किसान आंदोलन को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला: दो आरोपियों के खिलाफ जारी लुकआउट सर्कुलर रद्द, कहा- बेवजह लगाई जा रही रोक – Amritsar News

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किसान आंदोलन को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला:  दो आरोपियों के खिलाफ जारी लुकआउट सर्कुलर रद्द, कहा- बेवजह लगाई जा रही रोक – Amritsar News
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किसान आंदोलन को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला: दो आरोपियों के खिलाफ जारी लुकआउट सर्कुलर रद्द, कहा- बेवजह लगाई जा रही रोक – Amritsar News

किसान आंदोलन 2021 के दौरान किसान दिल्ली में ट्रैक्टर लेकर पहुंच गए थे और लाल किले पर भी कब्जा किया गया था।

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दिल्ली हाईकोर्ट ने 2021 के किसान आंदोलन से जुड़े दो व्यक्तियों के खिलाफ जारी लुकआउट सर्कुलर (LOC) को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि दोनों ने जांच में पूरी तरह सहयोग किया और उनके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी रखना सही नहीं है।

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जस्टिस संजीव नरूला ने 31 जनवरी को अपने फैसले में कहा कि किसी अदालत ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया था, जिसमें इन लोगों को देश में ही रहने के लिए कहा गया हो। अदालत ने कहा कि लुकआउट सर्कुलर जारी रखने का कोई सही कारण नहीं है, इससे केवल उनकी यात्रा के अधिकार पर गलत और बेवजह रोक लगाई जा रही है।

2021 में दर्ज हुई थी एफआईआर

कोर्ट ने पाया कि थिलकसरी करुपानंद और शांतनु मुलुक के खिलाफ 2021 की FIR में उनका विशेष रूप से उल्लेख नहीं किया गया था। जांच भी निष्कर्ष तक नहीं पहुंची थी। इसलिए, अदालत ने उनके विदेश यात्रा पर लगे प्रतिबंध को हटाते हुए लुकआउट सर्कुलर रद्द कर दिया।

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कोर्ट ने यह भी कहा कि जांच रिपोर्ट में ऐसा कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया, जिससे यह संकेत मिले कि दोनों व्यक्तियों ने जांच में असहयोग किया या कानूनी कार्रवाई से बचने की कोशिश की।

LOC उनके लिए है, जो कानूनी कार्रवाई से बचना चाहते हैं

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में, लुकआउट सर्कुलर जारी करना, केवल उन व्यक्तियों के लिए है जो कानूनी कार्रवाई से बचने की कोशिश कर रहे हों। उन लोगों के खिलाफ उचित नहीं है जिन्होंने न्याय प्रक्रिया में कोई बाधा उत्पन्न नहीं की है।

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फैसले में यह भी उल्लेख किया गया कि याचिकाकर्ताओं को इस मामले की कार्रवाई के दौरान कई बार विदेश यात्रा करने की अनुमति दी गई थी और वे हर बार भारत लौटे। यह आचरण स्पष्ट रूप से नकारता है कि उनके विदेश भागने का कोई जोखिम है, जो कि लुकआउट सर्कुलर जारी करने का मुख्य आधार होता है।

रिकॉर्ड अपडेट करने के निर्देश

कोर्ट ने यह भी नोट किया कि आदेश पिछले चार वर्षों से जांच जारी है, लेकिन अभी तक उनके खिलाफ कोई चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है। कोर्ट ने कहा कि इतने लंबे समय तक जांच चलने और कोई औपचारिक आरोप नहीं लगने से केवल उनके यात्रा प्रतिबंध ही जारी रहते हैं, जो उचित नहीं है।

कोर्ट ने अपने आदेश की एक कॉपी ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन और गृह मंत्रालय को रिकॉर्ड अपडेट करने के लिए भेजने के भी आदेश दिए हैं।

दिल्ली में दर्ज हुई थी एफआईआर

दिल्ली सरकार के वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि जांच अभी भी जारी है और यह आशंका जताई कि वे दोनों जांच और मुकदमे से बचने के लिए भाग सकते हैं। यह मामला 26 जनवरी 2021 को राष्ट्रीय राजधानी में किसान आंदोलन के दौरान दर्ज एफआईआर से संबंधित है, जो आईपीसी की धारा 124A (राजद्रोह), 153A (धर्म, नस्ल, भाषा आदि के आधार पर समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 153 (उकसाना) और 120B (आपराधिक साजिश) के तहत दर्ज की गई थी।

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