कोई यहां गिरा, कोई वहां गिरा; प्रशांत किशोर के जन सुराज वाले लोकसभा चुनाव में किसे वोट दे रहे हैं?
राजनीतिक दलों और नेताओं के लिए काम करना बंद कर चुके चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी की सरकार बनने का दावा किया है। यह पार्टी उनके संगठन जन सुराज की पदयात्रा पूरी होने के बाद पैदा होगी। लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद प्रशांत ने सहरसा में 16 मार्च को आखिरी सभा की थी। नई सरकार बनने के बाद जन सुराज की पदयात्रा बहाल होगी। पीके के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर लगभग आधा बिहार घूम चुके हैं। जन सुराज की पदयात्रा 483 दिन में 225 ब्लॉक के 1285 पंचायतों की 2642 गावों को कवर कर चुकी है। लेकिन 2025 का चुनाव लड़ने और लड़ाने जा रहे प्रशांत किशोर ने 2024 के लोकसभा चुनाव में मौन धर लिया। सवाल उठ रहा है कि पीके से 18 महीने लंबी यात्रा में जुड़े लोग लोकसभा चुनाव में क्या कर रहे हैं, किसे वोट दे रहे हैं?
बिहार विधान परिषद की सारण स्थानीय निकाय सीट से एमएलसी सच्चिदानंद राय उन बड़े नेताओं में हैं जो जन सुराज से जुड़े। पहली बार भाजपा के समर्थन से विधान पार्षद बने सच्चिदानंद 2022 में भाजपा का साथ ना मिलने पर निर्दलीय लड़े और पहली वरीयता के 56 परसेंट वोट लेकर दोबारा जीते थे। लोकसभा चुनाव में वो खुलकर भारतीय जनता पार्टी का समर्थन कर रहे हैं। पहले राय ने खुद महाराजगंज से निर्दलीय लड़ने का ऐलान किया था और प्रचार भी कर रहे थे। लेकिन 12 मई को उन्होंने भाजपा को समर्थन देने की घोषणा कर दी और तब से बीजेपी के प्रचार में लगे हुए हैं।
2025 में बिहार में जन सुराज की सरकार बनेगी; लोकसभा चुनाव से गायब प्रशांत किशोर का बड़ा दावा
सच्चिदानंद राय ने लाइव हिन्दुस्तान से बातचीत में कहा कि लोकतंत्र के महापर्व में राजनीतिक आदमी घर तो नहीं बैठ सकता है। जन सुराज ना चुनाव लड़ रहा है और ना किसी कैंडिडेट का समर्थन कर रहा है। उन्होंने बताया कि जन सुराज से जुड़े लोग लोकसभा चुनाव में कहीं भाजपा, कहीं कांग्रेस, कहीं राजद, कहीं जदयू, कहीं निर्दलीय या कहीं दूसरे प्रत्याशी के साथ हैं। जन सुराज का कैंडिडेट नहीं है तो लोग विवेक से किसी का समर्थन और विरोध करने के लिए स्वतंत्र हैं।
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भाजपा को समर्थन पर सच्चिदानंद राय ने कहा कि उनके सामने सनातन प्रेमी और सनातन द्रोही, देशप्रेमी और देशद्रोही, रामभक्त और रामद्रोही के बीच एक चुनने का विकल्प था इसलिए उन्होंने बीजेपी को समर्थन दिया है। सच्चिदानंद ने कहा कि चुनाव के बाद वो प्रशांत किशोर से आगे की योजना पर बात करेंगे। हालांकि राय ने ये कबूल किया है कि प्रशांत किशोर से डेढ़ महीने की संवादहीनता के बाद अब जब उन्होंने एक पक्ष का समर्थन कर दिया है तो उनके सामने निश्चित रूप से विकल्प बढ़ गए हैं।
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भोजपुरी फिल्मों की सुपरस्टार अभिनेत्री अक्षरा सिंह भी पिछले नवंबर में जन सुराज से जुड़ी थीं। तब चर्चा ये हुई थी कि वो आरा से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहती हैं। अक्षरा सिंह भी लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए प्रचार कर रही हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि जन सुराज से जुड़े सारे लोग भाजपा के ही साथ हैं। प्रशांत किशोर और जन सुराज से जुड़े एक बड़े नेता जो पहले कांग्रेस में थे, लोकसभा चुनाव में अपनी पुरानी पार्टी के लिए शुभकामना कर रहे हैं। नाम ना छापने की शर्त पर उन्होंने कहा कि वो किसी पार्टी, गठबंधन या प्रत्याशी के लिए वोट नहीं मांग रहे हैं और ना किसी को समर्थन दे रहे हैं। लेकिन जन सुराज लोकसभा नहीं लड़ रहा है तो उससे जुड़े लोग इस चुनाव में स्वतंत्र है। उन्होंने बताया कि जन सुराज से जुड़े ज्यादातर लोग लोकसभा के चुनाव में अपनी पुरानी पार्टियों के समर्थन में लौट गए हैं।
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जन सुराज में प्रशांत किशोर के एक करीबी नेता ने ऑफ द रिकॉर्ड कहा कि जब हम लोकसभा चुनाव लड़ ही नहीं रहे तो किसी को किसी का समर्थन या विरोध करने से क्यों रोकें। हमने पूछा कि यात्रा के दौरान गांव-गांव में बने जन सुराज के कार्यकर्ता जब ये पूछते हैं कि किसे वोट दें तो वो क्या कहते हैं। जवाब मिला- लोगों को पता है कि हम लोकसभा नहीं लड़ रहे इसलिए कोई ये पूछ ही नहीं रहा है।
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वैसे, प्रशांत किशोर ने यात्रा रोकने से पहले सहरसा की सभा में कहा था कि वोट जिसे देना है दीजिए लेकिन अपना स्वार्थ देखिए, अपने बच्चों का स्वार्थ देखिए। जीवन में एक बार वोट जाति और धर्म के नाम पर नहीं, अपने बच्चों के लिए दीजिए। जिस तरह अपनी जाति के ग्राहकों से भी सामान का पैसा लेते हैं, उसी तरह से अपनी जाति को मुफ्त में वोट मत दीजिए। उन्होंने वोट की कीमत को देश और राज्य के बजट से जोड़ते हुए कहा था कि वोट का सौदा ठीक से करिए। नाली, सड़क, अनाज देखकर नहीं, अपने बच्चों का चेहरा देखकर वोट करिए। प्रशांत किशोर ने कहा था कि नेता के लिए नहीं, बेटा के लिए और अनाज के लिए नहीं रोजगार के लिए वोट करना है।
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प्रशांत किशोर से लाइव हिन्दुस्तान ने मैसेज भेजकर पूछा कि लोकसभा चुनाव में जन सुराज के समर्थकों को क्या करने कहा गया है तो उन्होंने अंग्रेजी में आठ शब्द का जवाब दिया है- जन सुराज की इन चुनावों में कोई भूमिका नहीं है। लेकिन लोकसभा चुनाव के कुछ चरणों के मतदान के बाद प्रशांत किशोर फिर से सक्रिय हैं। लोकसभा चुनाव में वो भाजपा की जीत का अनुमान लगा रहे हैं और बता रहे हैं कि सीट 2019 के आसपास रहेगी। ममता बनर्जी के लिए काम कर चुके प्रशांत कह रहे हैं कि बंगाल में बीजेपी नंबर एक रहेगी, टीएमसी नहीं। जगन मोहन रेड्डी के लिए काम कर चुके प्रशांत आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस की हार का अनुमान लगा रहे हैं। प्रशांत विपक्ष को नसीहत और फीडबैक भी दे रहे हैं कि 400 पार के नारे में कैसे उलझकर वो पिछड़ गया।
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महीने भर की वेलनेस ब्रेक के बाद प्रशांत किशोर की सक्रियता बढ़ने का सीधा संबंध बिहार से नहीं है लेकिन लोकसभा चुनाव के बचे दो चरणों में राज्य की 16 और देश की 115 सीटों पर मतदान होना है। बिहार में जो इलाके बचे हैं उनमें ज्यादातर भोजपुरी बेल्ट है। प्रशांत का घर इसी इलाके में है। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता की वजह से जब कोई समाचार चैनल सीटों का अनुमान अब वोटिंग खत्म होने तक नहीं लगा सकता उस समय चुनाव एक्सपर्ट के तौर पर प्रशांत किशोर संभावित सीट बता रहे हैं।
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जन सुराज की पदयात्रा लगभग दो महीने के ब्रेक के बाद अगले महीने शुरू हो सकती है लेकिन लोकसभा चुनाव में संगठन के बिखर गए कार्यकर्ताओं को विधानसभा के चुनाव से पहले फिर जुटाना पीके के प्रबंधन की असली परीक्षा होगी।
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राजनीतिक दलों और नेताओं के लिए काम करना बंद कर चुके चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी की सरकार बनने का दावा किया है। यह पार्टी उनके संगठन जन सुराज की पदयात्रा पूरी होने के बाद पैदा होगी। लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद प्रशांत ने सहरसा में 16 मार्च को आखिरी सभा की थी। नई सरकार बनने के बाद जन सुराज की पदयात्रा बहाल होगी। पीके के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर लगभग आधा बिहार घूम चुके हैं। जन सुराज की पदयात्रा 483 दिन में 225 ब्लॉक के 1285 पंचायतों की 2642 गावों को कवर कर चुकी है। लेकिन 2025 का चुनाव लड़ने और लड़ाने जा रहे प्रशांत किशोर ने 2024 के लोकसभा चुनाव में मौन धर लिया। सवाल उठ रहा है कि पीके से 18 महीने लंबी यात्रा में जुड़े लोग लोकसभा चुनाव में क्या कर रहे हैं, किसे वोट दे रहे हैं?
बिहार विधान परिषद की सारण स्थानीय निकाय सीट से एमएलसी सच्चिदानंद राय उन बड़े नेताओं में हैं जो जन सुराज से जुड़े। पहली बार भाजपा के समर्थन से विधान पार्षद बने सच्चिदानंद 2022 में भाजपा का साथ ना मिलने पर निर्दलीय लड़े और पहली वरीयता के 56 परसेंट वोट लेकर दोबारा जीते थे। लोकसभा चुनाव में वो खुलकर भारतीय जनता पार्टी का समर्थन कर रहे हैं। पहले राय ने खुद महाराजगंज से निर्दलीय लड़ने का ऐलान किया था और प्रचार भी कर रहे थे। लेकिन 12 मई को उन्होंने भाजपा को समर्थन देने की घोषणा कर दी और तब से बीजेपी के प्रचार में लगे हुए हैं।
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सच्चिदानंद राय ने लाइव हिन्दुस्तान से बातचीत में कहा कि लोकतंत्र के महापर्व में राजनीतिक आदमी घर तो नहीं बैठ सकता है। जन सुराज ना चुनाव लड़ रहा है और ना किसी कैंडिडेट का समर्थन कर रहा है। उन्होंने बताया कि जन सुराज से जुड़े लोग लोकसभा चुनाव में कहीं भाजपा, कहीं कांग्रेस, कहीं राजद, कहीं जदयू, कहीं निर्दलीय या कहीं दूसरे प्रत्याशी के साथ हैं। जन सुराज का कैंडिडेट नहीं है तो लोग विवेक से किसी का समर्थन और विरोध करने के लिए स्वतंत्र हैं।
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भाजपा को समर्थन पर सच्चिदानंद राय ने कहा कि उनके सामने सनातन प्रेमी और सनातन द्रोही, देशप्रेमी और देशद्रोही, रामभक्त और रामद्रोही के बीच एक चुनने का विकल्प था इसलिए उन्होंने बीजेपी को समर्थन दिया है। सच्चिदानंद ने कहा कि चुनाव के बाद वो प्रशांत किशोर से आगे की योजना पर बात करेंगे। हालांकि राय ने ये कबूल किया है कि प्रशांत किशोर से डेढ़ महीने की संवादहीनता के बाद अब जब उन्होंने एक पक्ष का समर्थन कर दिया है तो उनके सामने निश्चित रूप से विकल्प बढ़ गए हैं।
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भोजपुरी फिल्मों की सुपरस्टार अभिनेत्री अक्षरा सिंह भी पिछले नवंबर में जन सुराज से जुड़ी थीं। तब चर्चा ये हुई थी कि वो आरा से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहती हैं। अक्षरा सिंह भी लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए प्रचार कर रही हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि जन सुराज से जुड़े सारे लोग भाजपा के ही साथ हैं। प्रशांत किशोर और जन सुराज से जुड़े एक बड़े नेता जो पहले कांग्रेस में थे, लोकसभा चुनाव में अपनी पुरानी पार्टी के लिए शुभकामना कर रहे हैं। नाम ना छापने की शर्त पर उन्होंने कहा कि वो किसी पार्टी, गठबंधन या प्रत्याशी के लिए वोट नहीं मांग रहे हैं और ना किसी को समर्थन दे रहे हैं। लेकिन जन सुराज लोकसभा नहीं लड़ रहा है तो उससे जुड़े लोग इस चुनाव में स्वतंत्र है। उन्होंने बताया कि जन सुराज से जुड़े ज्यादातर लोग लोकसभा के चुनाव में अपनी पुरानी पार्टियों के समर्थन में लौट गए हैं।
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जन सुराज में प्रशांत किशोर के एक करीबी नेता ने ऑफ द रिकॉर्ड कहा कि जब हम लोकसभा चुनाव लड़ ही नहीं रहे तो किसी को किसी का समर्थन या विरोध करने से क्यों रोकें। हमने पूछा कि यात्रा के दौरान गांव-गांव में बने जन सुराज के कार्यकर्ता जब ये पूछते हैं कि किसे वोट दें तो वो क्या कहते हैं। जवाब मिला- लोगों को पता है कि हम लोकसभा नहीं लड़ रहे इसलिए कोई ये पूछ ही नहीं रहा है।
तेजस्वी यादव के MY-BAAP समीकरण पर प्रशांत किशोर का पलटवार, कहा- ऐसा बुलेट दागेंगे कि…
वैसे, प्रशांत किशोर ने यात्रा रोकने से पहले सहरसा की सभा में कहा था कि वोट जिसे देना है दीजिए लेकिन अपना स्वार्थ देखिए, अपने बच्चों का स्वार्थ देखिए। जीवन में एक बार वोट जाति और धर्म के नाम पर नहीं, अपने बच्चों के लिए दीजिए। जिस तरह अपनी जाति के ग्राहकों से भी सामान का पैसा लेते हैं, उसी तरह से अपनी जाति को मुफ्त में वोट मत दीजिए। उन्होंने वोट की कीमत को देश और राज्य के बजट से जोड़ते हुए कहा था कि वोट का सौदा ठीक से करिए। नाली, सड़क, अनाज देखकर नहीं, अपने बच्चों का चेहरा देखकर वोट करिए। प्रशांत किशोर ने कहा था कि नेता के लिए नहीं, बेटा के लिए और अनाज के लिए नहीं रोजगार के लिए वोट करना है।
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प्रशांत किशोर की नई थ्योरी- ऐसे 4 तरह के हिंदू और मुसलमान एकजुट हों तो हार सकती है भाजपा
महीने भर की वेलनेस ब्रेक के बाद प्रशांत किशोर की सक्रियता बढ़ने का सीधा संबंध बिहार से नहीं है लेकिन लोकसभा चुनाव के बचे दो चरणों में राज्य की 16 और देश की 115 सीटों पर मतदान होना है। बिहार में जो इलाके बचे हैं उनमें ज्यादातर भोजपुरी बेल्ट है। प्रशांत का घर इसी इलाके में है। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता की वजह से जब कोई समाचार चैनल सीटों का अनुमान अब वोटिंग खत्म होने तक नहीं लगा सकता उस समय चुनाव एक्सपर्ट के तौर पर प्रशांत किशोर संभावित सीट बता रहे हैं।
इस बार कितनी सीटें जीत रही भाजपा, प्रशांत किशोर की भविष्यवाणी से INDIA गुट को होगी टेंशन
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