गरीब की झौपड़ी में लगी आग में सबकुछ जलकर खाक
हालांकि इसमें कोई मानव जन हानि तो नहीं हुई, लेकिन जो नुकसान हुआ उसे जुटाने के लिए वो जीवन खपा चुके थे। दरअसल, धानसा गांव से करीब 6 किलोमीटर वाडुकी नाडी के पास जेताराम और पिंटाराम पुत्र कानाराम देवासी दो भाइयों की ढाणी है। दोनों पशुपालक है। सोमवार दोपहर को ढाणी में अचानक आग लग गई और कुछ देर में छप्पर और घास फूस का बना घर जलने लगा। हालांकि महिलाएं और बच्चों ने किसी तरह अपने आप को आग से बचाया, लेकिन अपना कीमती सामान और मवेशी नहीं बचा पाए। सूचना पर ग्रामीण मौके पर आए और आग पर पानी की बौछारें डाली। आग पर काबू पाने की कोशिश की, लेकिन बुझने से पहले आग बड़ा नुकसान कर चुकी थी। बाद में पुलिस, पटवारी और अन्य जनप्रतिनिधि मौके पर पहुंचे और मौका निरीक्षण कर फर्द तैयार की।
दोनों भाइयों के नजदीक बने थे झोपड़े
जानकारी के मुताबिक दोनों भाई पशुपालन का काम करते है। दोनों का रहवास अलग अलग झोपड़े में था, लेकिन झोपड़े नजदीक ही बने हुए थे। जिस कारण एक झोपड़े में लगी आग ने दूसरे को भी चपेट में ले लिया। आग ने देखते ही देखते पूरी ढाणी को अपनी चपेट में ले लिया। इस कारण आग से ढाणी में एक ड्रम में रखे करीब 8 लाख रुपये नकदी नोट जल गए। इसमें 10 रुपये से लेकर 2000 तक के नोट शामिल थे। साथ करीब 15 तोला सोने के जेवर भी जल गए। जिसमें मंगलसूत्र सहित अन्य आभूषण शामिल है। डेढ़ किलो चांदी के गहने भी आग की भेंट चढ़ गए। पशुपालकों के मुताबिक जैसे जैसे पशु की बिक्री होती थी, वैसे वैसे वे अपनी नकदी पास में रखते थे। शिक्षा का अभाव होने के चलते बैंकों में जमा करवाने की बजाय अपनी धनराशि घर में ही रखते थे, इसी कारण एक ही जगह रखी यह राशि जलकर खाक हो गई।
खुद बच गए, मवेशियों को नहीं बचा पाए
आग लगी तो तेज हवा के चलते आग ने अचानक तेज लौ पकड़ ली, महिलाएं बच्चे अपने आप को बचाने के लिए मौके से भागे, लेकिन तारबंदी के अंदर बाड़े में बांधी हुई भेड़ बकरियां उसकी चपेट में आ गई। जिस कारण 34 मवेशी आग से झुलस कर मर गए। कुछ छोटे मेमने तो कंकाल में बदल गए। उनकी हड्डियां तक जल गई। इस हृदय विदारक दृश्य को देखकर ग्रामीणों की आंखों में भी आंसू आ गए। फिलहाल आग के कारणों का पता नहीं पाया है।
रिपोर्ट-दिलीप डूडी
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