंभी निकालकर नदी को साफ करने का अभियान शुरू करने का दावा किया था। एक दिन के लिए नदी के किनारे अफसरों और सफाई कर्मियों की फौज पहुंची थी।
गोमती नदी कई जगहों पर जलकुंभी से पटी पड़ी है।
यह तस्वीर 5 जून की है। नगर विकास मंत्री एके शर्मा और मेयर सुषमा खर्कवाल ने नदी से जलकुंभी निकाली थी।
मंत्री और मेयर ने खुद ही जलकुंभ निकाली थी
मंत्री और मेयर ने खुद ही जलकुंभ निकाली थी, लेकिन इसके बाद फिर स्थिति उसी तरह बन गई। लकड़ी की 3 नावों से नदी से कूड़ा निकालने के लिए कर्मचारी लगा दिए गए हैं। जबकि नदी कितनी साफ हुई। इसपर अधिकारी कुछ बता नहीं पा रहे। शासन से नगर आयुक्त से जवाब मांगने के बाद कचरा निकालने के लिए एक मशीन भी लगाई गई है।
अब पढ़िए जिम्मेदार जो बोले…
नहीं चल रहा STP, पार्षद बोले- घोटाला हो रहा
झूलेलाल पार्क के पास में नागर निगम की तरफ से मॉड्यूलर STP बनाया गया है, लेकिन यह काम नहीं कर रहा। STP पर ताला लगा है। मौके पर नाले का पानी सीधे गोमती नदी में गिर रहा। पार्षद अमित चौधरी ने बताया- हर साल 72 लाख रुपए नदी की सफाई के लिए खर्च हो रहे हैं, जबकि नदी जलकुंभी से पटी पड़ी है। ऐसे में हर दिन सफाई में लगने वाली रकम का क्या किया जा रहा है?
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निरीक्षण में बंद मिला था STP
क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी जेपी मौर्या ने कहा- 120 MLD का चेक किया गया था। इस दौरान 100 फीसदी संचालन नहीं पाया गया था। इसके लिए लेटर लिखा था। जल्द ही जांच की जाएगी। नगर निगम के आरआर विभाग के चीफ इंजीनियर मनोज प्रभात ने कहा- गोमती में रोज सफाई करनी पड़ती है। इसके लिए 3 नाव और 30 कर्मचारी लगाए हुए हैं। नदी की सफाई के लिए अलग से कोई बजट नहीं आवंटित होता है।
अधिकारी बोले- सभी STP चालू
जल निगम के अधिशाषी अभियंता शमीम अख्तर ने कहा- भरवारा, दौलतगंज और वृंदावन में STP वर्किंग है। हैदर कैनाल नाले का भी STP चालू है। 32 नाले के पानी गोमती में गिरते हैं। इसमें 28 नाले का पानी गोमती में गिरता है। किला मोहम्मदी सहित करीब 4 बड़े नाले के पानी सीधे किला मोहम्मदी में गिर रहे हैं।नाले में गंदगी के साथ में जानवरों की बॉडी, गद्दे सहित अन्य चीजें भी आती हैं, जिससे मशीनों की वर्किंग भी खराब होती है।
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“आखिरी बार वीडियो कॉल पर बात हुई थी… मैंने स्क्रीनशॉट ले लिया था…। देखिए… बहुत अच्छी तस्वीर आई थी… इतना कहते-कहते अनिल तिवारी रो पड़ते हैं। खुद को कुछ संभालते हुए कहते हैं- ये स्क्रीनशॉट ही अब बेटे की अंतिम याद है।” अनिल LESA के पूर्व चीफ इंजीनियर हैं। उनके बेटे अनुराग तिवारी मर्चेंट नेवी में इंजीनियर थे जिनकी 29 जून को शारजाह पोर्ट पर शिप में मौत हो गई। माता-पिता लखनऊ में अपने बेटे के शव का इंतजार कर रहे हैं। 33 वर्षीय अनुराग शारजाह पोर्ट पर एक नई शिप शुरू करने गए थे। इंजन रूम में बेहोशी की हालत में मिले, फिर मौत हो गई। अब उनकी बॉडी शारजाह के फॉरेंसिक हॉस्पिटल में रखी है। परिवार ने भारत में न्याय और बेटे की वापसी की गुहार लगाई तो वहां से शव भेज दिया गया जो शनिवार दोपहर लखनऊ पहुंच गया। (पूरी खबर पढ़िए)