कुशवाहा-मांझी से ज्यादा भाव खा रहे राजभर? बिहार में कभी जमानत नहीं बची लेकिन BJP से मांग ली चार सीटें h3>
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने बीजेपी से लोकसभा की नौ सीटें मांगी है जिसमें यूपी की पांच और बिहार की चार सीटें शामिल हैं। राजभर यूपी के हैं और पूर्वांचल में उनका प्रभाव है तो वहां पांच सीट की डिमांड कोई अचरज की बात नहीं है। लेकिन बिहार में 2004 से अब तक नौ लोकसभा और विधानसभा चुनाव में हर सीट पर जमानत जब्त करा चुके राजभर ने चार सीटें मांगकर खासी सनसनी पैदा की है। राजभर की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि ये है कि 2015 के विधानसभा चुनाव में राजपुर सीट पर सुभासपा के कैंडिडेट आजाद पासवान चौथे नंबर पर आ गए।
40 लोकसभा सीटों वाले बिहार में चार लोकसभा सीट यानी 10 परसेंट सीट का क्या महत्व है, वो इस बात से समझ सकते हैं कि कोइरी वोट पर प्रभाव रखने वाले उपेंद्र कुशवाहा एनडीए में अपनी पार्टी के लिए 2 से 3 सीट मानकर चल रहे हैं। महादलित बिरादरी से आने वाले जीतनराम मांझी एक सीट में भी खुश हो सकते हैं। सीट बंटवारे तक चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस का झगड़ा नहीं सुलझा तो बिहार में दलितों के सबसे बड़े नेता चिराग को भी 4 सीट से संतोष करना पड़ सकता है।
दावा और देरी के दुष्चक्र में फंसे राजभर की बीजेपी से मंत्री के साथ 9 लोकसभा सीटों की मांग ज्यादा तो नहीं?
बिहार में बीजेपी खुद ही 30-32 सीट लड़ने की तैयारी में है। बची 8-10 सीटों में वो पहले ही चिराग पासवान, पशुपति पारस, उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी को एडजस्ट करने की चुनौती से जूझ रही है। एक फ्री प्लेयर मुकेश सहनी भी हैं जो एनडीए में लौटे तो उनको भी 2 सीट चाहिए। ऐसे में राजभर की सुभासपा के लिए बिहार एनडीए में सीट नहीं है। चुनाव प्रचार में बीजेपी उन्हें भले ले आए और आगे बिहार विधानसभा के चुनाव में कुछ सीट पकड़ा दे।
बिहार विधानसभा और लोकसभा में ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा का कैसा रहा है प्रदर्शन
ओम प्रकाश राजभर की छवि एक बड़बोले नेता की बन गई है। छह महीने से राजभर लगातार मंत्री बनने का दावा कर रहे हैं लेकिन योगी कैबिनेट का विस्तार ही नहीं हो पा रहा है। 2002 में बनी एसबीएसपी का अपने मूल प्रदेश यूपी में पहली बार 2017 में विधानसभा में खाता खुला जब उसका बीजेपी के साथ गठबंधन हुआ था। सुभासपा ने बिहार में 2005 के फरवरी वाले विधानसभा चुनाव में 3 कैंडिडेट उतारे जिनको 13655 वोट आया। अक्टूबर 2005 के चुनाव में 2 कैंडिडेट को 11037 वोट मिला। 2010 में 6 सीट लड़े तो 15437 वोट आया। 2015 में 2 सीट पर 6442 और 2020 में 2 सीट पर 1249 वोट। बिहार में राजभर की सुभासपा की ताकत यही है।
लालू-कांग्रेस को नीतीश का झटका; जेडीयू बोली- सीटिंग सीट लड़ेगी पार्टियां, 23 लोकसभा में कैसे होगा बंटवारा?
राजभर ने बिहार में लोकसभा की जो चार सीटें मांगी हैं, उनके नाम हैं- नवादा, काराकाट, वाल्मीकि नगर और सीवान। सुभासपा ने बिहार में सबसे पहला चुनाव 2004 का लोकसभा लड़ा था। इस चुनाव में बक्सर सीट से सुभासपा ने राम एकबाल चौधरी को लड़ाया जिनको 16639 वोट आया और वो छठे नंबर पर रहे। 2009 के लोकसभा चुनाव में गोपालगंज में राम कुमार मांझी को 4011 वोट, बक्सर में मोकर्रम हुसैन को 10203 वोट और नवादा में सुरेंद्र चौधरी को 3272 वोट मिले। 2014 में राजभर ने बस बक्सर सीट पर ही कैंडिडेट दिया और वहां मोकर्रम हुसैन को इस बार 7514 वोट मिले। 2009 की तुलना में सुभासपा कैंडिडेट हुसैन का वोट घट गया।
2019 में काराकाट में राजभर के कैंडिडेट को आया था 1713 वोट, बीजेपी से ये सीट भी मांगी है
2019 के लोकसभा चुनाव में वाल्मीकि नगर में भोला राय को 7871 वोट, झंझारपुर में प्रभात प्रसाद को 8429 वोट, नालंदा में संपति कुमार को 4434 वोट, बक्सर में उदय नारायण राय को 14170 वोट और काराकाट में कमलेश राम को 1713 वोट आए। राजभर ने नवादा सीट मांगी है जो उन्होंने 2009 में लड़ी थी और 3272 वोट आया था। दूसरी सीट उन्होंने काराकाट मांगी है जहां 2019 में पहली बार लड़े और 1713 वोट हासिल कर सके। तीसरी सीट वाल्मीकि नगर मांगी है जहां 2019 में ही पहली बार लड़े और 7871 वोट आया था। चौथी सीट राजभर ने सीवान मांगी है जहां उन्हें कभी लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा है।
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उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने बीजेपी से लोकसभा की नौ सीटें मांगी है जिसमें यूपी की पांच और बिहार की चार सीटें शामिल हैं। राजभर यूपी के हैं और पूर्वांचल में उनका प्रभाव है तो वहां पांच सीट की डिमांड कोई अचरज की बात नहीं है। लेकिन बिहार में 2004 से अब तक नौ लोकसभा और विधानसभा चुनाव में हर सीट पर जमानत जब्त करा चुके राजभर ने चार सीटें मांगकर खासी सनसनी पैदा की है। राजभर की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि ये है कि 2015 के विधानसभा चुनाव में राजपुर सीट पर सुभासपा के कैंडिडेट आजाद पासवान चौथे नंबर पर आ गए।
40 लोकसभा सीटों वाले बिहार में चार लोकसभा सीट यानी 10 परसेंट सीट का क्या महत्व है, वो इस बात से समझ सकते हैं कि कोइरी वोट पर प्रभाव रखने वाले उपेंद्र कुशवाहा एनडीए में अपनी पार्टी के लिए 2 से 3 सीट मानकर चल रहे हैं। महादलित बिरादरी से आने वाले जीतनराम मांझी एक सीट में भी खुश हो सकते हैं। सीट बंटवारे तक चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस का झगड़ा नहीं सुलझा तो बिहार में दलितों के सबसे बड़े नेता चिराग को भी 4 सीट से संतोष करना पड़ सकता है।
दावा और देरी के दुष्चक्र में फंसे राजभर की बीजेपी से मंत्री के साथ 9 लोकसभा सीटों की मांग ज्यादा तो नहीं?
बिहार में बीजेपी खुद ही 30-32 सीट लड़ने की तैयारी में है। बची 8-10 सीटों में वो पहले ही चिराग पासवान, पशुपति पारस, उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी को एडजस्ट करने की चुनौती से जूझ रही है। एक फ्री प्लेयर मुकेश सहनी भी हैं जो एनडीए में लौटे तो उनको भी 2 सीट चाहिए। ऐसे में राजभर की सुभासपा के लिए बिहार एनडीए में सीट नहीं है। चुनाव प्रचार में बीजेपी उन्हें भले ले आए और आगे बिहार विधानसभा के चुनाव में कुछ सीट पकड़ा दे।
बिहार विधानसभा और लोकसभा में ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा का कैसा रहा है प्रदर्शन
ओम प्रकाश राजभर की छवि एक बड़बोले नेता की बन गई है। छह महीने से राजभर लगातार मंत्री बनने का दावा कर रहे हैं लेकिन योगी कैबिनेट का विस्तार ही नहीं हो पा रहा है। 2002 में बनी एसबीएसपी का अपने मूल प्रदेश यूपी में पहली बार 2017 में विधानसभा में खाता खुला जब उसका बीजेपी के साथ गठबंधन हुआ था। सुभासपा ने बिहार में 2005 के फरवरी वाले विधानसभा चुनाव में 3 कैंडिडेट उतारे जिनको 13655 वोट आया। अक्टूबर 2005 के चुनाव में 2 कैंडिडेट को 11037 वोट मिला। 2010 में 6 सीट लड़े तो 15437 वोट आया। 2015 में 2 सीट पर 6442 और 2020 में 2 सीट पर 1249 वोट। बिहार में राजभर की सुभासपा की ताकत यही है।
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राजभर ने बिहार में लोकसभा की जो चार सीटें मांगी हैं, उनके नाम हैं- नवादा, काराकाट, वाल्मीकि नगर और सीवान। सुभासपा ने बिहार में सबसे पहला चुनाव 2004 का लोकसभा लड़ा था। इस चुनाव में बक्सर सीट से सुभासपा ने राम एकबाल चौधरी को लड़ाया जिनको 16639 वोट आया और वो छठे नंबर पर रहे। 2009 के लोकसभा चुनाव में गोपालगंज में राम कुमार मांझी को 4011 वोट, बक्सर में मोकर्रम हुसैन को 10203 वोट और नवादा में सुरेंद्र चौधरी को 3272 वोट मिले। 2014 में राजभर ने बस बक्सर सीट पर ही कैंडिडेट दिया और वहां मोकर्रम हुसैन को इस बार 7514 वोट मिले। 2009 की तुलना में सुभासपा कैंडिडेट हुसैन का वोट घट गया।
2019 में काराकाट में राजभर के कैंडिडेट को आया था 1713 वोट, बीजेपी से ये सीट भी मांगी है
2019 के लोकसभा चुनाव में वाल्मीकि नगर में भोला राय को 7871 वोट, झंझारपुर में प्रभात प्रसाद को 8429 वोट, नालंदा में संपति कुमार को 4434 वोट, बक्सर में उदय नारायण राय को 14170 वोट और काराकाट में कमलेश राम को 1713 वोट आए। राजभर ने नवादा सीट मांगी है जो उन्होंने 2009 में लड़ी थी और 3272 वोट आया था। दूसरी सीट उन्होंने काराकाट मांगी है जहां 2019 में पहली बार लड़े और 1713 वोट हासिल कर सके। तीसरी सीट वाल्मीकि नगर मांगी है जहां 2019 में ही पहली बार लड़े और 7871 वोट आया था। चौथी सीट राजभर ने सीवान मांगी है जहां उन्हें कभी लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा है।