क्या वैक्सीन दिलाएगी डायबीटीज पर जीत

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क्या वैक्सीन दिलाएगी डायबीटीज पर जीत

क्या वैक्सीन दिलाएगी डायबीटीज पर जीत

धनेन्द्र कुमार
भारत को दुनिया का ‘डायबीटीज कैपिटल’ माना जाता है। देश में डायबिटिक लोगों की असल तादाद WHO के पिछले आंकड़ों से कहीं ज्यादा है। लांसेट में छपे ICMR के एक शोध के मुताबिक, देश में 11.4 करोड़ लोग डायबिटिक हैं, 13.6 करोड़ लोग प्री-डायबिटिक हैं। यह संख्या WHO की पिछली 7.7 करोड़ की संख्या से कहीं अधिक है। ये सब टाइप-2 के रोगी हैं। इनमें बच्चों वाली टाइप-1 के नंबर भी जोड़ दें, तो लगता है कि हम एक टाइमबम पर बैठे हैं।

बीमारियों की बारात
डायबीटीज, बारात की तरह हृदय रोग, मानसिक आघात, गुर्दे की बीमारी और दृष्टिहीनता जैसी कई बीमारियों को अपने साथ लेती आती है। भारत में किडनी फेल होने के जितने मामले होते हैं, उनमें लगभग एक-तिहाई मामलों के पीछे वजह डायबीटीज ही मानी जाती है। यह समस्या देश भर में बढ़ रही है, लेकिन ICMR की स्टडी बताती है कि कुछ राज्यों में यह ज्यादा गंभीर है। गोवा में यह 26.4 फीसदी है तो पुडुचेरी और केरल में क्रमश: 26.3 और 25.5 फीसदी। यूपी, मध्य प्रदेश और बिहार में भी यह तेजी से बढ़ रही है। बात दुनिया की करें तो 2050 तक दुनिया में डायबीटीज के लगभग 130 करोड़ रोगी होंगे। 2021 में ये 53 करोड़ थे।

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देश में 11.4 करोड़ लोग डायबिटिक हैं (फोटोः एजेंसी)

बन रही वैक्सीन
क्या आज के समय में डायबीटीज रोकने के लिए ऐसी कोई वैक्सीन नहीं खोजी जा सकती, जिससे शरीर में इंसुलिन पैदा करने वाले पैंक्रियास की कार्यक्षमता बढ़ाई जा सके, विशेष रूप से बच्चों में बीटा सेल्स को एक्टिवेट किया जा सके? संतोष की बात है कि इस पर दुनिया में काम चल रहा है-

  • डायामिड वैक्सीन में इंसुलिन पैदा करने वाले प्रोटीन की श्रृंखला पाई जाती है। इसे यूं डिवेलप किया जा रहा है जिससे शरीर में इंसुलिन की उत्पादन क्षमता बढ़े और उसके प्रतिरोधक तत्वों को रोका जा सके।
  • TOL-3021 वैक्सीन इंसुलिन उत्पादक कोशिकाओं की सतह पर पाए जाने वाले Hsp60 नामक प्रोटीन को टारगेट करती है। इसे इंसुलिन उत्पादक कोशिकाओं का विनाश रोकने के लिए बनाया गया है, जिससे इंसुलिन उत्पादन में मदद मिलेगी। इसकी टेस्टिंग जारी है।
  • BCG वैक्सीन तपेदिक में काम आती है, मगर यह टाइप-1 डायबीटीज को रोकने, इम्यून प्रतिक्रिया बढ़ाने और रेग्युलेटरी T-cells की प्रक्रिया में भी सहायक है।
  • पेप्टाइड वैक्सीन विशिष्ट एमिनो एसिड की श्रृंखला के जरिए रेग्युलेटरी T-cells के उत्पादन में सहायक सिद्ध हो सकती है। इस पर काम जारी है।

जेब पर बोझ
एक बड़ी दिक्कत यह है कि डायबीटीज में इंसुलिन और दवाओं के बढ़ते दाम से मरीजों की जेब पर बोझ भी बढ़ रहा है। ऐसी कई रिपोर्टें हैं, जिनके मुताबिक भारत में 9 करोड़ लोगों के कुल खर्चे का लगभग 10 फीसदी हिस्सा मेडिकल खर्च में निकल जाता है। 3 करोड़ लोगों का तो आमदनी का एक-तिहाई इसमें चला जाता है। सरकार की ‘आयुष्मान भारत’ योजना से आम लोगों को मदद मिली है, फिर भी इस तरह के खर्च के बोझ को कम करने के लिए दवाइयों और इंसुलिन के दाम कम होने जरूरी हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के कहने पर वहां की एक बड़ी वैक्सीन कंपनी एली लिली ने इंसुलिन के दाम 70 फीसदी तक कम कर दिए हैं। वहां की दूसरी दो कंपनियों सनोफी और नोवो नॉर्डिस्क ने अभी ऐसा नहीं किया है।

अगुवा बने भारत
देश में दवाइयों की कीमतों पर नियंत्रण के लिए NPCA है। सरकार ने ‘जन औषधि केंद्र’ के जरिए बहुत सस्ती दरों पर दवा उपलब्ध कराने की परियोजना भी चालू की है, जिसका प्रभाव पूरे देश में पड़ा है। भारत सभी विकासशील देशों के लिए फार्मेसी समझा जाता है, ऐसे में दुनिया की निगाहें इस पर टिकी हैं। कोरोना महामारी के दिनों में भी सभी पड़ोसी और विकासशील देशों को टीका उपलब्ध कराने में भारत की भूमिका सारे विश्व में सराही गई। निस्संदेह डायबीटीज से मुकाबले में भी भारत की विशिष्ट भूमिका रहेगी।

(लेखक विश्व बैंक में भारत के कार्यकारी निदेशक रहे हैं)

डिसक्लेमर : ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं

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