गणगौर पूजा 2024: बुंदेलखंड में मां गौरी और भगवान शिव की भक्ति का रंग | Gangaur Puja 2024 Color devotion Gauri and Lord Shiva in Bundelkhand | News 4 Social h3>
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मिट्टी से बनी मां गौरी और भगवान शिव की मूर्ति झांसी में महिलाओं ने सुबह से ही तैयारियां शुरू कर दी थीं। उन्होंने रंगीन कपड़े पहने, गहने पहने और मां गौरी और भगवान शिव की मूर्तियों को सजाया। मिट्टी से बनी मां गौरी और भगवान शिव की मूर्तियों को फूलों, गहनों और अन्य सजावटी वस्तुओं से सजाया गया। महिलाओं ने मां गौरी और भगवान शिव की पूजा की और उनके गीत गाए।
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महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण त्यौहार है गणगौर पूजा उत्तर भारत में, जो मुख्य रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है, महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह त्यौहार चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है।
पार्वती और शिव की होती है पूजा इस त्यौहार में, महिलाएं मां पार्वती (गौरी) और भगवान शिव (ईसर) की पूजा करती हैं। कुंवारी लड़कियां अच्छे वर की कामना करती हैं, जबकि विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखती हैं।
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गणगौर पूजा की मुख्य विशेषताएं पूजा: महिलाएं मिट्टी से मां गौरी और भगवान शिव की मूर्तियां बनाती हैं और उन्हें फूलों, गहनों और अन्य सजावटी वस्तुओं से सजाती हैं।
व्रत: विवाहित महिलाएं सुबह से शाम तक व्रत रखती हैं और पानी भी नहीं पीती हैं।
गीत और नृत्य: महिलाएं गणगौर के गीत गाती हैं और पारंपरिक नृत्य करती हैं।
गणगौर की सवारी: कुछ जगहों पर, महिलाएं मां गौरी और भगवान शिव की मूर्तियों को सजाकर सड़कों पर घुमाती हैं।
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गणगौर पूजा का महत्व: यह त्यौहार मां पार्वती और भगवान शिव के प्रति भक्ति का प्रतीक है।
यह त्यौहार महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण सामाजिक और धार्मिक आयोजन है।
यह त्यौहार महिलाओं को एकजुट करता है और उन्हें अपनी संस्कृति और परंपराओं से जोड़ता है।
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मिट्टी से बनी मां गौरी और भगवान शिव की मूर्ति झांसी में महिलाओं ने सुबह से ही तैयारियां शुरू कर दी थीं। उन्होंने रंगीन कपड़े पहने, गहने पहने और मां गौरी और भगवान शिव की मूर्तियों को सजाया। मिट्टी से बनी मां गौरी और भगवान शिव की मूर्तियों को फूलों, गहनों और अन्य सजावटी वस्तुओं से सजाया गया। महिलाओं ने मां गौरी और भगवान शिव की पूजा की और उनके गीत गाए।
महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण त्यौहार है गणगौर पूजा उत्तर भारत में, जो मुख्य रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है, महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह त्यौहार चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है।
पार्वती और शिव की होती है पूजा इस त्यौहार में, महिलाएं मां पार्वती (गौरी) और भगवान शिव (ईसर) की पूजा करती हैं। कुंवारी लड़कियां अच्छे वर की कामना करती हैं, जबकि विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखती हैं।
गणगौर पूजा की मुख्य विशेषताएं पूजा: महिलाएं मिट्टी से मां गौरी और भगवान शिव की मूर्तियां बनाती हैं और उन्हें फूलों, गहनों और अन्य सजावटी वस्तुओं से सजाती हैं।
व्रत: विवाहित महिलाएं सुबह से शाम तक व्रत रखती हैं और पानी भी नहीं पीती हैं।
गीत और नृत्य: महिलाएं गणगौर के गीत गाती हैं और पारंपरिक नृत्य करती हैं।
गणगौर की सवारी: कुछ जगहों पर, महिलाएं मां गौरी और भगवान शिव की मूर्तियों को सजाकर सड़कों पर घुमाती हैं।
गणगौर पूजा का महत्व: यह त्यौहार मां पार्वती और भगवान शिव के प्रति भक्ति का प्रतीक है।
यह त्यौहार महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण सामाजिक और धार्मिक आयोजन है।
यह त्यौहार महिलाओं को एकजुट करता है और उन्हें अपनी संस्कृति और परंपराओं से जोड़ता है।