‘खाकी’ वाले लोढ़ा सहित 6 IAS-IPS एजेंसी की रडार पर: दलित छात्रों का पैसा हड़पने का एक आरोपी IAS BPSC चेयरमैन; दूसरा JDU से लड़ा चुनाव h3>
बिहार सरकार के 6 IAS-IPS अफसर ED, CBI, EOU और निगरानी की रडार पर हैं। इसमें से एक IAS जेल में बंद हैं और एक IPS जमानत पर बाहर है। जबकि, 4 IAS-IPS अफसरों को सरकार ने पोस्टिंग दे दी है।
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सबसे बड़ी पोस्टिंग स्कॉलरशिप घोटाले के आरोपी IAS परमार रवि मनुभाई को मिली है। उनको सरकार ने मार्च 2024 में राज्य के सबसे बड़े आयोग BPSC (बिहार लोकसेवा आयोग) का अध्यक्ष बनाया है। ये राज्य में सबसे ज्यादा नौकरी देने वाला आयोग है।
वहीं, 2 करोड़ रुपए की हेराफेरी करने के आरोपी IAS को जनसंपर्क विभाग का डायरेक्टर बनाया गया है।
मंडे स्पेशल स्टोरी में पढ़िए और देखिए…, बिहार के उन अफसरों के बारे में जो जांच के घेरे में हैं।
दागदार 6 IAS-IPS की कहानी…
1. महादलित बच्चों का पैसा हड़पने के आरोपी IAS को BPSC का चेयरमैन बनाया
2013-14 वित्तीय वर्ष में महादलित विकास मिशन योजना के तहत अनुसूचित जनजाति के छात्र-छात्राओं को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि (स्कालरशिप) में घोटाला सामने आया था। इसमें निगरानी ने 4 करोड़ 25 लाख रुपए की गड़बड़ी की शिकायत दर्ज की थी।
जांच के बाद निगरानी ने 3 IAS अफसरों सहित 10 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था। यह मामला अभी कोर्ट में चल रहा है।
आरोपी 3 IAS में SC/ST कल्याण विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव एसएम राजू, तत्कालीन सचिव परमार रवि मनुभाई और मिशन के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक निदेशक केपी रमैया शामिल हैं।
फिलहाल IAS परमार रवि मनुभाई बिहार लोकसेवा आयोग के चेयरमैन हैं। उनकी नियुक्ति के मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। मनुभाई को सरकार ने 15 मार्च 2024 को अध्यक्ष बनाया था।
करप्शन के आरोपी IAS परमार रवि मनुभाई को BPSC का चेयरमैन बनाया गया है। जो युवाओं को नौकरी देने वाला आयोग है। BPSC इस समय विवादों में है।
वहीं, दूसरे आरोपी पूर्व IAS केपी रमैया JDU के टिकट पर सासाराम से 2014 में चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि, वह चुनाव हार गए थे। केपी रमैया पर सृजन घोटाले का भी आरोप है। वह 6 फरवरी 2003 से 27 जुलाई 2004 तक भागलपुर के DM थे।
फिलहाल 68 वर्षीय केपी रमैया अग्रिम जमानत पर बाहर हैं। तीसरे आरोपी पूर्व IAS एसएम राजू बिहार छोड़कर जा चुके हैं।
2. 2 करोड़ रुपए की हेराफेरी करने का आरोपी IAS जनसंपर्क विभाग का डायरेक्टर
कंवल तनुज 2010 बैच के बिहार कैडर के IAS हैं। औरंगाबाद में उनकी पहली पोस्टिंग थी और वह 4 अगस्त 2015 से लेकर 28 फरवरी 2018 तक DM रहे।
इस दौरान उन पर नवीनगर बिजली परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण के दौरान रेल बिजली परियोजना कंपनी लिमिटेड के सीईओ शिवकुमार से मिलीभगत कर 2 करोड़ से अधिक रुपए की हेराफेरी का आरोप लगा।
इसके बाद उन पर CBI ने कार्रवाई की। कंवल तनुज पर धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेज तैयार करने का मामला दर्ज किया गया था। CBI जांच के खिलाफ 2020 में तनुज सुप्रीम कोर्ट गए थे।
IAS कंवल तनुज के आवास पर जब CBI ने छापेमारी की तब वह कटिहार के DM थे। घोटाला उनके औरंगाबाद वाले कार्यकाल से जुड़ा है।
उनका कहना था, ‘राज्य सरकार के अधीन काम करते हुए किसी अधिकारी पर CBI केस नहीं चल सकता है।’ कोर्ट ने उनके इस तर्क को नहीं माना और याचिका खारिज कर दी। अभी केस में जांच जारी है।
फिलहाल कंबल तनुज को सूचना एवं जनसंपर्क विभाग का डायरेक्टर बना दिया गया है। साथ ही बिहार संवाद समिति के प्रबंध निदेशक का अतिरिक्त प्रभाव भी संभाल रहे हैं।
3. ED की रडार पर IPS राकेश कुमार दुबे
IPS राकेश कुमार दुबे को अप्रैल 2021 में आरा जिले की कमान सौंपी गई थी। उन पर बालू माफियाओं से सांठगांठ कर अवैध कमाई करने का आरोप लगा। उन्होंने कथित तौर पर कई माफियाओं को संरक्षण दिया था। सितंबर 2021 में EOU ने केस दर्ज किया था।
EOU की कार्रवाई में यह बात सामने आई कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कभी अपनी सैलरी नहीं निकाली थी। अवैध कमाई से कथित तौर पर पटना, नोएडा के अलावा झारखंड में कई जगह होटल, घर, फ्लैट और जमीन खरीदी थी।
कैट ने सस्पेंशन की अवधि बढ़ाने के आदेश को गलत ठहराया। तब जाकर राज्य सरकार ने उनको निलंबन से मुक्त किया।
साथ ही पटना के कई जाने-माने बिल्डरों की कंपनी में उनकी काली कमाई लगाई गई थी। EOU की जांच के बाद ED ने भी इस मामले पर जांच शुरू कर दी थी। इसके बाद उन्हें 27 जुलाई 2021 को सस्पेंड किया गया था और वह लगभग पौने 3 वर्षों के लिए सस्पेंड रहे।
राकेश दुबे इस कार्रवाई के खिलाफ कैट गए। कैट ने सस्पेंशन की अवधि बढ़ाने के आदेश को गलत ठहराया। इसके बाद राज्य सरकार ने राकेश दुबे को निलंबन मुक्त कर दिया। सितंबर 2024 में राकेश दुबे को बिहार विशेष सशस्त्र के IG का सहायक बनाया गया। हालांकि, करप्शन मामले की जांच जारी है। दूसरी तरफ IPS दुबे ने अपने ऊपर की गई कार्रवाई के खिलाफ कोर्ट गए हैं। वो मामला चल रहा है।
4. सरकार के करीबी IAS संजीव हंस जेल में बंद
IAS संजीव हंस 18 अक्टूबर 2024 से पटना के बेऊर जेल में बंद हैं। उन पर महिला से गैंगरेप और भ्रष्टाचार का आरोप है। संजीव हंस मूल रूप से पंजाब के रहने वाले हैं। 1997 बैच के IAS अधिकारी हैं। इन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक किया है। इनके पिता भी प्रशासनिक सेवा में थे।
IAS हंस को ऊर्जा विभाग का प्रधान सचिव बनाया गया था। साथ ही बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी के सीएमडी भी रहे हैं। इस दौरान उन पर कई तरह के आरोप लगे।
संजीव हंस पर एक महिला ने गैंगरेप का आरोप लगाया। इसकी जांच के दौरान पटना पुलिस को काली कमाई की जानकारी मिली। इसको पुलिस ने विजिलेंस को दे दिया। इसके बाद एजेंसियों ने एक्शन लिया। ED ने हंस के 20 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी कर कई अहम सबूत जुटाए।
ED की जांच के अनुसार, संजीव हंस ने 2018 से 2023 के बीच बिहार सरकार और केंद्र सरकार के विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए भ्रष्ट तरीके से पैसा जमा किया। यह भी आरोप है कि उन्होंने अपने करीबी सहयोगियों और परिवार के लोगों के जरिए अवैध संपत्ति जुटाई। IAS संजीव हंस को केंद्र सरकार ने सस्पेंड कर दिया है।
5. खाकी वाले IPS अमित लोढ़ा भी ED की रडार पर
गया में IPS अमित लोढ़ा की IG के तौर पर पहली पोस्टिंग थी। 1998 बैच के IPS लोढ़ राजस्थान के रहने वाले हैं। फरवरी 2022 को नीतीश कुमार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए IG अमित लोढ़ा और गया SSP आदित्य कुमार को तत्काल प्रभाव से हटा दिया था। इसके बाद लोढ़ा के खिलाफ तीन अलग-अलग जांच बैठाई गई।
लोढ़ा के खिलाफ विशेष निगरानी इकाई यानी SVU ने आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप में 7 दिसंबर 2022 को केस दर्ज किया। साथ ही पद का दुरुपयोग कर गलत तरीके से पैसे कमाने का भी आरोप लगाया।
विशेष निगरानी इकाई की जांच में 2 करोड़ 50 लाख रुपए से अधिक की अवैध संपत्ति की बात सामने आई थी। SVU भ्रष्टाचार के मामले में अमित लोढ़ा और उनकी पत्नी कुमुद लोढ़ा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर चुकी है।
इस मामले में अमित लोढ़ा हाईकोर्ट भी गए, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली। वहीं, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी उनके खिलाफ इंफोर्समेंट केस इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट (ECIR) दर्ज की है। IPS लोढ़ा स्टेट क्राइम ब्यूरो में पोस्टेड हैं। उन्होंने अपने ऊपर दर्ज मामले के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की है।
अमित लोढ़ा साल 2006 में पहली बार तब चर्चा में आए, जब उन्होंने शेखपुरा के ‘गब्बर सिंह’ कहे जाने वाले अशोक महतो और उसके साथी पिंटू महतो को सलाखों के पीछे पहुंचाया। इसके लिए उन्हें वीरता पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था।
उन पर 4 आरोप लगे हैं…
- अमित लोढ़ा स्थापित कहानीकार नहीं हैं। न ही उन्हें किताब लिखने के लिए अधिकृत किया गया था और न अनुमति दी गई थी। इसे नजरअंदाज कर अमित लोढ़ा ने बिहार डायरी लिखी। इसका उपयोग वेब सीरीज के लिए किया गया। उन्होंने यह काम पैसा कमाने के लिए किया, जो क्राइम है।
- लोक सेवक होने के बावजूद लोढ़ा ने निजी कारोबारी हितों के लिए एक प्रोडक्शन हाउस के साथ करार किया। 49,62,372 रुपए लिए, जो ठीक नहीं है। इस षडयंत्र में उन्होंने पत्नी को भी शामिल किया। सूत्रों के अनुसार, अभी तक की जांच में SVU को कई अन्य संपत्तियों के भी सुराग मिले हैं।
- आरोप है कि प्रोडक्शन हाउस और लोढ़ा की पत्नी कौमुदी लोढ़ा के बीच भी करार हुआ। 7 मार्च 2019 से 13 सितंबर 2021 के बीच कौमुदी लोढ़ा के खाते में 38.25 लाख ट्रांसफर किए गए।
- लोढ़ा की किताब बिहार डायरी पर बनी वेब सीरीज की लागत 64 करोड़ है। यह पैसा लॉस गाटोस प्रोडक्शन सर्विस ने लगाया है, जो भारत में नेटफ्लिक्स की वैधानिक प्रतिनिधि है।
6. जमानत पर जेल से बाहर हैं IPS आदित्य कुमार
आदित्य कुमार 2011 बैच के IPS अधिकारी हैं। वह उत्तर प्रदेश के मेरठ के रहने वाले हैं। 2015 में आदित्य कुमार को SP के रूप में पहली बार जहानाबाद की जिम्मेदारी दी गई थी।
अवैध शराब से जुड़े मामले और मनचाही पोस्टिंग के लिए कथित तौर पर तत्कालीन DGP एसके सिंघल को चीफ जस्टिस के नाम से फोन कराया था। आदित्य कुमार पर IPC की धारा 353, 387, 419, 420 और आईटी एक्ट की धारा 66 सी और 66 डी के तहत चार्जशीट दाखिल की गई है।
कोर्ट से झटका मिलने के बाद IPS आदित्य कुमार ने सरेंडर किया था। अभी हाईकोर्ट से जमानत पर बाहर है।
उन पर गया में SSP रहते हुए तत्कालीन पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल का नाम और फोटो लगाकर अकाउंट बनाने और तत्कालीन DGP एसके सिंघल को वॉट्सऐप कॉल कर पक्ष में फैसला लेने के लिए दबाव बनाने का भी आरोप है।
उनके खिलाफ आर्थिक अपराध इकाई ने मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की थी। बाद में 7 महीने तक आदित्य कुमार फरार चल रहे थे। उन्हें पकड़ने के लिए SIT का गठन किया गया था। उन्होंने दिसंबर 2023 में सरेंडर किया। अभी जमानत पर बाहर है।
अफसरों पर सेंट्रल एजेंसी इस तरह करती है कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अशोक सिंह ने बताया…
1. CBI दिल्ली पुलिस एक्ट के तहत बनी है। यह दो तरह से FIR करती है- एक सरकार की सिफारिश पर, दूसरा कोर्ट के आदेश पर।
2. ED तब कार्रवाई करती है जब किसी पर पुलिस केस, मनी लॉन्ड्रिंग, कस्टम एक्ट जैसे एक्ट के खिलाफ FIR होती है। इसमें ED ECIR रिकॉर्ड करती है। यह उसकी FIR होती है। इसके बाद वह अपनी कार्रवाई करती है।
करप्शन केस में दो तरीके से कार्रवाई की होती है- एक सिविल और दूसरी क्रिमिनल। सिविल कार्रवाई को डिपार्टमेंटल इंक्वायरी बोलते हैं। इसमें आरोपी के सीनियर ही जांच करने वाले होते हैं। इसमें जुर्माना या प्रमोशन रोकने का आदेश दिया जाता है। क्रिमिनल कार्रवाई में किसी भी ऑफिसर के खिलाफ FIR होती है तो उसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए स्टेट गवर्नमेंट से परमिशन लेना होता है। इसको सेक्शन बोलते हैं। उसके आधार पर उन पर कार्रवाई की जाती है और चार्जशीट फाइल होती है।
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दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में आज यानी (30 जनवरी) लैंड फॉर जॉब मामले में सुनवाई हुई। कोर्ट ने 2 अधिकारियों पर केस चलाने की मंजूरी दे दी है। इसमें एक पूर्व IAS अधिकारी आरके महाजन हैं। महाजन लालू के रेल मंत्री रहते रेलवे बोर्ड में थे। सुनवाई के दौरान स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर डीपी सिंह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुए थे। एडवोकेट मनु मिश्रा फिजिकली कोर्ट के अंदर मौजूद थे। इस मामले में अब 7 फरवरी को अगली सुनवाई होगी। पूरी खबर पढ़िए