कोहली के जल्दबाजी में संन्यास की 5 वजहें: युवाओं को मौका देने की सोच, कोच गंभीर के सख्त नियम; 10,000 रन नहीं बना सके

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कोहली के जल्दबाजी में संन्यास की 5 वजहें:  युवाओं को मौका देने की सोच, कोच गंभीर के सख्त नियम; 10,000 रन नहीं बना सके
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कोहली के जल्दबाजी में संन्यास की 5 वजहें: युवाओं को मौका देने की सोच, कोच गंभीर के सख्त नियम; 10,000 रन नहीं बना सके

स्पोर्ट्स डेस्क19 घंटे पहले

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36 साल के विराट कोहली ने 12 मई को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया। वे अगर 1-2 साल और खेलते तो 10 हजार रन बनाकर इस फॉर्मेट में भारत के तीसरे टॉप स्कोरर बन जाते, लेकिन विराट ने रिकॉर्ड की परवाह नहीं की।

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विराट भारत के चौथे टॉप स्कोरर रहे। देश के टॉप-5 टेस्ट स्कोरर में कोहली ने ही सबसे जल्दी संन्यास लिया। सचिन तेंदुलकर ने तो 36 साल की उम्र के बाद 9 टेस्ट शतक और लगा दिए थे। वे 40 साल तक खेले, लेकिन विराट ने इस फॉर्मेट में अपना करियर लंबा नहीं होने दिया।

स्टोरी में 4 बातें जानते हैं…

  1. विराट के संन्यास लेने की 5 बड़ी वजहें
  2. टॉप-5 भारतीयों में सबसे जल्दी संन्यास
  3. तीन भारतीय भी कम उम्र में संन्यास ले चुके
  4. 5 ऐसे रिकॉर्ड जिन्हें तोड़ने से चूके विराट

1. विराट के संन्यास की 5 वजहें

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i. टेस्ट में अपना पीक फॉर्म खो दिया

विराट कोहली ने 2019 में अपना 27वां टेस्ट शतक लगाया। अगले ही साल कोरोना वायरस आया, मुकाबले कम होने लगे और कोहली ने अपना पीक फॉर्म खो दिया। 2019 तक उन्होंने करीब 55 की औसत से 7202 रन बना लिए थे। वे अगले 5 साल के 39 टेस्ट में महज 31 की औसत से 2028 रन ही बना सके। इस दौरान उनके बैट से 3 ही सेंचुरी निकलीं।

कोहली के खराब फॉर्म में कोरोना के बाद की बॉलिंग फ्रेंडली पिचों का योगदान भी बड़ा रहा। महामारी के बाद कोहली ने 37 टेस्ट में 32.09 की औसत से रन बनाए, जो उनके स्टैंडर्ड से बेहद सामान्य रहा। हालांकि इस दौरान दुनिया भर के टॉप-7 बैटर्स का औसत महज 29.87 का रहा। वहीं कोहली को छोड़कर टीम इंडिया के बाकी टॉप-7 बैटर्स का औसत भी 31.15 का ही रहा। यानी कोहली पिछले 5 साल में दुनिया के टॉप बैटर्स में कम्पीट तो करते रहे, लेकिन उन्हें अपने ही स्टैंडर्ड में गिर जाना पसंद नहीं आया।

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बांग्लादेश, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपनी पिछली 3 सीरीज में भी कोहली आउट ऑफ फॉर्म नजर आए। वे एक फिफ्टी और एक सेंचुरी ही लगा सके। 3 से 5 जनवरी तक उन्होंने सिडनी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आखिरी टेस्ट खेला और मई में संन्यास ले लिया।

ii. हेड कोच गंभीर की सख्त पॉलिसी

गौतम गंभीर अगस्त 2024 में टीम इंडिया के नए हेड कोच बनाए गए। उन्होंने कोच बनते ही बयान दिया था कि वे टीम इंडिया के स्टार कल्चर को खत्म करना चाहते हैं। उनका मानना रहा कि फैंस और मैनेजमेंट का फोकस प्लेयर के रिकॉर्ड्स से ज्यादा टीम की जीत पर होना चाहिए।

गंभीर की एंट्री के बाद BCCI ने लंबे दौरों पर परिवार के ज्यादा समय साथ रहने पर पाबंदी लगा दी। पूर्व कप्तान रोहित शर्मा और टीम के कुछ सीनियर प्लेयर इस फैसले से नाराज नजर आए। गंभीर के कोच बनने के बाद टीम ने न्यूजीलैंड से घरेलू मैदान और ऑस्ट्रेलिया से उन्हीं के मैदान पर सीरीज हार झेली। जिसके बाद रविचंद्रन अश्विन, रोहित शर्मा और विराट कोहली को संन्यास लेना पड़ गया।

गौतम गंभीर की कोचिंग में रविचंद्रन अश्विन, रोहित शर्मा और विराट कोहली ने टेस्ट से संन्यास लिया।

iii. रोहित शर्मा का इन्फ्लुएंस

टीम इंडिया के वनडे कप्तान रोहित शर्मा ने 7 मई को टेस्ट से संन्यास लिया। इसके 5 दिन के भीतर विराट कोहली ने भी रेड बॉल क्रिकेट को अलविदा कह दिया। यह पहला मौका नहीं है, जब दोनों प्लेयर्स ने एक साथ किसी फॉर्मेट से संन्यास लिया।

29 जून 2024 को जब भारत ने टी-20 वर्ल्ड कप जीता था, तब प्लेयर ऑफ द फाइनल विराट कोहली ने प्रेजेंटेशन सेरेमनी में टी-20 से संन्यास की घोषणा की। जिसके कुछ देर बाद ही रोहित शर्मा ने भी जीत सेलिब्रेट करते हुए सबसे छोटे फॉर्मेट को अलविदा कह दिया था। यानी रोहित के टेस्ट रिटायरमेंट ने कहीं न कहीं कोहली पर भी संन्यास लेने का दबाव बनाया।

विराट कोहली और रोहित शर्मा ने एक ही दिन टी-20 से संन्यास लिया था।

रोहित शर्मा और विराट कोहली ने 5 दिन के अंदर टेस्ट रिटायरमेंट ले लिया।

iv. ऑस्ट्रेलिया में दे दिए थे संकेत

नवंबर से जनवरी के बीच भारत ने ऑस्ट्रेलिया का टेस्ट दौरा किया, जहां टीम को 3-1 से हार का सामना करना पड़ा। कोहली ने पहले ही मुकाबले में शतक लगाया, जिसके बाद उन्हें लगा कि वे अपना फॉर्म वापस पा चुके हैं। हालांकि बाद के 4 टेस्ट की 7 पारियों में विराट हर बार ऑफ स्टंप के बाहर की गेंद पर स्लिप में ही कैच हुए। वे एक भी फिफ्टी नहीं लगा सके और 190 रन के साथ सीरीज खत्म की।

ऑस्ट्रेलिया में बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के बाद कोहली ने कहा था कि वे इस फॉर्मेट में अपना फॉर्म खोने लगे हैं। TOI की रिपोर्ट अनुसार, तब उन्होंने अपने साथी खिलाड़ी से कह दिया था कि वे इस फॉर्मेट में खुद को और आगे बढ़ते हुए नहीं देखते। जिसके बाद मई में कोहली ने संन्यास ही ले लिया।

ग्राफिक में देखिए BGT 2024-25 में कोहली का प्रदर्शन…

v. युवा खिलाड़ियों को मौका देने की सोच

2019 में शुरू हुई वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) भी कोहली के संन्यास की बड़ी वजह है क्योंकि 20 जून से इंग्लैंड में टीम इंडिया की 5 टेस्ट की सीरीज शुरू होगी। जो 2027 की WTC में भारत की पहली सीरीज है, यहीं से टीम इंडिया का फाइनल में पहुंचना तय होगा।

कोहली कई इंटरव्यूज में कह चुके हैं कि अगर उन्हें लगेगा कि वे टीम के लिए कॉन्ट्रिब्यूट नहीं कर पा रहे तो वे संन्यास ले लेंगे। उन्हें महसूस हुआ होगा कि युवा टीम तैयार करने के लिए जरूरी है कि WTC में नई टीम को ही मौका मिले क्योंकि वे खुद की कप्तानी में 2 बार टीम इंडिया को WTC के फाइनल में पहुंचा चुके हैं। कोहली जब कप्तान नहीं रहे तो टीम खिताबी मुकाबले के लिए क्वालिफाई नहीं कर सकी। ऐसे में संभव है कि कोहली ने टीम के भविष्य को ध्यान में रखते हुए रिटायरमेंट लिया।

कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया 42 महीनों तक नंबर-1 टेस्ट टीम रही। उन्होंने 2 बार टीम को WTC के फाइनल में भी पहुंचाया।

2. भारत के टॉप-5 रन स्कोरर में सबसे जल्दी संन्यास

भारत के टॉप-5 टेस्ट रन स्कोरर में विराट कोहली चौथे नंबर पर रहे। कोहली 10 हजार रन से महज 770 रन दूर थे, वे अगर 893 रन और बनाते तो देश के तीसरे टॉप स्कोरर भी बन जाते। अब सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और सुनील गावस्कर ही ऐसे भारतीय बचे, जिनके नाम टेस्ट में 10 हजार रन हैं।

कोहली को छोड़कर भारत के टॉप-5 रन स्कोरर ने जब संन्यास लिया, तब उनकी उम्र 38 साल या उससे ज्यादा ही रही। गावस्कर ने 38, द्रविड़ ने 39 और लक्ष्मण ने 38 साल की उम्र में संन्यास लिया। सचिन तो 40 की उम्र तक खेले, इतना ही नहीं उन्होंने 36 साल के बाद 9 टेस्ट शतक भी लगाए। ऐसे में सवाल उठना लाजमी ही है कि कहीं कोहली ने 2-3 साल पहले तो टेस्ट रिटायरमेंट नहीं ले लिया?

3. भारतीय जो कम उम्र में रिटायर हुए

कोहली ऐसे पहले भारतीय नहीं रहे, जिन्होंने कम उम्र में संन्यास लिया। रवि शास्त्री ने 31 और एमएस धोनी ने 33 साल की उम्र में ही टेस्ट से संन्यास ले लिया था। वहीं भारत के लिए तीनों फॉर्मेट में शतक लगाने वाले पहले खिलाड़ी सुरेश रैना ने भी 34 साल की उम्र में ही संन्यास ले लिया था। धोनी ने 90, शास्त्री ने 80 और रैना ने 18 टेस्ट खेले।

4. 5 रिकॉर्ड तोड़ने से चूके विराट

  • 10 हजार रन: विराट ने 123 टेस्ट में 9230 रन बनाकर अपना टेस्ट करियर खत्म किया। वे 10 हजार रन से महज 770 रन दूर रहे। अगर वे यह रिकॉर्ड बनाते तो वनडे और टेस्ट में 10 हजार से ज्यादा रन बनाने वाले तीसरे ही भारतीय बनते। यह रिकॉर्ड सचिन और द्रविड़ के ही नाम है।
  • इंग्लैंड में टॉप भारतीय स्कोरर: विराट कोहली इंग्लैंड में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले भारतीय का रिकॉर्ड बनाने से भी चूक गए। उन्होंने इंग्लिश कंडीशन में 17 टेस्ट खेले और 1096 रन बनाए, इस मामले में वे चौथे नंबर पर रहे। सचिन तेंदुलकर 1575 रन बनाकर नंबर-1 पर हैं। द्रविड़ दूसरे और गावस्कर तीसरे नंबर पर रहे।
  • सबसे ज्यादा टेस्ट जीतने वाले भारतीय: विराट कोहली ने 123 में 62 टेस्ट जीते। वे 11 और जीत से टेस्ट में सबसे ज्यादा मुकाबले जीतने वाले भारतीय बन जाते। उनसे आगे सचिन तेंदुलकर ही रहे, जिन्हें 200 टेस्ट में 72 जीत मिली।
  • जीत में भारत के टॉप स्कोरर: विराट की मौजूदगी में भारत ने 62 टेस्ट जीते, इनमें उन्होंने 4746 रन बनाए। विराट अगर टीम की जीत में 1201 रन और बनाते तो जीत में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले भारतीय बन जाते। सचिन 5946 रन बनाकर टॉप पर रहे।
  • WTC में भारत के टॉप रन स्कोरर: विराट अगर 100 रन और बना लेते तो वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में भारत के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी बन जाते। इस मामले में वे रोहित शर्मा का रिकॉर्ड तोड़ते, जिनके नाम 2716 रन रहे। इंग्लैंड दौरे पर ऋषभ पंत यह रिकॉर्ड अपने नाम कर सकते हैं, जिनके नाम 2252 रन हैं।

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कहा जाता है कि रिकॉर्ड बनते ही हैं टूटने के लिए। हालांकि, क्रिकेट के कुछ रिकॉर्ड ऐसे हैं, जो कालजयी बन जाते हैं। इनका टूटना लगभग नामुमकिन माना जाता है। जैसे 50 से ज्यादा टेस्ट खेलने के बाद डॉन ब्रैडमैन का 99.94 का औसत। इंटरनेशनल क्रिकेट में मुथैया मुरलीधरन का 1347 विकेट का रिकॉर्ड। विराट कोहली के टेस्ट से रिटायरमेंट के बाद सचिन तेंदुलकर के 100 शतकों का रिकॉर्ड भी इसी फेहरिश्त में शामिल हो सकता है। पढ़ें पूरी खबर

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