‘गिरते वाटर लेवल से बढ़ा भोपाल का तापमान’: जियोलॉजिस्ट बोले- कभी 35 डिग्री से ऊपर नहीं जाता था टेम्परेचर; पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर हुई चर्चा – Bhopal News h3>
एमपी हाउसिंग बोर्ड का सेमिनार आयोजित हुआ।
भोपाल में शनिवार को एमपी हाउसिंग बोर्ड ने ग्रीन एंड सस्टेनेबल अर्बन डेवलपमेंट सेमिनार आयोजित हुआ। जिसमें बताया कि एआई, मशीन लर्निंग टूल्स और डिजिटल ट्विन तकनीक की मदद से शहरों का वर्चुअल मॉडल तैयार किया जा सकता है।
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तकनीक की मदद से रियल टाइम डेटा का विश्लेषण करके पब्लिक ट्रांसपोर्ट, वाटर मैनेजमेंट, ठोस कचरा निपटान आदि में बेहतर निर्णय लिए जा सकते हैं। इससे भविष्य की समस्याओं जैसे बाढ़, गर्मी, जल संकट आदि का पूर्वानुमान लगाना आसान हो जाता है।
इससे न केवल बेहतर शहरी योजना बनाई जा सकती है, बल्कि संसाधनों का भी कुशल प्रबंधन हो सकता है। साथ ही हम ग्रीन सिटीज को बढ़ावा दे सकते हैं।
कार्यक्रम में हाउसिंग बोर्ड की मुख्य प्रशासनिक अधिकारी तृप्ति श्रीवास्तव, एडिशनल हाउसिंग कमिश्नर शैलेंद्र वर्मा, सुमन सिंह, एनडी अहिरवार और महेंद्र सिंह मौजूद रहे।
डॉ. अशोक ने कहा- गिरते वाटर लेवल ने बढ़ाया तापमान भोपाल के प्रसिद्ध जियोलॉजिस्ट डॉ. अशोक विश्वकर्मा ने कहा कि पहले भोपाल का तापमान कभी 35 डिग्री से ऊपर नहीं जाता था। गिरते वाटर लेवल ने भोपाल का तापमान बढ़ा दिया है। अगर हम सिर्फ 30% वर्षा जल का संरक्षण कर लें तो हम अपने पर्यावरण और प्रकृति को बचा सकते हैं। शहरों में भूमिगत जल का संरक्षण और प्रबंधन बेहद आवश्यक है।
शहरों को पर्यावरण अनुकूल बनाने के तरीकों पर चर्चा हुई स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्ट की प्रोफेसर डॉ. रामा पांडे ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में वाटर सेंट्रिक प्लानिंग, ग्रीन ट्रांसपोर्ट व ऊर्जा दक्ष भवन जैसे मॉडल अपनाकर शहरों को अधिक पर्यावरण अनुकूल बना सकते हैं।
सेमिनार को क्रेडाई के अध्यक्ष मनोक सिंह मिक, ग्नीन बिल्डिंग रेटिंग देने वाली संस्था ग्रिहा के ट्रेनर व आर्किटेक्ट यतीन चौधरी, अर्बन प्लानर ज्योतिका निगम और टाउन प्लानिंग एक्सपर्ट मयंक जगवानी ने भी संबोधित किया। सेमिनार में पूरे प्रदेश से अर्बन प्लानर, पर्यावरण विशेषज्ञ, आर्किटेक्ट व पॉलिसी मेकर ने भाग लिया।