कोचिंग हब बना एमपी नगर, पार्किंग के इंतजाम नहीं, रोड पर खड़े कर रहे वाहन | MP Nagar becomes coaching hub, no parking arrangements | News 4 Social h3>
भोपालPublished: Jan 09, 2024 06:19:15 pm
पीक ऑवर्स में लगता है जाम, संकरी गलियों में हादसे का खतरा
कोचिंग हब बना एमपी नगर, पार्किंग के इंतजाम नहीं, रोड पर खड़े कर रहे वाहन
भोपाल. शहर में सबसे अधिक कोचिंग संस्थान एमपी नगर में संचालित किए जाते हैं। इन कोचिंग संस्थानों की फीस भी दो से ढाई लाख तक है। लेकिन सुरक्षा और सुविधाओं के नाम पर पार्किंग की व्यवस्था तक नहीं है। इन कोचिंग संस्थानों में पढऩे आने वाले छात्र-छात्राएं अपने वाहनों को सडक़ किनारे रखते हैं। जिससे जाम की स्थिति बनती है। कई संस्थान तो ऐसी जगहों पर संचालित हो रहे हैं, जहां गलियां इतनी संकरी हैं, यदि कोई हादसा होता है तो मदद भी आसानी से नहीं पहुंच सकती। बात थद्दाराम काम्पलेक्स से एमपी जोन वन तक की करें तो यहां एक दर्जन से अधिक कोङ्क्षचग संस्थान हैं। इनके बेसमेंट में पार्किंग नहीं होने से यहां आने वाले छात्र फुटपाथ पर ही दोनों ओर वाहन पार्क करते हैं।
करंट लगने के डर से महीनों नहीं उठाते कचरा
वहीं बोर्ड ऑफिस चौराहे के पीछे बैंक वाली लाइन में भी लगभग आधा दर्जन कोचिंग संस्थान संचालित किए जाते हैं। बिजली के तारों से घिरी इस गली में स्थिति यह है कि यहां महीनों कचरा तक साफ नहीं होता है। ऐसे में बदबू के बीच विद्यार्थी पढऩे को मजबूर हैं। कोचिंग संचालक कई बार कचरा हटाने नगर-निगम को ज्ञापन सौंप चुके हैं। लेकिन करंट लगने के डर से निगम कर्मी कचरा उठाने को तैयार नहीं होते।
निगम बेखबर, गुमठी, ठेलों ने किया अतिक्रमण
नगर निगम का अतिक्रमण अमला आए दिन शहर में सार्वजनिक स्थलों से कब्जे हटाने का काम करता है, लेकिन एमपी नगर जैसे व्यवसायिक क्षेत्रों का अतिक्रमण की ओर उसकी नजर नहीं है। फुटपाथ और सडक़ों पर गुगठी-ठेले वालों का कब्जा है। इस कारण रात में असमाजिक तत्वों का ढेरा भी यहां लगा रहता है, जो छात्रों की सुरक्षा के लिए खतरा है।
10 प्रतिशत के पास फायर एनओसी
एमपी नगर में छोटे बड़े मिलाकर ढाई सौ से अधिक कोङ्क्षचग संस्थान संचालित होते हैं, लेकिन दस फीसदी बिङ्क्षल्डग संचालकों ने ही फायर एनओसी ली है। जबकि जोन एक और दो में ही करीब 150 कोचिंग चल रही हैं। यहां रोजाना 75 हजार से अधिक स्टूडेंट््स पढऩेआते हैं।
25 प्रतिशत सेंटर में दो गेट की सुविधा
एमपी नगर में 80 फीसदी कोचिंग किराए की जर्जर और पुरानी बिङ्क्षल्डग में चल रही हैं। इनमें सिर्फ एक गेट है। 20 से 25 प्रतिशत कोङ्क्षचग संचालकों ने पीछे लोहे की सीढिय़ां और गेट लगवाए हैं। इनमें से नाम मात्र में फायर उपकरण लगे हैं।
हर जोन में होना चाहिए पार्किंग
कोचिंग संस्थान में आने वाले विद्यार्थियों के लिए पार्किंग की व्यवस्था के लिए कई बार नगर निगम को ज्ञापन सौंप चुके हैं। अतिक्रमण के कारण गाडिय़ां रखने जगह नहीं होती। कई गलियां तो ऐसे हैं जहां से महीनों कचरा तक नहीं उठता है। कहने को तो एमपी नगर में मल्टीलेवल पार्किंग है, लेकिन इतने बड़े एरिया की गाडिय़ां एक जगह नहीं रखी जा सकतीं। इसके स्थान पर हर जोन में छोटी-छोटी पार्किंग की व्यवस्था की जाना चाहिए।
संजय तिवारी, अध्यक्ष, कोचिंग एसोसिएशन
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भोपालPublished: Jan 09, 2024 06:19:15 pm
पीक ऑवर्स में लगता है जाम, संकरी गलियों में हादसे का खतरा
कोचिंग हब बना एमपी नगर, पार्किंग के इंतजाम नहीं, रोड पर खड़े कर रहे वाहन
भोपाल. शहर में सबसे अधिक कोचिंग संस्थान एमपी नगर में संचालित किए जाते हैं। इन कोचिंग संस्थानों की फीस भी दो से ढाई लाख तक है। लेकिन सुरक्षा और सुविधाओं के नाम पर पार्किंग की व्यवस्था तक नहीं है। इन कोचिंग संस्थानों में पढऩे आने वाले छात्र-छात्राएं अपने वाहनों को सडक़ किनारे रखते हैं। जिससे जाम की स्थिति बनती है। कई संस्थान तो ऐसी जगहों पर संचालित हो रहे हैं, जहां गलियां इतनी संकरी हैं, यदि कोई हादसा होता है तो मदद भी आसानी से नहीं पहुंच सकती। बात थद्दाराम काम्पलेक्स से एमपी जोन वन तक की करें तो यहां एक दर्जन से अधिक कोङ्क्षचग संस्थान हैं। इनके बेसमेंट में पार्किंग नहीं होने से यहां आने वाले छात्र फुटपाथ पर ही दोनों ओर वाहन पार्क करते हैं।
करंट लगने के डर से महीनों नहीं उठाते कचरा
वहीं बोर्ड ऑफिस चौराहे के पीछे बैंक वाली लाइन में भी लगभग आधा दर्जन कोचिंग संस्थान संचालित किए जाते हैं। बिजली के तारों से घिरी इस गली में स्थिति यह है कि यहां महीनों कचरा तक साफ नहीं होता है। ऐसे में बदबू के बीच विद्यार्थी पढऩे को मजबूर हैं। कोचिंग संचालक कई बार कचरा हटाने नगर-निगम को ज्ञापन सौंप चुके हैं। लेकिन करंट लगने के डर से निगम कर्मी कचरा उठाने को तैयार नहीं होते।
निगम बेखबर, गुमठी, ठेलों ने किया अतिक्रमण
नगर निगम का अतिक्रमण अमला आए दिन शहर में सार्वजनिक स्थलों से कब्जे हटाने का काम करता है, लेकिन एमपी नगर जैसे व्यवसायिक क्षेत्रों का अतिक्रमण की ओर उसकी नजर नहीं है। फुटपाथ और सडक़ों पर गुगठी-ठेले वालों का कब्जा है। इस कारण रात में असमाजिक तत्वों का ढेरा भी यहां लगा रहता है, जो छात्रों की सुरक्षा के लिए खतरा है।
10 प्रतिशत के पास फायर एनओसी
एमपी नगर में छोटे बड़े मिलाकर ढाई सौ से अधिक कोङ्क्षचग संस्थान संचालित होते हैं, लेकिन दस फीसदी बिङ्क्षल्डग संचालकों ने ही फायर एनओसी ली है। जबकि जोन एक और दो में ही करीब 150 कोचिंग चल रही हैं। यहां रोजाना 75 हजार से अधिक स्टूडेंट््स पढऩेआते हैं।
25 प्रतिशत सेंटर में दो गेट की सुविधा
एमपी नगर में 80 फीसदी कोचिंग किराए की जर्जर और पुरानी बिङ्क्षल्डग में चल रही हैं। इनमें सिर्फ एक गेट है। 20 से 25 प्रतिशत कोङ्क्षचग संचालकों ने पीछे लोहे की सीढिय़ां और गेट लगवाए हैं। इनमें से नाम मात्र में फायर उपकरण लगे हैं।
हर जोन में होना चाहिए पार्किंग
कोचिंग संस्थान में आने वाले विद्यार्थियों के लिए पार्किंग की व्यवस्था के लिए कई बार नगर निगम को ज्ञापन सौंप चुके हैं। अतिक्रमण के कारण गाडिय़ां रखने जगह नहीं होती। कई गलियां तो ऐसे हैं जहां से महीनों कचरा तक नहीं उठता है। कहने को तो एमपी नगर में मल्टीलेवल पार्किंग है, लेकिन इतने बड़े एरिया की गाडिय़ां एक जगह नहीं रखी जा सकतीं। इसके स्थान पर हर जोन में छोटी-छोटी पार्किंग की व्यवस्था की जाना चाहिए।
संजय तिवारी, अध्यक्ष, कोचिंग एसोसिएशन